राजदीप सरदेसाई लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जोर-शोर से जुट गए हैं। कैसे? आपको लगता होगा कि वो एक बड़े मीडिया संस्थान में काम कर रहे हैं तो वो घूम-घूम कर जनता का मूड जानते होंगे, नेताओं से कड़े सवाल पूछते होंगे और उम्मीदवारों के प्रदर्शन का विश्लेषण करते होंगे। लेकिन नहीं, जरा ठहरिए। राजदीप सरदेसाई ऐसे इलेक्शन कवरेज नहीं कर रहे। वो देश भर में घूम-घूम कर नॉनवेज खा रहे हैं। कहीं मछली, कहीं चिकेन करी, कहीं खाना न सही तो इसकी बातें ही करते दिखते हैं।
ताज़ा उदाहरण से शुरू करते हैं। राजदीप सरदेसाई कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु पहुँचे, जहाँ मोदी-मोदी और ‘जय श्री राम’ के नारों से उनका स्वागत हुआ। उसके बाद वो सीधे पहुँच गए कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पास, जो चिकन करी खा रहे थे। ओल्ड मैसूर पहुँचे राजदीप सरदेसाई इस वीडियो में कहते नज़र आए कि अक्सर ऐसा नहीं देखा जाता कि कोई CM अपने इलाके का भोजन आपको कराए। यहाँ राजदीप सरदेसाई अगर भोजन कहें तो उसका तात्पर्य मांसाहार से होता है, शाकाहारियों के लिए वो शो नहीं बनाते।
राजदीप सरदेसाई ने सिद्धारमैया से कावेरी पानी मुद्दे को लेकर सवाल नहीं पूछा, बेंगलुरु में पानी की समस्या को लेकर सवाल नहीं पूछा, बल्कि उन्हें इस बात से ख़ुशी हुई कि वहाँ चैत्र नवरात्र नहीं मनाया जा रहा। राजदीप सरदेसाई के लिए ये विविधता है। ये अलग बात है कि कर्नाटक में वहाँ का नया साल उगादि/युगादि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाया जाता है, जिसे हिन्दू नववर्ष भी कहा जाता है। इस दिन लोग मंदिर जाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं। हाँ, राजदीप सरदेसाई इसका जिक्र नहीं करेंगे क्योंकि ये उनके एजेंडे में फिट नहीं बैठता।
उनके एजेंडे में फिट बैठता है मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ बैठ कर ये सीखना कि रागी मुड्डे कैसे खाते हैं। सिद्धारमैया को देखा जा सकता है कि वो रागी मुड्डे को हाथ से गोला बना कर उसे चिकेन करी में डुबो कर खा रहे हैं। फिर इसे निगलना होता है। राजदीप सरदेसाई के हिसाब से ये कठिन कार्य है। वो इसे स्वास्थ्य के लिए भी ठीक बताते हैं। CM से पूछते हैं कि एक दिन में वो 4-5 रैलियाँ कर रहे होंगे, जिस पर वो जवाब देते हैं कि रोज कम से कम 3 रैलियाँ।
और जब राजदीप सरदेसाई ये बातें कर रहे हैं, बेंगलुरु में क्या हालात हैं? बेंगलुरु, जिसे IT सिटी के रूप में जाना जाता है और जो कर्नाटक का सबसे बड़ा महानगर है, वहाँ लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। पूर्वी बेंगलुरु में कई ऐसी हाउसिंग सोसाइटी, जहाँ पानी की सप्लाई बोरवेल पर आधारित है, वहाँ लोग पानी की कमी से जूझ रहे। व्हाइटफील्ड में इस कारण रेंट के लिए निवेश में भी कमी आ गई है। नॉर्थ बेंगलुरु में 30,000 रुपए तक में 2 BHK कमरे वाले फ़्लैट मिल रहे हैं। पानी की कमी के कारण अब हाउसिंग परिसरों में रेंट घट रहे हैं।
More evidence why India is remarkably diverse when it comes to food. In rural Karnataka, ragi mudde and chicken curry is staple diet for most. As CM @siddaramaiah explains. No Chaitra navratras here. Celebrate India’s rich diversity and keep politics out of my plate🙏👍 !… https://t.co/brCdYNVrWp
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 15, 2024
हाल ही में RJD नेता तेजस्वी यादव और और उनके गठबंधन साथी VIP के संस्थापक मुकेश साहनी हेलीकॉप्टर में मछली खाते हुए दिखे। ये वीडियो नवरात्रि के दौरान पोस्ट किया गया, तारीख़ लिखते हुए कि ये पुराना है। फिर इसे पोस्ट कर के दिखाने का उद्देश्य क्या था, एक खास समाज को खुश करना? ये दिखाना कि हम हिन्दू व्रत-त्योहारों का सम्मान नहीं करते, मुस्लिम हमें वोट करें? भाजपा ने जब इस वीडियो को लेकर निशाना साधना शुरू किया तो तेजस्वी यादव को सफाई देनी पड़ी।
लेकिन, इन सबके बीच राजदीप सरदेसाई पहुँच गए तमिलनाडु के मरीना बीच के पास एक रोडसाइड रेस्टॉरेंट में साउथ इंडियन स्टाइल का फीश खाने पहुँच गए। बेबी क्रैब्स को उन्होंने स्पेशल बता दिया। शार्क मीट भी उनकी प्लेट में दिखा। भोजन को वो विशेष बताने लगे। साथ ही वो लोगों से पूछते ही नज़र आए कि कहाँ की मछली सबसे अच्छी बनती है। नवरात्र के दौरान जानबूझकर ऐसा करने के पीछे क्या मंशा हो सकती है, खासकर तब जब तेजस्वी यादव के वीडियो को लेकर विवाद जारी हो?
ये भुक्कड़ हर जगह फ्री का खाना दबाता है । pic.twitter.com/4shED2JmfO
— iMac_too (@iMac_too) April 10, 2024
राजदीप सरदेसाई को भले ही लग रहा होगा कि उन्होंने चुनावी कवरेज के साथ भारत के विविध क्षेत्रों के व्यंजनों को दिखाते हुए एक यूनिक शो का निर्माण कर लिया है, लेकिन इसका नाम ‘एलेक्शंस ऑन माय नॉनवेज प्लेट’ कर देना चाहिए था। उन्हें हर जगह जाकर चिकन, मटन, केंकड़े का बच्चा और शार्क ही खाना है, फिर सिर्फ प्लेट क्यों? नॉनवेज प्लेट होना चाहिए। और हाँ, भारत का कौन सा हिस्सा सनातन से नहीं जुड़ा है या जहाँ हिन्दू व्रत-त्यौहार नहीं मनाए जाते हैं, फिर नवरात्र का न मनाया जाना दावा कर के विविधता की बातें करना कहाँ तक सही है?
और हाँ, राजदीप सरदेसाई की चालाकी देखिए। आपने आज तक उन्हें पोर्क खाते हुए नहीं देखा होगा। खासकर नवरात्र के दौरान तो उन्हें आपने सूअर का मांस खाते हुए नहीं देखा होगा, जितने धड़ल्ले से वो नवरात्र में केंकड़े का बच्चा खा रहे हैं। और तो और, हिन्दुओं को चिढ़ाने के लिए राजदीप सरदेसाई बीफ भी खा चुके हैं। CNN-IBN में रहते हुए उन्होंने ‘बीफ फेस्टिवल’ और चर्चा चलाई, सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि वो स्टीक खाने जा रहे हैं, साथ ही खुद को भारतीय और हिन्दू बताना भी नहीं भूले।
And while we debate beef festival on CNN IBN, am off for a first rate steak. And am a proud Hindu and Indian! Gnight
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 17, 2012
इसी तरह राजदीप सरदेसाई तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई के साथ बातचीत के दौरान भी जबरन नॉनवेज का मुद्दा उठाते हुए दिखे। उन्होंने चुनाव, देश और पत्रकारिता सबको एक ही शब्द में समेट दिया है – मांसाहार। मुट्ठी से रागी मुड्डे को दबा-दबा कर गोल बना कर उसे चिकेन करी में डुबो कर निगल लेना ही अगर पत्रकारिता है तो राजदीप सरदेसाई को ये मुबारक हो! मछली, चिकेन, मटन, केंकड़ा, शार्क और बीफ खाना ही अगर पत्रकारिता है तो राजदीप सरदेसाई को मुबारक हो! किसी और में ये बीमारी न फैले, यही बेहतर है।