यूट्यूब पर डॉ सलमा नासिर नाम की महिला गर्भवती महिलाओं की ‘नॉर्मल डिलीवरी’ पर वीडियो बनाती है। इंस्टाग्राम पर भी सलमा नासिर के 50 हजार से अधिक फॉलोवर्स हैं। लेकिन अब उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में उसका अस्पताल सीज कर दिया गया है। यहाँ जच्चा-बच्चा को गलत खून चढ़ाने से मौत हो गई थी, जिसके बाद प्रशासनिक जाँच में सलमा का अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन और बिना ट्रेंड स्टाफ के चलता पाया गया। यही नहीं, पैथोलॉजी सेंटर भी फर्जी तरीके से संचालित किया जा रहा था, जिसके बाद प्रशासन ने सबकुछ सीज कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार (16 जुलाई) को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे डॉ. सलमा नासिर के हेल्थ केयर सेंटर को सील कर दिया । निरीक्षण के दौरान उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने यूट्यूबर और डॉक्टर सलमा नासिर के इस अस्पताल में अवैध लैब भी पाई। दोनों ‘दुकानों’ को सील करने के साथ ही टीम ने मझोला थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए लिखित शिकायत भी दर्ज कराई।
मंगलवार को नोडल अधिकारी वैक्स/उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार ने रहमत नगर स्थित सलमा नासिर हेल्थ केयर का निरीक्षण किया। क्लीनिक पर जयंतीपुर निवासी आरिफ (18 वर्ष) खून के नमूने ले रहा था। आरिफ 11वीं का छात्र है, जो पिछले दो माह से नमूने एकत्र कर रहा है। इसके अलावा डिंगरपुर निवासी सना खान वहाँ खाना बनाती मिली। निरीक्षण के दौरान आठ बेड, एक एनआईसीयू बेड, एक फोटोथेरेपी मशीन और एक ऑपरेशन थियेटर संचालित पाया गया। अस्पताल के कर्मचारियों ने अधिकारियों को बताया कि डॉ. सलमा नासिर अस्पताल चलाती हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम को अस्पताल में अवैध पैथोलॉजी लैब भी चलती मिली।
अस्पताल के लेटरहेड पर डॉ. मोहम्मद असीम, डीएमएलटी और डॉ. के कुमार, एमडी पैथोलॉजी दोनों का उल्लेख था, लेकिन उनमें से कोई भी अस्पताल में नहीं था। अवैध पैथोलॉजी लैब के अंदर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को रक्त संग्रह बैग, एक माइक्रोस्कोप, एक सेंट्रीफ्यूज, एक ब्लड रोलर, एक सेल काउंटर और एक मॉनिटर मिला। जब सीएमओ और उनकी टीम ने निरीक्षण किया तो सलमा नासिर के अस्पताल में दो मरीज भर्ती थे।
नोडल अधिकारी-उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि जाँच के दौरान दवाइयाँ भी पाई गईं। इनमें मल्टीविटामिन, बीटामेथासोन सोडियम फॉस्फेट और रैनिटिडीन आदि शामिल हैं। डॉ. नरेंद्र कुमार ने कहा, “अस्पताल को सील करने के अलावा अस्पताल के संचालक और चिकित्सक के खिलाफ थाना मझोला में मुकदमा दर्ज कराया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि संचालक के द्वारा आम लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ एवँ धोखाधड़ी की जा रही है।” उन्होंने बताया कि अस्पताल न तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में पंजीकृत है और न ही उन्होंने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी के कार्यालय में पंजीकरण से संबंधित कोई रिकॉर्ड जमा किया है। स्वास्थ्य सेवा सुविधा में कोई पेशेवर डॉक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद नहीं था। अस्पताल में आग से सुरक्षा या बायोमेडिकल कचरे के निपटान की भी कोई व्यवस्था नहीं थी।