उत्तराखंड हाई कोर्ट ने फेसबुक पर एक जनहित याचिका का जवाब नहीं देने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। साल 2021 में कोर्ट ने फेसबुक से फर्जी आईडी और ब्लैकमेलिंग कर लोगों से पैसे माँगने के मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था। हालाँकि, फेसबुक ने बीते एक साल में जबाव नहीं दिया। इससे उस पर जुर्माना लगाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस आरसी खुल्बे ने मामले की सुनवाई करते हुए मेटा के स्वामित्व वाली फेसबुक को 16 फरवरी तक जवाब देना का समय दिया है। साथ ही, समय पर जवाब देने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है, “यह जुर्माना जमा करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया जा रहा है। इसके लिए और अधिक समय नहीं दिया जाएगा।”
हालाँकि, फेसबुक के वकील ने अपील करते हुए अतिरिक्त समय की माँग की थी। इसके बाद, वकील के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा है कि जवाबी हलफनामे में आईटी नियम, 2021 के अनुसार उठाए गए कदमों का भी जिक्र होना चाहिए।
दरअसल, साल 2021 में हरिद्वार के रहने वाले आलोक कुमार ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि फेसबुक में फर्जी आईडी बनाकर लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जा रही है। इसके बाद, फेसबुक फ्रेंड की फोटोज को एडिट कर उनकी अश्लील वीडियो बनाई जाती है और ब्लैकमेलिंग की जाती है।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं। इसलिए, फेसबुक को यह निर्देश दिए जाएँ कि इस तरह की अश्लील वीडियो डालने वाले लोगों की आईडी ब्लॉक की जाए। साथ ही, फेसबुक को यह भी निर्देश दिए जाएँ कि एक ऐसा नंबर जारी करे जिसमें पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें।
कोर्ट में दाखिल याचिका में, याचिकाकर्ता ने फेसबुक के अलावा केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पुलिस अधिकारियों को भी ऑनलाइन दुर्व्यवहार से निपटने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश देने की माँग की थी।
याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी ने कहा कि पहले भी फेसबुक को नोटिस कोर्ट ने दिया था लेकिन जवाब अब तक नहीं दाखिल किया, जिसके बाद अब कोर्ट ने जुर्माना लगाया है।साथ ही ठगी के मामले भी फेसबुक पर आ रहे हैं जो बेहद गंभीर हैं।
याचिकाकर्ता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने इस मामले को विचारणीय माना था। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि लोगों की फर्जी आईडी बनाकर ब्लैकमेलिंग करने और जबरन वसूली करने को लेकर फेसबुक कैसे एक्शन ले रही है, इस बारे में कोर्ट को जानकारी दी जाए।