अयोध्या के राम जन्मभूमि पर माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय आ चुका है। चूँकि भारत की आत्मा इसकी संस्कृति है और राम इस संस्कृति के शाश्वत व मूल पहचान हैं, अत: राम जन्म स्थान पर भव्य मंदिर का मार्ग प्रशस्त होने पर जिस प्रकार जाति, संप्रदाय, वर्ग व क्षेत्र आदि की भावना से ऊपर उठकर पूरे देश ने सत्य, न्याय व धर्म की विजय व एकता का प्रदर्शन किया और प्रसन्नता प्रकट की है, वह महर्षि वाल्मीकि और भगवान राम के बीच संवाद ‘सब के प्रिय सबके हितकारी, दुख सुख सरिस प्रशंसा गारी। कहहिं सत्य प्रिय बचन बिचारी, जागत सोवर सरन तुम्हारी’ की श्रेष्ठ भावना का प्रकटीकरण है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदा ही पंडित दीन दयाल उपाध्याय के उस विचार पर चली है कि ‘भारत में नैतिकता के सिद्धांतों को धर्म अर्थात जीवन के नियम के रूप में माना जाता है। चूँकि धर्म सर्वोच्च है और हमारे राज्य के लिए आदर्श ‘धर्म का राज्य’ होना चाहिए।’ भाजपा अपनी स्थापना से ही नैतिकता के इन्हीं सिद्धांतों और भारतीयता के संकल्पों के आधार पर राजनीति की पक्षधर ही नहीं रही है, बल्कि भारतीय राजनीति को कोरे वादों, खोखले नारों और लोकलुभावन जुमलेबाजी से मुक्त कराकर देश को आगे ले जाने के संकल्प से लोककल्याण की सिद्धि के पथ पर अग्रसर कराने के लक्ष्य पर अहर्निश चल रही है।
इन्हीं संकल्पों के साथ भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनता के समक्ष अपना पक्ष रखा और जनता जर्नादन से सेवा का अवसर माँगा। जनता ने भाजपा के चरित्र व विश्वसनीयता एवं पीएम नरेन्द्र मोदी के वचनों पर विश्वास करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को पूर्ण बहुमत दिया। पाँच वर्ष के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के संकल्पपत्र के एक-एक वचन को पूरा करके भारत को महाशक्ति और भारत की जनता को सुखी, समृद्ध और न्यायिक व सामाजिक समानता के अधिकारयुक्त बनाने की राह पर ऐतिहासिक रूप से आगे बढ़ी। जनता ने देखा कि यदि भाजपा नीत राजग की सरकार देश की वह पहली सरकार है, जिसने जनता के समक्ष लिए गए संकल्पों को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने का कार्य किया है। परिणामत: 2019 के चुनाव में जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐतिहासिक बहुमत देकर सरकार और राजनीति दोनों में और सुदृढ़ता से अपना विश्वास प्रकट किया।
राम मंदिर, तीन तलाक और अनुच्छेद 370 भाजपा के उन तीन प्रमुख संकल्पों में सम्मिलित थे, जिसका उल्लेख उसके संकल्प पत्र में था। देश के मुस्लिम महिलाओं के प्रति अमानवीय कुप्रथा तीन तलाक का अंत भाजपा सरकार ने करके संसद में कानून पारित किया। जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्यधारा से अलग-थलग करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर भाजपा ने डॉ. श्यामा प्रसाद के ‘एक देश, एक विधान और एक ध्वज’ के उस सपने को साकार किया, जो हर भारतीय का सपना था। अब उच्चतम न्यायालय द्वारा राममंदिर पर आए निर्णय के बाद प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में 491 वर्ष से चले आ रहे इस विवाद का सुखद पटाक्षेप हो गया है।
ये तीनों विषय भारत की उन दीर्घकालिक समस्याओं में से थीं, जो जनभावना से जुड़ी थीं और देश की जनता इनसे छुटकारा पाना चाहती थी। लेकिन देश की सत्ता में 60 वर्ष से अधिक समय तक रहने वाले राजनैतिक दल स्वार्थ और वोट बैंक की राजनीति के चलते इन समस्याओं को सुलझाने के बजाय उलझाकर राजनीति की रोटियाँ सेंकते रहे। भाजपा नीत मोदी की सरकार ने राजनीतिक स्वार्थ और छलने वाली राजनीति का अंत कर ‘संकल्प से सिद्धि’ की ओर ‘एक भारत और श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण के साथ विकसित भारत बनाने की राजनीति का प्रारंभ किया। एक ऐसी राजनीति व सुशासन की शुरुआत की, जो मानवीय व राष्ट्रीय दोनों प्रकार से भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों पर आधारित हो। उस भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों पर जो विविधता व बहुलतावादी प्रकृति का संरक्षण करते हुए इनमें छिपी एकता पर आधारित हो।
निर्णय आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे इसी एकता के प्रकटीकरण का अवसर बताया। पीएम मोदी ने कहा, “यह निर्णय न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा। हमारे देश की हजारों वर्ष की पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम और भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है। इस निर्णय को किसी की जय या पराजय के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है।”
भारत भक्ति का यह सामूहिक भाव ही मोदी सरकार को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ ‘सशक्त भारत और समृद्ध भारत’ की नींव रखने का साहस व संबल प्रदान करता है और संकल्प से सिद्धि के पथ पर अग्रसर होकर उस रामराज्य की स्थापना की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाने को प्रेरित करता है, जहाँ राजनीति व सत्ता का उद्देश्य केवल और केवल लोककल्याण है।