ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को लेकर छिड़े विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को आदेश देते हुए कहा कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, उसे सील कर दिया जाए और पूरी सुरक्षा दी जाए लेकिन इसके चलते नमाज में बाधा नहीं आनी चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए गुरुवार 19 मई की तारीख तय कर दी है।
Delhi | Today, Supreme Court said that the place where the shivling was found should be preserved by the DM and also allows people from the Muslim community to use it for performing prayers and religious observance in the mosque: Advocate Barun Kumar Sinha representing Hindu Sena pic.twitter.com/75rBUpKl6K
— ANI (@ANI) May 17, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “अगली सुनवाई तक के लिए हम वाराणसी के डीएम को आदेश देते हैं कि शिवलिंग मिलने वाले स्थान की सुरक्षा की जाए, लेकिन मुस्लिमों को नमाज पढ़ने में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए।”
Supreme Court orders that DM Varanasi shall ensure that the area where the Shivling is reported to be found, shall be duly protected.
— ANI (@ANI) May 17, 2022
वहीं ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 मई, 2022) को कहा कि इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में चल रही है, ऐसे में जरूरी है कि जिला अदालत के फैसले का इंतजार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर हिंदू याचिकाकर्ताओं और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। 19 मई तक जवाब दाखिल करना है।
Supreme Court also orders that direction to protect the area where Shivling is reported to be found shall not in any manner restrain or impede access of Muslims to the mosque or use of it for performing prayers and religious observances.
— ANI (@ANI) May 17, 2022
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्ह की पीठ वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूपी सरकार को कुछ मुद्दों पर उनसे सहायता की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट की ओर से सर्वे कराए जाने के आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत परिसर की वीडियोग्राफी की जा रही है।
मस्जिद कमिटी के वकील होजैफा अहमदी ने कोर्ट से कहा कि तीन बातें हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि ये पूजा के अधिकार का मामला है और इसमें माँ गौरी, हनुमान एवं अनुन्देवता के पूजा की माँग की गई है। उन्होंने फिर कहा है कि रोजाना वहाँ जाने में अवरोध न हो, यानी उस जगह का कैरेक्टर बदलने की माँग है जो इस वक्त मस्जिद है।
अहमदी ने आगे अपनी दलीलों में कहा, “हमारा कहना है कि ये याचिका स्वीकार ही नहीं होनी चाहिए थी। दूसरी बात ये है कि पुलिस की सहायता चाहिए। इस पर आदेश हमें सुने बिना किया गया। फिर कहा गया कि इस खास आदमी को कोर्ट कमिश्नर बनाया जाए। निचली अदालत के ये तीन आदेश हैं, जिसे हम चुनौती दे रहे हैं।”
Ahmadi : What is happening is, under the garb of commission proceedings, and on the oral plea of the plaintiff according to what he saw, the entry to the mosque is restricted and the spot is sealed.#GyanvapiMosque
— Live Law (@LiveLawIndia) May 17, 2022
हुजेफा अहमदी ने कहा कि शनिवार और रविवार को कमिश्नर सर्वे करने गए और कमिश्नर को पूरी तरह से पता था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इस बेंच के समक्ष सूचीबद्ध है। वाराणसी कोर्ट ने सोमवार को आयुक्त द्वारा बताए जाने के बाद परिसर में एक स्थान को सील करने का आदेश दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर एक शिवलिंग पाया गया है। कार्यवाही रोकी जानी चाहिए, यथास्थिति बने रहे।
J Chandrachud : What is the status of survey?
— Live Law (@LiveLawIndia) May 17, 2022
Ahmadi : How can they seal the premises? There’s a string of illegal orders. If you seal the premise, you’re altering status quo. Section 3 of the Act makes it clear that it can’t be done.#GyanvapiMosque
अहमदी का कहना है कि वह निचली अदालत द्वारा आयुक्त की नियुक्ति सहित सभी आदेशों पर रोक लगाने की माँग कर रहे हैं और यथास्थिति का आदेश दिया जाना चाहिए क्योंकि ये आदेश अवैध हैं और संसद के कानून के खिलाफ हैं। परिसर सील नहीं रह सकते हैं और आदेश अवैध हैं। यदि परिसर को सील कर दिया जाता है, तो यथास्थिति में परिवर्तन होता है। उन्होंने प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसके सेक्शन 3 में यथास्थिति की बात कही गई थी।