उत्तर प्रदेश पुलिस की जीप में बैठना अपराधियों के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश पुलिस का बदमाशों और अपराधियों में खौफ इस कदर कायम है कि हाथरस कांड की आड़ में दंगे भड़काने की साजिश रचने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की छात्र विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया(CFI) के महासचिव रऊफ शरीफ ने मेडिकल जाँच कराने के लिए ले जा रही STF टीम से गाड़ी में बैठने से साफ मना कर दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, STF की टीम पाँच दिन की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद आरोपित रऊफ को मेडिकल करवाने के लिए ले जा रही थी, लेकिन जैसे ही टीम ने उसे गाड़ी में बैठने की कोशिश की उसने तुरंत बैठने से मना कर दिया और गाड़ी से नहीं जाने की जिद्द पर अड़ गया।
बता दें, हालही रऊफ शरीफ को एसटीएफ की टीम मथुरा लेकर पहुँची थी। 18 फरवरी को एडीजे प्रथम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद एसटीएफ की टीम ने आरोपी को पाँच दिन की पुलिस अभिरक्षा में रखा था। 5 दिन बाद यानी मंगलवार को रउफ की कोर्ट में पेशी थी। जिसके लिए एसटीएफ को उसका मेडिकल जाँच करवाना था। फिर क्या, जैसे ही सोमवार की रात पुलिस ने उसे गाड़ी में बैठाया वह फौरन उतर गया, और पुलिस की गाड़ी से नहीं जाने पर तूल गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, काफी समझने बुझाने और कड़ी मशक्कत के बाद रउफ ने पुलिस की बात मानी और सरकारी अस्पताल जाने के लिए सरकारी पुलिस की गाड़ी में बैठने से माना। जिसके बाद अगले दिन सुबह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय प्रथम अनिल कुमार पांडेय की अदालत पेश किया गया। जहाँ से उसे न्यायिक हिरासत के तहत जेल में डाल दिया गया।
पुलिस ने हाथरस के बहुचर्चित किशोरी हत्याकांड को लेकर सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में गिरफ्तार रउफ से की गई 5 दिन की पूछताछ में कई अहम जानकारियाँ हासिल की है। आरोपित की निशादेही पर एसटीएफ ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर भड़काऊ पोस्टर और पर्चे बरामद किए हैं। संगठन के नेटवर्क के संबंध में भी एसटीएफ को कई अहम जानकारी एसटीएफ के हाथ लगी हैं। उसने प्रदेश में सक्रिय संगठन के सदस्यों के नाम भी बताए हैं। एसटीएफ मामले में आगे की जाँच में जुटी हैं।
गौरतलब है कि रउफ को केरल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। उस पर यूपी के हाथरस में दंगे की साजिश रचने और विदेशी फंडिंग जुटाने का आरोप है। यूपी में CAA और NRC के दौरान भड़के दंगों में भी उसकी भूमिका संदिग्ध रही है।
हाथरस मामले में जमकर हो रही राजनीति के दौरान मथुरा जाते समय PFI के चार सदस्य सिद्दीक कप्पन, अतीकुर्रहमान, आलम और मसूद को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के बाद यह खुलासा हुआ कि उनकी हाथरस में दंगा फैलाने की साजिश थी। साथ ही रऊफ शरीफ का नाम सामने आया था। इसके बाद यूपी पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट के लिए आवेदन किया था।
हाथरस मामले में जाँच कर रही पुलिस को पता चला था कि दंगे भड़काने के लिए PFI के सदस्य कप्पन और उसके साथियों को पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी रऊफ शरीफ व पी.कोया द्वारा फंडिंग की गई थी। आरोपितों को 1.36 करोड़ रुपए ओमान व कतर में बैठे पीएफआइ सदस्यों के जरिये रउफ तक पहुँचाई गई थी।