मध्य प्रदेश के इंदौर में गरबा कार्यक्रम में गैर-हिंदू युवकों को प्रवेश देने पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने आपत्ति जताते हुए हंगामा किया और कार्यक्रम को रुकवा दिया। हिंदूवादी संगठनों ने कार्यक्रम संचालक अक्षांशु तिवारी पर लव जिहाद का बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की माँग की। हंगामे की सूचना की बाद मौके पर पहुँचे एएसपी, सीएसपी और कई थानों की पुलिस ने पाँच युवकों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, शहर के गाँधी नगर इलाके के ऑक्सफोर्ड कॉलेज के संचालक अक्षांशु तिवारी ने गरबे का आयोजन कराया था। इस कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने 800 लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन हजारों की भीड़ जुटा ली गई। इस दौरान दूसरे समुदाय के युवकों को भी प्रवेश दे दिया गया। आरोप है कि 150 रुपए की टिकट को 600 रुपए तक में ब्लैक किया गया।
हिंदूवादी संगठनों की आपत्ति पर पुलिस ने संचालक अक्षांशु तिवारी सहित पाँच युवकों पर धारा 188 के तहत कार्रवाई की है। भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार, किसी भी पब्लिक सर्वेंट की ओर से जारी किए गए ऑर्डर को न मानने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान दिया गया है। इसके मुताबिक, जो कोई भी जानबूझकर पब्लिक सर्वेंट के आदेश की अवमानना करता है, उसको जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के दुर्गा पांडालों में विश्व हिंदू परिषद ने ‘गैर-हिंदू का प्रवेश वर्जित’ वाले पोस्टर चिपका रखे हैं। इसको लेकर विहिप के धर्म प्रसार आयाम के कार्यकर्ताओं का स्पष्ट कहना है कि गैर-हिंदू लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं में हिंदू रिवाजों को शामिल नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें गरबा पांडालों में आने का हक नहीं है।
विहिप धर्म प्रसार के जिलामंत्री चंदन शर्मा ने कहा, “जैसा कि आप सभी को पता है कि धर्म विशेष में बुतपरस्ती गुनाह है। अगर बुतपरस्ती उनके धर्म में गुनाह है तो वे गरबा में वो क्यों आते हैं? इतिहास में झाँक कर देखें तो हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया है। इसलिए अगर उन्हें सच में गरबा और मूर्ति पूजा से प्रेम है तो अपने घर की बहन-बेटियों को इन कार्यक्रमों में क्यों नहीं भेजते?”
सितंबर महीने में बजरंग दल ने गरबा और डांडिया के आयोजकों से गैर-हिंदुओं का प्रवेश रोकने के लिए पहल करने को कहा था। इसके लिए आयोजकों से प्रवेश के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य करने की अपील की था। बजरंग दल ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार रोकने के लिए इसे जरूरी बताया था।
बजरंग दल के मीडिया कन्वेनर एस कैलाश ने कहा था कि कार्यक्रम स्थल पर गैर-हिंदुओं का प्रवेश रोकने और गैर-हिंदू बाउंसरों की तैनाती से बचने के लिए आयोजकों से यह अपील की गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि दूसरे समुदाय के लोग भी डांडिया और गरबा में आते हैं। लेकिन, इसका कारण दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों के प्रति सद्भावना नहीं होती। असल में, समारोहों में प्रवेश करके वे महिला प्रतिभागियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं।