विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी अभियान की घोषणा की है। केंद्र सरकार से इसके खिलाफ कड़े कानून बनाने की माँग की है। साथ ही लव जिहाद के 400 से अधिक मामलों की सूची भी जारी की है।
VHP ने ‘लव जिहाद’ को जिहाद के विभिन्न स्वरूपों में सबसे वीभत्स, क्रूर और अमानवीय बताया है। विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने गुरुवार (1 दिसंबर 2022) को केंद्र सरकार से लव जिहाद और अवैध धर्मातरण को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने की माँग की। जैन ने कहा, “सामाजिक असंतोष और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लव जिहाद एक बहुत बड़ा खतरा है। ऐसे में अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए एक सशक्त केंद्रीय कानून की प्रबल आवश्यकता है। श्रद्धा हत्या मामले में इसका वीभत्स स्वरूप सामने आया है।”
Press Statement:
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) December 1, 2022
Muslim fanatics should control their tongue their youths: @drskj01
Releasing a list of 400+ cases of Love Jihad, VHP demands strict anti-conversion central law and announces nationwide programs. pic.twitter.com/LzlgdNdFDE
डॉ. जैन ने मुस्लिम कट्टरपंथियों को चेताते हुए कहा कि वे अपनी जुबान और अपने जवान दोनों पर नियंत्रण रखें। भारत में मुस्लिम समाज को विकास के लिए हिंदुओं से भी ज्यादा अधिकार हैं, लेकिन हर मुद्दे पर भड़काने का प्रयास मुस्लिम समाज को विकास नहीं, विनाश के मार्ग पर धकेलेगा।
उन्होंने धर्मांतरण के विरुद्ध बिगुल फूँकते हुए राष्ट्रव्यापी जन जागरण अभियान की घोषणा की। विहिप के संयुक्त महामंत्री ने बताया कि इस दौरान बजरंग दल 1 से 10 दिसंबर तक हर प्रखंड में शौर्य यात्रा निकालेगा। वहीं विश्व हिंदू परिषद 21 से 31 दिसंबर तक धर्म रक्षा अभियान चलाएगी।
जैन के अनुसार, केरल हाई कोर्ट ने भी 2010 में लव जिहाद को धर्मांतरण का सबसे वीभत्स स्वरूप बताया था। उन्होंने कहा कि इसको कुछ विकृत मानसिकता वाले जिहादी युवकों की क्रूरता कहकर टाला नहीं जा सकता। इसके पीछे मुल्ला-मौलवी व कट्टरपंथी मुस्लिम नेताओं की प्रेरणा और टुकड़े-टुकड़े गैंग का संरक्षण काम करता है।
डॉ. जैन के मुताबिक, पिछले दिनों सर तन से जुदा गैंग भी काफी तेजी से सक्रिय हुआ था। ऐसे में अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद के आतंकी गठजोड़ और इसके अंतरराष्ट्रीय स्वरूप को केवल कुछ राज्यों में कानून बनाकर नहीं रोका जा सकता। इसके लिए एक राष्ट्रव्यापी संकल्प जरूरी है, जो एक सशक्त राष्ट्रीय कानून से ही संभव होगा।