Monday, December 23, 2024
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9 दिन शादी को हुए थे, MLA को खदेड़-खदेड़ कर बरसाई गोलियाँ… खौफ से भाग खड़े हुए HC के 10 जज: सपा के संरक्षण में फला-फूला अतीक अहमद

2016 में कृषि विश्वविद्यालय (SHUATS) के कर्मचारियों की उसने बुरी तरह पिटाई की थी। इस घटना के बाद अखिलेश सरकार की खूब भद्द पिटी थी। कर्मचारियों को पीटते हुए उसका वीडियो भी वायरल हो गया था।

उत्तर प्रदेश में एक ऐसा समय था, जब माफिया ही राज करते थे। उनके सहारे सपा और बसपा सत्ता में आते-जाते रहते थे। मुख़्तार अंसारी और आजम खान के अलावा वहाँ का एक और माफिया हैं अतीक अहमद, जिसका नाम हाल ही में उमेश पाल हत्याकांड में आया। उमेश पाल, विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह थे। उमेश पाल को प्रयागराज में दिन-दहाड़े मार डाला गया। इस हत्याकांड में अतीक अहमद का बेटा भी इस हत्याकांड में खुलेआम गोलियाँ बरसाता हुआ नज़र आया।

विधायक को मरवाया, गवाह का अपहरण करवाया, अब गवाह को ही मार डाला

इस दौरान अतीक अहमद के गुर्गों ने न सिर्फ उमेश पाल, बल्कि उनके सुरक्षाकर्मी यूपी पुलिस के संदीप निषाद को भी मार डाला। आजमगढ़ के संदीप निषाद गरीब परिवार से आते थे और उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी। अतीक अहमद का आतंक ऐसा है कि उसे उत्तर प्रदेश से गुजरात के जेल में हस्तानांतरित करना पड़ा था। वो साबरमती जेल में बंद है। उमेश पाल की पत्नी जया का ये भी कहना है कि 2006 में भी अतीक अहमद के गुंडों ने उनके पति का अपहरण किया था।

तब उमेश पाल का अपहरण कर के जबरदस्ती उससे अतीक अहमद के पक्ष में गवाही दिलाई गई थी। इससे संबंधित सुनवाई अभी तक चल रही थी, जिस मामले में उमेश पाल हाल ही में प्रयागराज जिला अदालत में भी गए थे। वहाँ से घर लौटते ही उन पर ये हमला हो गया। याद हो कि 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने 2004 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद वेस्ट से अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराया था।

उनकी हत्या के बाद उपचुनाव हुआ और अशरफ राजू पाल की पत्नी को हरा कर विधायक बन बैठा। हाल के कुछ वर्षों में अतीक अहमद का राजनीतिक वर्चस्व भी खात्मे के कगार और है, ऐसे में उसके परिवार ने अपना खौफ बनाए रखने के लिए इस घटना को अंजाम दिया। अतीक अहमद की अब तक लगभग 400 करोड़ रुपयों की अवैध संपत्ति जब्त की जा चुकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रावस्ती से उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा।

2019 के मध्य में तब यूपी में अतीक अहमद का नाम नए सिरे से चर्चा में आया था, जब पता चला कि उसने देवरिया के जेल में ही एक कारोबारी की पिटाई की है। बरेली के व्यापारी मोहित जायसवाल ने तब बताया था कि उन्हें अतीक अहमद के गुर्गे टांग कर ले गए और पिटाई की। अतीक अहमद और उसके बेटे उमर अहमद के सामने उन्हें मारा-पीटा गया। अहमद ने मोहित के पाँच व्यापार जबरन अपने नाम करा लिए। इसकी क़ीमत 45 करोड़ रुपए आँकी गई थी।

इतना ही नहीं, मोहित के फॉर्च्यूनर कार को भी लूट लिया गया था। इस घटना से 2 वर्ष पहले भी अतीक ने मोहित से कई लाख रुपए जबरन वसूले थे। वो पिछले 4 महीनों से उनसे और रुपयों की माँग कर रहा था। उसने जेल में ही क़ानून को धता बताते हुए मोहित के दाहिने हाथ की दो उँगलियाँ तुड़वा डाली थीं। मोहित के अलावा एक अन्य व्यापारी ने भी उस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। प्रयागराज के व्यापारी मोहम्मद ज़ाएद ख़ालिद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस प्रशासन को पत्र लिखकर बताया था कि उसे अतीक अहमद के दर्जन भर गुंडे जबरन टांग कर देवरिया जेल ले गए।

वहाँ अतीक अहमद ने उससे गाली-गलौज किया और विष्णुपुर में उसके किसी ज़मीन को अपने आदमी के नाम ट्रांसफर करने को कहा। जब ये सब किया जा रहा था तब जाएद की मदद के लिए जेल का कोई भी अधिकारी या पुलिसकर्मी नहीं आया। अतीक अहमद को गुजरात भेजे जाने का कारण ये भी था कि देवरिया के जेल में वो जिसे चाहे उसे टांग कर मँगा लेता था और वहाँ से रंगदारी का धंधा चला रहा था। सोचिए, फिर आम जनता पर उसके चरम अत्याचार के दिनों में क्या बीतती होगी!

5 बार विधायक और 1 बार सांसद रह चुका है अतीक अहमद, समाजवादी पार्टी ने दिया संरक्षण

अतीक अहमद पहली बार इलाहाबाद पश्चिम से 1989 में जीत कर विधानसभा पहुँचा। उसे 25,000 (33%) से अधिक वोट मिले थे। 1991 में इलाहाबाद पश्चिम से अतीक अहमद ने अपना दूसरा चुनाव लड़ा। 51% मत पाकर उसने भारी जीत दर्ज की। उसे इस चुनाव में 36,000 से अधिक वोट मिले थे। 1993 के विधानसभा चुनाव में उसे 56,000 मत मिले और उसे मिला मत प्रतिशत 49% रहा। 1996 में न सिर्फ़ उसे मिलने वाले मतों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ बल्कि मत प्रतिशत भी बढ़ गया। उसे कुल मतों का 53% यानी 73,000 के क़रीब वोट मिले।

2002 में उसे मिलने वाले मत और मत प्रतिशत में भारी कमी दर्ज की गई और ये उसके दूसरे चुनाव में मिले मतों के आसपास ही रहा लेकिन फिर भी वो जीत दर्ज करने में कामयाब रहा। इस तरह उसने इलाहबाद पश्चिम को पाँच बार जीता। पहले तीन चुनाव उसने निर्दलीय लड़ा। 1996 में मुलायम सिंह यादव के क़रीब आने के बाद उसने सपा के टिकट पर चुनाव जीता था। इसी तरह 2002 में उसने अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल का विश्वस्त बन कर इसके टिकट पर चुनाव जीता। वो अपना दल का अध्यक्ष भी रहा।

अब आते हैं राजू पाल हत्याकांड पर, जिसके गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अतीक अहमद के काले साम्राज्य को तबाह करने के लिए तेज़ी से जुट गई है। गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने जाते समय उनकी दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई थी। 2014 में सपा उम्मीदवार के रूप में अतीक अहमद ने दावा किया था कि उसके ऊपर 188 मामले चल रहे हैं और उसने अपनी आधी ज़िंदगी जेल में व्यतीत की है, जिस पर उसे गर्व है।

राजू पाल खुद कभी अतीक अहमद के साथ ही काम किया करते थे। 25 जनवरी, 2005 को हुए इस हत्याकांड में उन्हें कई गोलियाँ मारी गई थीं। उनके समर्थकों ने इसके बाद उन्हें एक टेम्पो में लादा और अस्पताल लेकर जाने लगे। लेकिन, अपराधी इतने बेख़ौफ़ थे कि उन्होंने 5 किलोमीटर तक उस टेम्पो का पीछा किया और घेर कर गोलियाँ बरसाईं। वो हर हाल में राजू पाल को मारना चाहते थे। 9 दिन पहले ही उनकी शादी हुई थी।

यानी, पूजा पाल के हाथों से अभी मेहंदी का रंग भी नहीं उतरा था। लेकिन, अतीक अहमद का खौफ ऐसा कि उपचुनाव के प्रचार में उन्हें कर बार रोता हुआ देख कर भी लोगों ने उन्हें नहीं जिताया। फ़िलहाल वो सपा से ही विधायक हैं। अतीक अहमद पर तभी हत्या का आरोप लग गया था, जब वो सिर्फ़ 17 वर्षों का था। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में ऐसा नाम बनाया कि मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन भी उसके सामने फीके पड़ जाएँ!

2016 में कृषि विश्वविद्यालय (SHUATS) के कर्मचारियों की उसने बुरी तरह पिटाई की थी। इस घटना के बाद अखिलेश सरकार की खूब भद्द पिटी थी। कर्मचारियों को पीटते हुए उसका वीडियो भी वायरल हो गया था। जब उसने ज़मानत के लिए आवेदन दिया था तब एक-एक कर 10 जजों ने उसका केस सुनने से मना कर दिया था। 11वें जज ने आख़िर में उसका केस उठाया और उसे ज़मानत मिली। मात्र 17 की उम्र में पहली हत्या करने वाले अतीक अहमद के खिलाफ 120 मामले लंबित हैं।

योगी राज में बदल लिया चोला, गुर्गों ने शुरू कर दिया जमीन कब्जे का धंधा

अतीक अहमद के गुर्गों ने 2022 में ही फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया था। इस बार उनलोगों ने जमीन की हेराफेरी का धंधा कर के कमाना शुरू कर दिया। अकेले 2022 में यूपी में ऐसे 450 मामले सामने आए थे, जिनमें से कई अतीक अहमद के गुर्गों से जुड़े थे। पीपलगांव निवासी सूरजपाल धूमनगंज के भीटी असदुल्लाहपुर में जब अपने प्लॉट पर गया तो अतीक अहमद के गुंडों ने उसे पीटा और 20 लाख रुपया रंगदारी के रूप में माँगा।

गयासुद्दीनपुर की एक विधवा ने आरोप लगाया कि उनके भी जमीन पर अतीक अहमद के गुर्गों ने कब्ज़ा कर लिया है। गाली-गलौज से लेकर मारपीट तक की गई। जुलाई 2021 में तो अतीक अहमद के गुर्गों ने 1.872 हेक्टेयर जमीन सरकारी जमीन ही कब्ज़ा ली और कोई कार्रवाई नहीं हुई। अतीक अहमद के गुर्गे इतने बेख़ौफ़ हैं कि उन्होंने करेली थाना क्षेत्र के एनुद्दीनपुर में कुर्क की गई जमीनों को ही बेच डाला, उस पर मकान तक बना दिए गए और कुर्की का नोटिस उखाड़ फेंका गया।

इसी तरह अतीक अहमद के एक बेटे अली पर मारपीट का मामला खुल्दाबाद थाने में दर्ज किया गया था। 21 दिसंबर, 2021 को उसने उस पर 5 करोड़ रुपए की रंगदारी माँगने और और मारपीट करने का मामला दर्ज किया गया। इसका वीडियो भी सामने आया था। तब पुलिस ने अतीक अहमद के बेटे के विरुद्ध 25,000 रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था। अब फिर अतीक अहमद और उसके गुर्गों ने यूपी में दहशत फैलाई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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