सार्वजनिक तौर पर कई दिनों के आक्रामक आचरण के बाद असम और मिजोरम के बीच हाल में हुआ गंभीर आंतरिक सीमा विवाद शांति की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रशासन की ओर से आए बयान और कार्रवाई इसी ओर इशारा कर रहे हैं। विश्वास बहाली की दिशा में उठाए गए कदम के तहत मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने अपने राज्य प्रशासन को उस एफआईआर को खारिज करने का आदेश दिया है जिसमें असम के 200 अज्ञात नागरिकों, 6 प्रशासनिक अधिकारी और मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व सरमा को नामजद किया गया था। मिजोरम के मुख्यमंत्री द्वारा विश्वास बहाली के दिशा में उठाए गए कदम के बाद असम के मुख्यमंत्री ने भी अपने प्रशासन को आदेश देकर मिजोरम के अधिकारियों और राज्यसभा के सांसद के खिलाफ दायर एफआईआर खारिज करवाई।
दोनों राज्यों की ओर से की गई कार्रवाई इस बात को दर्शाती है कि राज्यों के बीच आंतरिक सीमा विवाद का निकट भविष्य में कोई स्थायी हल न भी निकल पाए तो भी राज्यों द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदम फिलहाल बढ़े तनाव को कम करने में सहायक होंगे। असम के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर यह भी बताया कि आगामी 5 अगस्त को वे अपने दो मंत्रियों को मिजोरम की राजधानी आइजॉल भेज रहे हैं ताकि आतंरिक सीमा विवाद का हल निकालने की दिशा में उचित कदम उठाया जा सके। दोनों राज्यों की ओर से उठाए गए ये कदम तब और महत्वपूर्ण हो जाते हैं जब पूरे देश की निगाहें दोनों राज्यों के बीच चल रहे विवाद पर टिकी थी।
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— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 2, 2021
I learn that Honble CM @ZoramthangaCM has asked @mizorampolice to withdraw FIR dt 26.7.21 against our officers.I heartily reciprocate this positive gesture and ask @assampolice to withdraw cases against DC Kolasib and SDPO Virengte
ऐसा नहीं कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के बीच सीमा विवाद कोई नई बात है। अलग-अलग राज्यों के बीच यह विवाद बहुत पुराना है पर हाल में हुए असम और मिज़ोरम के बीच हुए विवाद में जो बात महत्वपूर्ण है वो यह है कि इस विवाद और उसके परिणामस्वरूप हुई गोलीबारी में असम के नागरिकों की जान चली गई। यह ऐसी घटना थी जिसका उत्तर-पूर्वी राज्यों में चल रहे पुराने सीमा विवाद पर ही नहीं, बल्कि देश के इस भूभाग में पिछले कई वर्षों से चल रहे प्रशासनिक और आर्थिक बदलाव पर असर पड़ सकता है। ऐसे में दोनों राज्यों की ओर से उठाए गए कदमों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये कदम उचित और आवश्यक थे। शान्ति के लिए उठाए गए इन कदमों से केंद्र सरकार ने भी राहत की साँस ली होगी, क्योंकि विवाद शांत करने की दिशा में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी तरफ से काफी प्रयास किए थे।
Mizoram Govt writes to Assam Govt asking it to make necessary arrangements to enable the entry of vehicles stranded on NH-306 at Lailapur since July 26, when the violence took place at the interstate border; assures safety and security of all drivers & passengers in Mizoram
— ANI (@ANI) August 2, 2021
वर्तमान परिस्थितियाँ इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि यह तब पैदा हुई जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के बीच चल रहे पुराने आंतरिक सीमा विवाद का हल निकालने की दिशा में एक कदम उठाते हुए राज्यों के बीच एक बैठक का आयोजन किया। यह बैठक शिलांग में थी। इसी के चलते यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों राज्यों के बीच शुरू हुआ ताजा विवाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रयासों को पटरी से उतारने के उद्देश्य से किया गया है। इस घटना के पीछे जो भी कारण रहा हो, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रशासन की ओर से अलग-अलग कारण बताए गए। असम के मुख्यमंत्री की ओर से यह तर्क भी दिए गए कि उनके राज्यों में हुए प्रशासनिक सुधारों की वजह से मिजोरम की ओर के कई ग्रुप नाराज़ हैं।
वर्तमान विवाद की वजह से पैदा हुए तनाव को शांत करने में केंद्र सरकार की प्रमुख भूमिका रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रयासों के पश्चात दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक-दूसरे के प्रति अपने बयानों में जिस तरह की सतर्कता और संयम दिखाया है उसका स्वागत होना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रयासों ने केंद्र सरकार की भूमिका को महत्वपूर्ण बना दिया है। केंद्र सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्यों में हो रहा प्रशासनिक और आर्थिक बदलाव उत्तर-पूर्व का बाकी के देश के साथ एकीकरण की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग हैं। ऐसे में राज्यों के बीच सीमा विवाद का हल निकालने में केंद्र सरकार के प्रयास और हस्तक्षेप इसलिए आवश्यक है, क्योंकि एकीकरण की जो प्रक्रिया पिछले सात वर्षों से चल रही है उसमें किसी तरह की अड़चन न आ सके। वर्तमान परिस्थितियों में ऐसी कोई संभावित अड़चन न तो केंद्र सरकार चाहेगी और न ही उत्तर-पूर्वी राज्य और उनके नेतृत्व।
दोनों राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्री अपने राज्य के नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं। हिमंत बिस्व सरमा ने हाल ही में एक बड़ी जीत के उपरांत मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। असम गण परिषद उनके साथ सत्ता में शामिल है। असम सरकार के पास उसके नेतृत्व की लोकप्रियता के साथ-साथ जनता एक वृहद समर्थन है। ये बातें न केवल दोनों मुख्यमंत्रियों के पक्ष में जाती है पर उन्हें यह विश्वास भी दिलाती है कि सीमा विवाद का हल निकालने की दिशा में उनके प्रयासों और फैसलों को जनता का समर्थन मिलेगा। राज्यों में बदल रही आर्थिक स्थिति भी इन प्रयासों के पक्ष में रहेगी। ऐसे में केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों के पास भी मौका है कि वे पुराने सीमा विवादों को सुलझाने की दिशा में कदम उठाएँ जिससे स्थायी हल निकल सके और ये राज्य अपनी सही प्राथमिकताओं पर काम कर सकें।