लखनऊ के हजरतगंज में मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले विश्व हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रंजीत बच्चन की दिनदहाड़े सिर में गोली मार कर तब हत्या कर दी गई, जब वो मॉर्निंग वॉक पर निकले हुए थे। इस हत्या की ख़बर के सामने आते ही लोगों के जेहन में पिछले साल के कमलेश तिवारी हत्याकांड की यादें ताज़ा हो गईं। कमलेश तिवारी का गला रेत डाला गया था और उन्हें गोली भी मारी गई थी। ताज़ा वारदात की बात करें तो यूपी पुलिस की 6 टीमें जाँच में लगी हुई है, लेकिन अपराधियों का कोई सुराग अभी नहीं लगा है।
उनकी हत्या के बाद पुलिस उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स खँगालने में भी जुटी हुई है। कमलेश तिवारी हत्याकांड के 3 आरोपित हाल ही में जमानत पर बाहर निकले हैं। जिस तरह कमलेश को सोशल मीडिया के जरिए फँसाया गया, रंजीत वाले मामले में भी पुलिस इस कोण से जाँच कर रही है। उनके परिजनों व मिलने-जुलने वालों से जानकारी जुटाई जा रही है। पता चला है कि हमलावर ने अपने मुँह को शॉल से ढक रखा था। वो अपने साथ रंजीत के दो मोबाइल फोन भी ले गया है।
लखनऊ में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद ये पहली बड़ी वारदात है, जो प्रदेश की क़ानून-व्यवस्था को चुनौती देते हुए नज़र आ रही है। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कहा है कि ये वारदात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपराधियों की सीधी चुनौती है।
हजरतगंज सर्कल के कमिश्नर अभय मिश्रा ने बताया कि हत्यारों ने रंजीत से एक कॉल करने के बहाने उनका मोबाइल फोन माँगा। इसके बाद उन्हें नजदीक से सिर में गोली मारी गई। सीसीटीवी फुटेज की भी जाँच की जा रही है। वहीं, उनके मौसेरे भाई आदित्य भी इस गोलीकांड में घायल हो गए, जिनका इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है। 1 दिन पहले शनिवार (फरवरी 1, 2020) को ही उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया था। उनके साले मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि रंजीत ने सीएए और एनआरसी के समर्थन में रैली भी आयोजित की थी।
रंजीत बच्चन बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े फैन थे। वो हिन्दू संगठन में सक्रिय होने से पहले समाजवादी पार्टी में काफ़ी दिनों तक रहे थे। साइकिलिंग के लिए विख्यात अपनी पत्नी कालिंदी निर्मल शर्मा से साथ रंजीत बच्चन ने शांति सद्भावना साइकिल यात्रा भी पूरी की थी। कालिंदी का साइकिलिंग के लिए नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। रंजीत भी साइकिल चलाने के शौक़ीन थे। उन्होंने साइकिल से ‘सद्भावना यात्रा’ पूरी करते हुए 1.32 लाख किलोमीटर की दूरी तय की थी। वो मूल रूप से गोरखपुर जिले के गोला के अहरौली पंचगाँवा के रहने वाले थे।
उन्होंने फरवरी 4, 2002 को कालिंदी निर्मल शर्मा के साथ ये यात्रा शुरू की थी। उन्होंने भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और बर्मा के बॉर्डर एरिया को साइकिल से छान मारा था। उन्होंने कुल मिला कर एक लाख बत्तीस हजार दो सौ पचास किमी की यात्रा तय कर भारत के 28 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की यात्रा पूरा की थी। उनकी ये यात्रा 7 साल 10 महीने 13 दिन तक चली थी। दिसंबर 18, 2009 को एमपी इंटर कॉलेज उनकी इस यात्रा का अंतिम पड़ाव बना था।
वहीं कालिंदी निर्मल शर्मा की बात करें तो वो कुशीनगर के नेबुआ नैरंगिया के बैरवा पाट्टी की रहने वाली हैं। रंजीत गोरखपुर प्रेस क्लब में भी सक्रिय रहे हैं और वो साल 2004 के दौरान अक्सर वहाँ देखे जाते थे। उस समय वह गोरखपुर में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते थे और उनमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे। किन्हीं कारणों से पत्नी के साथ उनके संबंधों में दरार आ गई रही। उस मामले में एक केस भी चल रहा था।
वहीं रंजीत पहले समाजवादी पार्टी से भी जुड़े रहे हैं। ततकालीन सपा सरकार ने ही उन्हें राजधानी की ओसीआर बिल्डिंग में फ्लैट आवंटित किया था। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस हत्याकांड के बाद योगी सरकार को घेरा है। सपा ने आरोप लगाया कि लोगों का पुलिस पर विश्वास ख़त्म हो गया है और लखनऊ में दहशत का माहौल है, इसलिए योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए। सपा ने योगी सरकार को ‘निकम्मी’ करार दिया।
लखनऊ में दिनदहाड़े हिन्दू महासभा के अध्यक्ष की हत्या से आम जनमानस में दहशत! उत्तर प्रदेश में सरकार और पुलिस का इकबाल खत्म हो गया है! निकम्मी सरकार तत्काल इस्तीफा दे।https://t.co/rqfhOMrLJr
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) February 2, 2020
कहा जा रहा है कि आज रंजीत और उनकी पत्नी अलग-अलग मॉर्निंग वाक के लिए निकले थे। उनकी हत्या के बाद घर पर समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा। वहीं कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस हत्याकांड पर मुख्यमंत्री को घेरते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ अब सिर्फ़ भाषण मंत्री बन कर रह गए हैं।