Sunday, December 22, 2024
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पटाखे ही क्यों, रवीश कुमार चाहते हैं हिन्दुओं का साँस लेना भी कर दिया जाए बैन: पराली पर नहीं फूटा बकार, दिवाली पर घृणा की बौछार

उन्होंने हिन्दुओं को दोषी बताने के लिए लिखा है कि आप लाख फेफड़ों का बुरा हाल बताएँगे, लोग पटाखे फोड़ेंगे ही। रवीश कुमार का मानना है कि फेफड़े के रोग के लिए हिन्दू पर्व-त्योहार ही जिम्मेदार हैं। हाँ, ईद बहुत अच्छा है जहाँ एक दिन में ही करोड़ों बकरों को काट कर मुस्लिम खा जाते हैं, न रहता है शरीर और न बचता है फेफड़ा।

एक पत्रकार है, जो पहले NDTV में था लेकिन जैसे ही गौतम अडानी ने इस मीडिया संस्थान को खरीदा वो पत्रकार वहाँ से भाग खड़ा हुआ और यूट्यूबर बन गया। अब उस पत्रकार को प्रदूषण काट रहा है। प्रदूषण के भी 2 प्रकार हैं। पहले, पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाने के कारण होने वाला प्रदूषण जो पूरे 2 महीने चलता है। ये रवीश कुमार को नहीं काटता था। दूसरा, दिवाली के दिन कुछ घंटे पटाखे फोड़े जाने के कारण हुआ हल्का-फुल्का प्रदूषण। ये रवीश कुमार को बहुत काटता है।

इसका कारण है। कारण ये है कि पराली जलाने वाले वो किसान होते हैं जिन्होंने आंदोलन के नाम पर 3 कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी को 1 वर्ष से भी अधिक समय तक बंधक बना कर रखा था। दिल्ली की सीमाएँ घेर ली गई थीं और दलालों को बचाने के लिए किसानों की आय बढ़ाने के लिए लाए गए कानूनों का विरोध हुआ। दूसरा कारण ये है कि पंजाब में AAP की सरकार है। भाजपा के खिलाफ जो लोग हैं, वो पूरी धरती में आग लगा दें तो भी रवीश कुमार को ठंडक ही महसूस होगी।

वहीं दिवाली पर प्रदूषण का राग अलापने के पीछे कारण है कि ये एक हिन्दू त्योहार है और नरेंद्र मोदी के युग को हिन्दू राष्ट्रवाद के पुनरुत्थान की अवधि के रूप में जाना जाता है। अयोध्या में राम मंदिर का भी उद्घाटन होना है, वहाँ दिवाली पर 22 लाख से भी अधिक दीये जला कर गिलीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। दिवाली पर हर एक पटाखे की चमक रवीश कुमार के लिए महाप्रलय से भी ज़्यादा खतरनाक है, इसका कारण यही है।

सुप्रीम कोर्ट पर तंज, रवीश कुमार के लिए दिवाली से होता है फेफड़ों का रोग

रवीश कुमार लिखते हैं कि AQI की हालत भी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव जैसी हो गई है। वाह, एकदम सही बात है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर तंज कसा है कि युद्ध की विभीषिका को लेकर चेतावनी दी जाती है, निंदा होती है मगर बम बरसते रहते हैं। एक तरह से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को संयुक्त राष्ट्र बता दिया है और दावा किया है कि उसके आदेश का पालन नहीं हो रहा। इसीलिए, वो सुझाव देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को अब अपना नाम बदल कर ‘टिप्पणी कोर्ट’ रख लेना चाहिए और पटाखे फोड़ने की पूरी छूट दे देनी चाहिए।

उन्होंने हिन्दुओं को दोषी बताने के लिए लिखा है कि आप लाख फेफड़ों का बुरा हाल बताएँगे, लोग पटाखे फोड़ेंगे ही। रवीश कुमार का मानना है कि फेफड़े के रोग के लिए हिन्दू पर्व-त्योहार ही जिम्मेदार हैं। हाँ, ईद बहुत अच्छा है जहाँ एक दिन में ही करोड़ों बकरों को काट कर मुस्लिम खा जाते हैं, न रहता है शरीर और न बचता है फेफड़ा। सब पेट में। दिवाली में जानवर डर जाते हैं, ईद इसका स्थायी समाधान करता है और जानवर को मार ही डाला जाता है। रवीश कुमार खुश होते हैं। दिवाली वाली नाराज़गी चली जाती है।

फेफड़ों की बात की है रवीश कुमार ने तो उन्हें बताना ज़रूरी है कि औसतन सबसे ज़्यादा लंग कैंसर के मरीज हंगरी में हैं, उसके बाद सर्बिया, फ़्रांस और तुर्की का नंबर आता है। दिवाली से हुआ होगा, नहीं? दिवाली के पटाखों से शायद। इस्लामी मुल्क तुर्की में भी दिवाली के कारण ही हुआ होगा, है न? वैसे दिवाली तो पूरे देश में मनाया जाता है, फिर प्रदूषण सबसे ज़्यादा दिल्ली में ही क्यों बढ़ा रहता है हर साल अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर में? दिवाली 3 महीने तो नहीं ही चलती है।

रवीश कुमार क्या चाहते हैं? दुनिया भर में 120 करोड़ से भी अधिक हिन्दू हैं, सबको जेल में ठूँस दिया जाए? दिवाली पर पटाखे बैन कर दिए जाएँ, होली पर रंग, महाशिवरात्रि पर पानी, दशहरा पर रावण जलाना और रक्षाबंधन पर राखी को प्रतिबंधित कर दिया जाए? है कि नहीं? हिन्दुओं की धरती पर, सनातन की समृद्ध भूमि पर रह जाए तो सिर्फ ईद और क्रिसमस। शायद रवीश कुमार यही चाहते हैं। तब शायद दुनिया की सारी समस्याएँ ही खत्म हो जाएँगी।

पहले रवीश कुमार को आँकड़ों से जवाब दे देते हैं। फिर उनका ‘इलाज’ भी किया जाएगा। आँकड़े कहते हैं कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएँ 25,000 के पार चली गई हैं। दिवाली के दिन भी ऐसी 1000 घटनाएँ सामने आईं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में ही सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं। दिवाली 12 नवंबर को था, जबकि इससे 10 दिन पहले ही NCR के आनंद विहार में AQI 999 पहुँच गया था। इसके लिए क्या जिम्मेदार था? हिन्दुओं का साँस लेना?

जबकि दिवाली के बाद AQI में बहुत ज़्यादा बदलाव नहीं आया है। हर इलाके में सामान्य बदलाव ही आए हैं। ये एक दिन की बात थी, पराली जलाने की प्रक्रिया पूरे 2 महीने चलती है। लेकिन, मजाल कि रवीश कुमार ने पराली को लेकर एक भी ट्वीट किया हो। अगर दिवाली से प्रदूषण होता है तो दिवाली से पहले AQI बढ़ने का क्या कारण है? रवीश कुमार आगे लिखते हैं कि पटाखे छोड़ने के बाद की हवा को ‘पवित्र पवन’ घोषित किया जाए। हर नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह खुले मैदान में जाकर इस ‘पवित्र पवन’ का सेवन करे।

हिन्दुओं के साँस लेने पर ही लगे बैन, तब खुश होंगे रवीश कुमार

मैं तो कहता हूँ कि रवीश कुमार को ये माँग करनी चाहिए कि हिन्दुओं का साँस लेना ही प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। हिन्दू साँस लेते हैं, कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ते हैं और इससे वातावरण में प्रदूषण फैलता है। सबसे अच्छा उपाय यही रहेगा। दिवाली पर पटाखे क्यों, मैं तो कहता हूँ लक्ष्मी पूजन भी बैन किया जाए। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने माँ लक्ष्मी पर सवाल उठाते हुए उनका मजाक बना ही दिया है। दिवाली पर दीये जलाने से लेकर पारंपरिक परिधान पहनने तक, सब कुछ बैन कर दिया जाना चाहिए।

मैं इस बहस में नहीं पड़ूँगा कि संयुक्त राष्ट्र कितना सफल है और कितना असफल, लेकिन इजरायल-हमास युद्ध के मामले में शुरुआत तो हमास ने किया था न? इस्लामी आतंकियों ने इजरायल में घुस कर डेढ़ हजार निर्दोषों को मार डाला। बच्चों, बुजुर्गों और जानवरों तक को नहीं बख्शा गया। महिलाओं के साथ बलात्कार कर उनकी लाश को नग्न कर जुलूस निकाला गया ‘अल्लाहु अकबर’ नारे के साथ। अब इजरायल ने जवाब देना चालू किया तो रवीश कुमार का गिरोह पूरा का पूरा एक्टिव हो गया।

साथ ही रवीश कुमार ने ‘विश्वगुरु’ वाला तंज भी कसा है। अगर आपने ‘द वैक्सीन वॉर’ फिल्म देखी होगी तो उसमें दिखाया गया है कि कैसे वामपंथी पत्रकार भारत की सफलताओं पर दुखी होते हैं और किसी छोटी सी असफलता पर भी तुरंत ‘विश्वगुरु’ वाला तंज लेकर आ जाते हैं। यही स्थिति है यहाँ भी। अमेरिका का राष्ट्रपति बाइबिल पर हाथ रख कर शपथ ले सकता है, UK के राजा का शपथग्रहण पादरी करा सकते हैं लेकिन हिन्दुओं के देश में हिन्दू अपना त्योहार नहीं मना सकते।

लोकतंत्र में जनता से ऊपर कोई नहीं

जहाँ तक बात सुप्रीम कोर्ट की है, इस देश का सहिष्णु हिन्दू समाज ही है जिसने 500 वर्षों तक अपने लोगों का लगातार बलिदान दिया लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। ये हिन्दू ही हैं, जिनके सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट ने परंपराओं को बदल कर नियम-कानून बदल दिया और जब उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया तो केरल की वामपंथी सरकार ने सैकड़ों केस दर्ज कर दिए। और हाँ, ये सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू श्रद्धालुओं नहीं बल्कि हिन्दू धर्म से घृणा करने वाले वामपंथियों की माँग पर किया।

प्रजातंत्र में प्रजा से बड़ा कोई नहीं है। ये वो धरती है जहाँ सदियों से सनातन परंपरा फली-फूली है और इस्लामी आक्रांताओं, अंग्रेजों व कॉन्ग्रेस पार्टी की लाख कोशिशों के बावजूद इसे कोई नहीं रोक पाया। पटाखे जलाना अपराध नहीं है, ये हत्या, बलात्कार, चोरी, लूटपाट या फिर जोर-जबरदस्ती नहीं है। हाँ, सड़क पर नमाज पढ़ कर ट्रैफिक बाधित करना जोर-जबरदस्ती है। गैर-हिन्दुओं को जबरन लाखों मस्जिदों से रोज 5 बार अजान सुनना जोर-जबरदस्ती है। इन सब पर ट्वीट किया कभी रवीश कुमार ने?

जो जनता चाहेगी वही होगा। और हाँ, जनता व भीड़ में अंतर है। हिन्दुओं ने सामूहिक अवज्ञा का प्रदर्शन किया है, कट्टर मुस्लिम भीड़ ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाती है और इसे अंजाम भी दे दिया जाता है। रवीश कुमार पराली जलाने की समस्या का समाधान ढूँढने के लिए कहें पंजाब सरकार को, लेकिन तब सबको पता चल जाएगा कि प्रदूषण का कारण क्या था। सहिष्णु हिन्दुओं की उदारता का बार-बार गलत फायदा नहीं उठाया जाना चाहिए। वो कानून हाथ में नहीं लेते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि दुनिया की हर समस्या के लिए कोई भी ऐरा-गैरा उन्हें गाली देकर निकल जाए।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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