पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए काँवड़ यात्रा सबसे बड़े सामूहिक पर्व के समान है। इस दौरान खासकर पूरे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब तक के हिन्दुओं का जमावड़ा हरिद्वार को केंद्र बिंदु मान कर होता है। सदियों से चले आ रहे इस त्यौहार से अनगिनत लोगों को रोजगार मिलता है। इसमें बोल-बम के कपड़े, काँवड़, बर्तन आदि बेचने वालों के साथ ढाबे वाले भी शामिल हैं। इस बार सुरक्षा की दृष्टि से UP के प्रशासन ने सभी दुकानदारों से अपने असली नामों से व्यापार करने को कहा जो कुछ कट्टरपंथियों को नागवार गुजरा है।
उन्होंने प्रशासन पर कई तरह के आरोप मढ़ने शुरू कर दिए। इन्हीं आरोपों में एक यह भी है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जाँच के नाम पर सिर्फ मुस्लिम दुकानदारों के यहाँ जा रहे हैं।
This is dangerous. In Uttar Pradesh's Muzaffarnagar, SP Abhishek Singh ordered hotels, Dhabas and small time vendors falling on the route of Kanwar Yatra to display the names of the owners in front of their shops aiming to identify the religion of the owners.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) July 17, 2024
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पुलिस की कार्रवाई को एकतरफा और एक ही वर्ग पर बताने की साजिश रचने वालों में मोहमद जुबैर, अरफ़ा खानम, मिल्लत टाइम्स जैसे इस्लामी हैंडल सबसे आगे रहे। इसके अलावा अजीत अंजुम जैसे वामपंथी पत्रकारों ने भी इस मामले में अपनी दस्तक दी। उन्होंने कई मुस्लिम होटल ढाबों पर बने खाने के चटकारे लिए और यह नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने निशाने पर महज उन होटल-ढाबों को लिया है जिसके मालिक मुस्लिम हैं।
बीच में कुछ ऐसी खबरें भी आईं जिसमें बताया गया कि प्रशासन की सख्ती से कुछ मुस्लिम कारीगरों को निकाल दिया गया। ऑपइंडिया ने इन आरोपों की जमीनी स्तर पर पड़ताल की।
“यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के, या दोनों का, हमें नहीं मालूम..
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) July 18, 2024
भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं। क्या हिंदुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल भात बन जाता है? ठीक वैसे ही क्या किसी अल्ताफ़ या रशीद द्वारा बेचे गए आम अमरूद गोश्त तो नहीं बन जाएँगे।” https://t.co/KAjQ0XGhHv
हिन्दू दुकानदारों को भी जाँच रही है पुलिस
ऑपइंडिया की टीम ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में काँवड़ मार्ग का निरीक्षण किया। इस दौरान हमें गाजियाबाद के पहलवान ढाबा और देसी ठाठ भोजनालय जैसे खाने के ठिकाने मिले जिसके मालिक हिन्दू हैं। इन दोनों ने हमें बताया कि उनकी दुकानों पर पुलिस स्टाफ ने आ कर बाकायदा सारी व्यवस्थाओं को चेक किया और जरूरी दिशा निर्देश दिए। हमें यह भी बताया गया कि पुलिसकर्मियों का व्यवहार उनके प्रति सहयोगात्मक और अपनेपन जैसा रहा।
दोनों दुकानदारों ने हमें बताया कि वो प्रशासन के व्यवहार से पूरी तरह से संतुष्ट हैं।
न किसी की जाति पूछी और न ही किसी का धर्म
सहारनपुर जिले में हमें अम्बाला-देहरादून हाईवे पर बाबे का ढाबा और श्याम होटल और रेस्टोरेंट के मालिक मिले। ये दोनों हिन्दू हैं। इन दोनों ने हमें बताया कि न सिर्फ सावन माह में बल्कि पुलिस तो उनके ढाबों पर नियमित तलाशी और सुरक्षा के मद्देनजर पूरे साल समय-समय पर आती रहती है। इन दोनों ने हमें बताया कि पुलिस ने कभी भी यह नहीं पूछा कि उनके होटल-ढाबों पर काम करने वाले कारीगर किस जाति या धर्म से हैं। हाँ, पुलिस ने इन होटल मालिकों को यह निर्देश बार-बार दिए कि उनके यहाँ काम करने वालों का वेरिफिकेशन करवा लिया जाए।
इस आदेश को ढाबा मालिक अपने साथ समाज की सुरक्षा के लिए भी सही मानते हैं।
प्रशासन तो दूर साथी हिन्दू कारीगरों ने कभी नहीं किया भेद
मेरठ मार्ग पर मुख्य कांवड़ मार्ग पर मौजूद एक ढाबा मालिक ने नाम न छापने की शर्त पर हमसे बातचीत की। इस हिन्दू मालिक ने हमें अपना ढाबा दिखाया जिसमें लगभग 1 दर्जन कारीगर काम कर रहे थे। इन कारीगरों में उन्होंने तंदूर पर रोटी बना रहे व्यक्ति की तरफ इशारा किया। वह इत्मीनान से रोटियाँ बना रहा था। हमें बताया गया कि लगभग 1 दर्जन कारीगरों में रोटी बना रहा व्यक्ति मुस्लिम है। ढाबा मालिक ने कहा कि इस कारीगर का रहना और खाना-पीना भी बाकी हिन्दू कारीगरों के साथ ही होता है।
उन्होंने दावा किया कि किसी प्रशासनिक अधिकारी, किसी कारीगर या खुद उनकी तरफ से भी कभी भी धर्म या जाति के नाम पर उस मुस्लिम कारीगर से कोई भी भेदभाव नहीं हुआ।
प्रशासन पर लग रहे आरोप बेबुनियाद
मुज़फ्फरनगर के कांवड़ मार्ग पर स्थित वंश जूस और भोजनालय के मालिक ने हमें बताया कि प्रशासन पर जो भी एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग रहे है वो बेबुनियाद हैं। उन्होंने दावा किया कि असली नाम लिखने के आदेश का अधिकतर दुकानदारों ने समर्थन किया था। हालाँकि उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय के तौर पर सुप्रीम कोर्ट से जो भी निर्देश मिलेंगे वो उनका पालन करेंगे। इसी के साथ मुज़फ्फरनगर के ही देव पंजाबी भोजनालय, सुधीर फ्रोजेन स्टॉल आदि दुकानों के हिन्दू मालिकों ने भी प्रशासन के खिलाफ फैलाए गए प्रोपोगेंडा को झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन का कार्य भेदभाव से रहित और सबके लिए एक जैसा है।