अनुभव सिन्हा की एक वेब सीरीज आई है ‘IC814’ नाम की, जो दिसंबर 1999 में आतंकियों द्वारा भारतीय विमान के अपहरण की घटना पर आधारित है। चूँकि तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और भाजपा की सरकार थी, वामपंथी नज़रिए से बनी इस वेब सीरीज में चारों हाईजैकर्स के असली नाम ‘भोला’, ‘शंकर’, ‘बर्गर’, ‘डॉक्टर’ और ‘चीफ’ पर अधिक फोकस रखा गया है, जबकि उसके असली नाम इब्राहिम अतहर, सन्नी क़ाज़ी, शाहिद सैयद, मिस्त्री ज़हूर और शकीर को छिपा लिया गया है।
आइए, संक्षेप में जानते हैं कि हुआ क्या था। नेपाल के काठमांडू से नई दिल्ली आ रहे विमान को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। उसमें 179 यात्री और 11 क्रू मेंबर शामिल थे। इस एयरक्राफ्ट को पहले अमृतसर, फिर लाहौर और दुबई ले जाया गया। दुबई में 27 यात्रियों को छोड़ा गया, जिनमें एक घायल यात्री भी था जिसे कई बार चाकू घोंपा गया था। अंततः विमान अफगानिस्तान के कंधार में लैंड किया गया और फिर 3 आतंकियों अहमद उमर सईद शेख, मसूद अज़हर और मुस्ताक अहमद ज़रगर को मोलभाव के बाद छोड़ना पड़ा।
अब कॉन्ग्रेस तत्कालीन NDA सरकार पर निशाना साध रही है। खासकर कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत लगातार इस तरह के प्रपंच में लगी हुई हैं और भाजपा पर आतंकियों के समर्थन का आरोप लगा रही है। पठानकोट हमले के बाद ISI को सबूत दिखाने के लिए यहाँ बुलाया गया था, जिस पर उन्होंने निशाना साधा। साथ ही पीएम मोदी के लाहौर दौरे पर भी सवाल उठाया। साथ ही कहा कि आतंकवादियों के प्रति नरमी दिखाना ठीक नहीं है, कॉन्ग्रेस की सरकारों ने आतंकियों को पकड़ा और भाजपा सरकार ने छोड़ा।
1999 में स्थिति ही ऐसी पैदा हो गई थी भारत सरकार के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता थी अपने लोगों की जान बचाना। लेकिन, कॉन्ग्रेस ने तो ‘सद्भावना’ दिखाने के लिए आतंकियों को छोड़ दिया था। आइए, जानते हैं कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने तब क्या किया था। सुप्रिया श्रीनेत ने पठानकोट हमले का नाम लिया। पठानकोट एयरबेस में जनवरी 2016 में 4 आतंकियों ने वेस्टर्न एयर कमांड के एयरबेस पर हमला कर 8 जवानों की हत्या कर दी थी। इस हमले में 4 आतंकी मारे गए थे।
आतंकी शाहिद लतीफ़ को UPA सरकार ने छोड़ दिया था
इस हमले के मास्टरमाइंड के रूप में शाहिद लतीफ का नाम सामने आया था। शाहिद लतीफ़, जो जैश-ए-मुहम्मद का आतंकी था। 26/11 की तरह ही पठानकोट हमले के बाद भी लाख सबूत दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी भूमिका को नकार दिया। जबकि बाद में ये भी सामने आया था कि आतंकियों ने हमले का प्रशिक्षण रावलपिंडी के नूर खान एयरफोर्स बेस पर लिया था। साथ ही पाकिस्तान स्थित पंजाब प्रांत के बहावलपुर में भी इन्हें ट्रेनिंग दी गई थी। फिर भी पाकिस्तान ने अपना हाथ होना स्वीकार नहीं किया।
अब आपको बताते हैं उस शाहिद लतीफ़ के बारे में, जो इस हमले का मास्टरमाइंड था। 2010 में पाकिस्तान से संबंध सुधारने के नाम पर JeM के इसी आतंकी शाहिद लतीफ़ को छोड़ दिया गया था और इसे ‘सद्भावना का प्रदर्शन’ बताया गया था। उस खतरनाक आतंकी को पाकिस्तान को सौंप दिया गया। तब तो न कोई विमान हाईजैक हुआ था, न ही सरकार को मोलभाव कर के अपने नागरिकों की जान बचानी थी और न ही कोई अन्य मजबूरी थी। सत्ता थी, शौक से ये कार्य किया गया।
तब केंद्र में UPA-II की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, लेकिन कॉन्ग्रेस अध्यक्ष और ‘राष्ट्रीय सलाहकार परिषद’ (NAC) की मुखिया सोनिया गाँधी के हाथों में सत्ता की असली चाबी थी। राहुल गाँधी लगातार दूसरी बार अमेठी से सांसद बन चुके थे। और हाँ, सिर्फ शाहिद लतीफ़ को ही नहीं छोड़ा गया था, बल्कि 25 आतंकियों को पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए रिहा किया गया था। शाहिद लतीफ़ उससे पहले 16 वर्षों तक भारत की जेल में बंद था, अचानक से उसे छोड़ दिया गया।
अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए 3 आतंकियों को छोड़ने जाने पर जो कॉन्ग्रेस आज हंगामा मचा रही है, कभी उसने सिर्फ ‘सद्भावना’ दिखाने के लिए 25 आतंकियों को खुला छोड़ दिया था। इन सबको जम्मू, श्रीनगर, आगरा, वाराणसी, नैनी और तिहाड़ जेलों में रखा गया था। इन सबको अटारी-वाघा सीमा के जरिए पाकिस्तान की सीमा में घुसाया गया था। एक और बात जान लीजिए, शाहिद लतीफ़ का कनेक्शन कंधार हाईजैक से भी है। हाईजैकर्स ने जिन आतंकियों को छोड़े जाने की सूची सौंपी थी, उसमें शाहिद लतीफ़ का भी नाम था।
कंधार हाईजैक में भी शाहिद लतीफ़ को छुड़ाना चाहते थे आतंकी
लेकिन, तत्कालीन राजग सरकार ने शाहिद लतीफ़ समेत 31 आतंकियों को छोड़ने से इनकार कर दिया था। बाद में उसे भारत में JeM आतंकियों का मुख्य हैंडलर बना दिया गया था। IC814 को हाईजैक किए जाने और 2001 में संसद भवन पर हमले के मद्देनज़र शाहिद लतीफ़ को जम्मू कश्मीर की जेल से उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। आशंका थी कि उसे छुड़ाने के लिए आतंकी और भी प्रयास कर सकते हैं, इसीलिए उसे जम्मू कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश की जेल में नहीं रखा गया था।
शाहिद लतीफ़ पाकिस्तान के गुजराँवाला के अमीनाबाद स्थित मोरे का रहने वाला था। उसे सियालकोट क्षेत्र का प्रभार जैश द्वारा दिया गया था और भारत में आतंकी संगठन का कैडर तैयार करने का काम वही सँभालता था। साथ ही वो मसूद अज़हर का भी करीबी था। नासिर हुसैन, हाफिज अबू बकर, उमर फ़ारूक़ और अब्दुल कयूम – पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले इन आतंकियों का हैंडलर भी यही शाहिद लतीफ़ था और इसीलिए NIA ने इसे अपनी ‘वॉन्टेड’ लिस्ट में रखा हुआ था।
उसने इन आतंकियों के लिए हथियार से लेकर कपड़ों और जूतों तक की भी व्यवस्था की थी। साथ ही उसमे SOS इंजेक्शन, दवाओं और फ़ूड पैकेट्स समेत अन्य लॉजिस्टिक्स की भी व्यवस्था की थी। NIA ने पाकिस्तान से उसके परिजनों का DNA सैंपल भी माँगा था। इसके लिए 2 बार पाकिस्तान को भारतीय जाँच एजेंसी ने 5 महीने में ‘Letter Rogatory’ भेजा था। सोचिए, कितने खतरनाक आतंकी को भारत ने ‘सद्भावना’ के नाम पर उस मुल्क को सौंप दिया था, जो भारत को कई टुकड़ों में काटना चाहता है।
25 Pakistani terrorists were released by UPA govt in 2010 and their return was facilitated by govt of India as an olive branch extended to Separatist leaders. No Indian prisoner in Pakistan jail was released by Pakistan in exchange of that. One terrorist shahid Latif was refused… pic.twitter.com/Bbko0dit6B
— Ankit Jain (@indiantweeter) July 7, 2023
अब आपको सबसे रोचक बात जाननी चाहिए। अक्टूबर 2023 में यही शाहिद लतीफ़ मारा गया – पिछले ही साल। मारने वाले ‘अज्ञात’ थे। मोदी सरकार आने के बाद पाकिस्तान में इन ‘अज्ञातों’ के कारनामे काफी बढ़ गए हैं, एक के बाद एक कर के कई आतंकी काल के गाल में समा दिए गए। भारत में UAPA के आरोपित उस आतंकी को सियालकोट में एक मस्जिद में घुस कर ‘अज्ञात लोगों’ ने मौत की नींद सुला दिया। शायद कॉन्ग्रेस पार्टी इसका भी क्रेडिट ले ले।
1994 में शाहिद लतीफ़ को पकड़ा गया था। जम्मू की जेल में मसूद अज़हर को भी उसके साथ ही रखा गया था। आज उसे छोड़ने वाली कॉन्ग्रेस जम कर भाजपा को गाली दे रही है। उस भाजपा को जिसके शासनकाल में जम्मू कश्मीर में देश का संविधान लागू किया गया और पत्थरबाज़ी की घटनाएँ खत्म हुई। जम्मू कश्मीर में लगातार आतंकी मार गिराए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद कॉन्ग्रेस पार्टी अपना इतिहास छिपाने में लगी है, जिसमें ये भी शामिल है कि कैसे भारतीय वायुसेना के जवानों के हत्यारे यासीन मलिक को PMO बुलाया गया था और प्रधानमंत्री ने उससे हाथ मिलाया था।