यस बैंक घोटाले के आरोप में इन दिनों राणा कपूर का नाम सुर्खियों में हैं। राणा कपूर के साथ उनकी तीनों बेटियाँ भी बड़े स्तर पर हुए फर्जीवाड़ा का हिस्सा बताई जा रही हैं। तीनों का नाम- राखी कपूर टंडन, राधा कपूर और रोशनी कपूर है। इनके ख़िलाफ़ ईडी ने लुकआउट नोटिस जारी किया है। इनके अलावा इस बैंक से एक और बेटी का नाम जुड़ा है। लेकिन इस बेटी को बैंक में अपनी हिस्सेदारी पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत के हस्तक्षेप से जब हक मिला तब तक शायद काफी देर हो चुकी थी। लेकिन, अब भी उनका मानना है कि यदि आज उनके पिता जिंदा होते तो बैंक इस तरह नहीं डूबता।
हम बात कर रहे हैं- शगुन कपूर गोगिया की। शगुन, यस बैंक की स्थापना करने वाले अशोक कपूर की बेटी हैं। उन्हें राणा कपूर से एक समय में बड़ा धोखा मिला। लेकिन, पिता की मौत के बाद आई इस परेशानी की घड़ी में उन्होंने हार नहीं मानी और बैंक में अपनी जगह पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। नतीजतन, बाद में जाकर वह बैंक के बोर्ड में शामिल हो ही गईं।
शगुन कपूर मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहती हैं कि यस बैंक का मूल आइडिया उनके पिता का ही था। जिन्होंने इसे एनबीएफसी से बैंक और फिर अहम मुकाम तक पहुँचाने में योगदान दिया। उनका मानना है कि उनके पिता के रहते बैंक ऐसी परेशानियों में कभी नहीं घिरता। वे इसके संचालन में इतनी गड़बड़ियाँ कभी नहीं होने देते।
अब सवाल है कि जब अशोक कपूर मूल रूप से इस बैंक के कर्ता-धर्ता थे, तो फिर फ्रेम में राणा कपूर का नाम और उनकी बेटियों का नाम कैसे आया और आखिर क्यों अशोक कुमार की बेटी को अपने पिता के बैंक में ही जगह पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी?
दरअसल, ये मनमुटाव की कहानी शुरू होती है 2008 के बाद से। लेकिन इससे पहले ये जानने की जरूरत है कि यस बैंक की शुरुआत में अशोक कपूर और राणा कपूर का आपस में क्या संबंध हैं? तो बता दें, साल 1999 में अशोक कपूर (ABN Amro Bank के पूर्व कंट्री हेड) हरकीरत सिंह ( पूर्व कंट्री हेड Deutche Bank) और राणा कपूर (पूर्व प्रमुख कॉर्परेट और फाइंनेस ANZ Grindlays Bank) ने रोबोबैंक के साथ मिलकर नॉन बैंकिंग फाइंनेंस कंपनी की शुरुआत की। मगर, बाद में हरकीरत सिंह इससे बाहर निकल गए। साल 2003 में अशोक और राणा कपूर को बैंक चलाने का लाइसेंस मिला और वर्ष 2004 में यस बैंक की शुरुआत हुई।
इस शुरुआत के बाद अशोक कपूर बैंक के अध्यक्ष बने, जबकि राणा को बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। बैंक ने ग्राहकों के सेविंग अकाउंट पर 6 परसेंट का ब्याज दर देना शुरू किया। लिहाजा कुछ ही सालों में बैंक के पास लाखों ग्राहक पहुँच गए। बैंक बड़े कंपनियों को ऊँचे दर पर लोन दिया करती थी। इसी बीच अशोक कपूर और राणा कपूर की दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई। अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर की बहन से राणा कपूर ने शादी कर ली। ये वो समय था जब दोनों बिजनेस पार्टनर और दोस्त से साढू बने। यानी राणा कपूर बने शगुन के मौसा।
इस दौरान सब कुछ बढ़िया चलता रहा। बैंक भी तेजी से तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ा, लेकिन साल 2008 में मुंबई हुए 26/11 हमले ने पूरी कहानी को ही पलट दिया। अशोक कपूर आतंकी हमले का शिकार हो गए।
अशोक की मौत के बाद उनकी पत्नी ने अपने बेटी यानी शगुन को बैंक का निदेशक बनाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन बैंक ने उस समय ये कहते हुए उनकी दावेदारी खारिज कर दी कि वो RBI के गाइडलाइंस को पूरा नहीं करती। बाद में मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँचा और साल 2015 में फैसला अशोक कपूर के हक में आया।
लंबी कानूनी के बाद 2019 में शगुन काे यस बैंक के बोर्ड में जगह मिल पाई। 26 अप्रैल 2019 को शगुन बैंक की एडिशनल डायरेक्टर बनाई गईं। इससे पहले साल 2012 में एक और वाकया हुआ जिसने शगुन के सामने उसके मौसा की हकीकत को खोलकर रख दिया।
दरअसल, राणा कपूर ने वर्ष 2012 में अपने बैंक का इतिहास छपवाया था। लेकिन उसने इस इतिहास में अशोक कपूर का कोई ज़िक्र नहीं करवाया। इसे देखने के बाद अशोक कपूर के परिवार ने इसे अपने दोस्त के साथ धोखा करार दिया।
आज बैंक की स्थिति देखकर भी शगुन का कहना है कि उनका और उनके परिवार का भरोसा बैंक पर बरकरार है। इसलिए उन्होंने अपनी 8.5% हिस्सेदारी नहीं बेची। उनका कहना है कि वे इसे उबारने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। बैंक के एस्क्रो अकाउंट में 3600 करोड़ रुपए (50 करोड़ डॉलर) हैं। इससे जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने में मदद मिलेगी।