दिल्ली में हुए दंगों में उपद्रवियों ने किसी को नहीं बख्शा। बड़े बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक को इस हिंसा में निशाना बनाया गया। 8वीं कक्षा में पढ़ने वाला नितिन भी इसी दरिंदगी का शिकार हुआ और अपनी जान से हाथ धो बैठा।
नितिन की गलती सिर्फ़ इतनी थी कि अपने घर के आसपास के माहौल को शांत देख उसने घर से बाहर पैर तो रखा, लेकिन दंगाइयों से अपनी जान बचा पाने में असफल रहा। उसे गोली लगी या पत्थर… किसी को कुछ नहीं पता। लेकिन जब उसे अस्पताल ले जाया गया तब वो जिंदा था, मगर सिर में चोट इतनी गहरी थी कि वो 3-4 घंटे में ही जिंदगी की जंग हार गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना गोकुलपुरी इलाके की है। यहाँ नितिन के पिता राम सुगारक बताते हैं कि 26 फरवरी को उनका बेटा घर से चाऊमिन लेने निकला था। उस समय दोपहर के करीब 2:30 बजे थे।
उनके अनुसार, “घर से मुश्किल से 100 मीटर की दूरी पर उस दिन नितिन चाऊमिन लेने गया था। तब तक वहाँ हिंसा नहीं थी। मगर पड़ोसियों ने हमें बताया कि जैसे ही नितिन ने घर से बाहर कदम रखा, पता नहीं अचानक क्या हुआ… पत्थरबाजी, गोलीबारी, आँसूगैस के गोले छोड़े जाने लगे।”
नितिन के पिता बताते हैं कि करीब आधे घंटे बाद उन्हें कॉल आया कि नितिन मिल नहीं रहा है। वो घर आए, उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मिला। फिर मालूम हुआ कि पुलिस नितिन को जीटीबी अस्पताल ले गई है।
इसके बाद नितिन के पिता अस्पताल पहुँचे। उन्होंने देखा कि नितिन के सिर पर चोट आई थी। लेकिन तब तक वो जिंदा था। डॉक्टरों ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की। मगर करीब 3-4 घंटे तक जिंदगी से लड़ने के बाद 15 साल के बच्चे ने दम तोड़ दिया। इसके बाद शनिवार को उसका शव परिवार को सौंपा गया।
गौरतलब है कि 24-25 फरवरी को हुई हिंसा के कारण अब तक 45 लोगों की जानें जा चुकी हैं। स्थिति को सामान्य करने की पूरी कोशिश की जा रही है। लेकिन कुछ अराजक तत्व अभी भी अफवाह फैलाने की कोशिशें कर रहे हैं। इसलिए दिल्ली के लगभग हर इलाके में एहतियातन पुलिस की चौकसी बढ़ा दी गई है और अफवाहों का खंडन कर शांति बहाली की अपील की जा रही है।
हाथ काटा, पैर काटा, माँस के टुकड़े की तरह आग में फेंक दिया: मृतक दिलबर नेगी का विडियो वायरल
मेरे भाई को जिहाद ने मारा है, एक-एक मस्जिदों व मदरसों की तलाशी ली जाए: दलित दिनेश के भाई