Friday, November 15, 2024
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‘यह बंगाल सरकार की नाकामी, अस्पताल को बंद कर देना चाहिए’: हाई कोर्ट ने ममता सरकार को रगड़ा, कोलकाता के जिस हॉस्पिटल में रेप-मर्डर वहाँ ‘भीड़’ ने किया था उपद्रव

मुख्य न्यायाधीश शिवगनम ने राज्य सरकार को लताड़ते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल के नागरिक के रूप में आपको भी परेशान होना चाहिए। आप यहीं पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। इससे आपको भी दुख होना चाहिए! इससे मुझे भी दुख होता है।”

कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर की रेप के बाद बर्बर तरीके से हत्या के बाद प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर हमले का कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट ने शुक्रवार (16 अगस्त 2024) को घटनास्थल पर सबूतों को मिटाने के लिए शुरू किए गए निर्माण कार्य को राज्य सरकार से पूछा कि क्या वहाँ मरम्मत का कार्य इतना जरूरी थी। इसके अलावा आरजी कर मेडिकल अस्पताल में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर हुए हमलों को लेकर भी राज्य सरकार पर सवाल उठाया है।

हाई कोर्ट के उठाए सवालों पर राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी, लेकिन 5000 से 7000 लोगों की भीड़ ने आगे बढ़ते हुए अवरोधकों को तोड़ दिया। इसमें कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए। इस पर मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इसे खुफिया जानकारी हासिल करने में पुलिस की नाकामी बताया है।

हाई कोर्ट की पीठ ने कहा, “आम तौर पर पुलिस के पास खुफिया शाखा होती है। हनुमान जयंती पर भी ऐसी ही घटना हुई। अगर 7,000 लोग इकट्ठा हो जाते हैं तो यह मानना ​​मुश्किल होता कि राज्य पुलिस को पता नहीं था। आप किसी भी कारण से सीआरपीसी की धारा 144 के आदेश पारित करते हैं।”

पीठ ने आगे कहा, “जब इतना हंगामा हो रहा हो तो आपको (राज्य सरकार एवं पुलिस को) पूरे इलाके की घेराबंदी कर देनी चाहिए थी। यह राज्य की मशीनरी की पूरी तरह से विफलता है। क्या इस बर्बरता को रोका जा सकता था, यह सवाल बाद में आता है। सभी सुविधाओं को तोड़ने का क्या कारण हो सकता है?”

हाई कोर्ट की पीठ ने कहा, “हमारे विचार से पुलिस को घटना के लिए जिम्मेदार घटनाओं का पूरा क्रम रिकॉर्ड में दर्ज करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर, जो वर्तमान में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा दी जानी चाहिए। हमने पहले भी डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करने के उनके दायित्व की याद दिलाई थी।”

न्यायमूर्ति शिवगनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने जूनियर डॉक्टर से रेप एवं हत्या वाली जगह पर मरम्मत के सवाल को लेकर भी राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। पीठ ने राज्य सरकार से उन आरोपों पर जवाब देने को कहा, जिसमें अपराध स्थल से सबूत मिटाने के लिए नवीनीकरण का काम करने का आरोप लगाया गया है।

इस पर पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वकील ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा, “ये सभी आरोप कि पीओ (घटनास्थल) को ध्वस्त कर दिया गया है, नष्ट कर दिया गया है… सही नहीं हैं। जो विध्वंस कार्य हुआ वह पीओ के पास नहीं था।” राज्य के वकील ने कहा कि नवीनीकरण का काम डॉक्टरों के लिए एक शौचालय के लिए था। हालाँकि, अदालत ने इस कदम के समय पर सवाल उठाया।

इस पर न्यायालय ने सवाल किया, “आखिर इतनी जल्दी क्या थी? आप किसी भी जिला न्यायालय परिसर में जाइए, देखिए कि महिलाओं के लिए कोई शौचालय है या नहीं! मैं यह जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ। पीडब्ल्यूडी ने क्या किया है? हम मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देंगे और (आरजी कर) अस्पताल को बंद कर देंगे। यही सबसे अच्छा होगा।”

राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता ने कहा कि अपराध स्थल के अवशेषों को सुरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने कहा, “मुद्दा पी.ओ. का है। अभी तक पी.ओ. पर कोई तोड़फोड़ नहीं हुई है।” इसके बाद पीठ ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार को घटनास्थल का तस्वीरों के साथ हलफनामा दायर करने के लिए कहा, ताकि यह दिखाया जा सके कि अपराध स्थल अभी भी बरकरार है।

मुख्य न्यायाधीश शिवगनम ने राज्य सरकार को लताड़ते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल के नागरिक के रूप में आपको भी परेशान होना चाहिए। आप यहीं पैदा हुए और पले-बढ़े हैं! इससे आपको भी दुख होना चाहिए! इससे मुझे भी दुख होता है!”

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर की रेप के बाद उसकी क्रूरता से हत्या कर दी गई थी। इसके विरोध में पूरे देश के डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन के दौरान 14 अगस्त को हजारों की भीड़ वाली उपद्रवियों ने प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों पर हमला कर दिया था। इसके साथ अस्पताल में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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