जब भाजपा और कॉन्ग्रेस के बीच तुलना की बात आती है तो दोनों ही दलों के मुखिया की बात की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में जहाँ राजग सरकार के पास एक ऐसा चेहरा है जिसने चाय बेचने से शुरू कर प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया। वहीं अमित शाह के रूप में उनके पास एक ऐसा व्यक्ति है जिसने पोस्टर चिपकाने से शुरू कर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष तक का सफर तय किया। उधर कॉन्ग्रेस के मुखिया की बात आती है तो 1978-2019 के बीच गुजरे चार दशकों में अगर नरसिंह राव और सीताराम केसरी को छोड़ दिया जाए तो गाँधी परिवार के लोग ही अध्यक्ष रहे हैं। सोनिया गाँधी तो लगातार 19 वर्षों तक अध्यक्ष बनी रहीं। भाजपा की बात करें तो पार्टी के अब तक के 10 अध्यक्षों में से एक भी ऐसे नहीं रहे हैं, जिसके पिता पार्टी में किसी पद पर रहें हों।
अमित शाह 49 वर्ष की उम्र में भाजपा के अध्यक्ष बने थे। नितिन गडकरी जब भाजपा अध्यक्ष बने थे, तब उनकी उम्र 50 वर्ष थी। अब बात भाजपा के मुख्यमंत्रियों की करते हैं। यहाँ आपको बताना ज़रूरी है कि जनसंख्या के मामले में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और जीडीपी के मामले में देश के सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की उम्र 50 से कम है। इन दोनों में से किसी के भी पिता या परिवार का कोई व्यक्ति भाजपा संगठन या सरकार में किसी बड़े पद पर नहीं रहा है। जहाँ योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ पीठ से अपने आध्यात्मिक एवं राजनीतिक सफर की शुरुआत की, देवेंद्र फडणवीस ने बहुत कम उम्र में नागपुर का मेयर बन इतिहास रचा था।
हरियाणा के मुख्यमंत्री 64 वर्षीय मनोहर खट्टर भाजपा के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री हैं। वहीं अरुणाचल प्रदेश के 39 वर्षीय प्रेमा खांडू भाजपा के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। कुल मिला कर देखें तो भाजपा के 12 मुख्यमंत्रियों में से 5 ऐसे हैं, जिनकी उम्र 48 वर्षीय चिरयुवा राहुल गाँधी से कम है। योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फडणवीस- ये गाँधी से छोटे हैं। दोनों का ही लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा और और वे एक कुशल प्रशासक के रूप में प्रख्यात हैं। 75 ज़िलों वाले उत्तर प्रदेश को संभाल रहे योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के अपराधियों में भारी हड़कंप मचा दिया है। वहीं देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र जैसे जटिल राज्य और शिवसेना जैसे हंगामेबाज गठबंधन साथी को संभाल रहे हैं। गोवा के नए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की उम्र भी 45 वर्ष है।
Out of BJP’s 12 incumbent chief ministers, five are below 50 years of age: Yogi Adityanath (46), Devendra Fadnavis (48), Pema Khandu (39), Biplab Deb (47) and Pramod Sawant (46). BJP definitely grooming young leadership in the states and giving them right exposure.
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) March 19, 2019
अब एक नज़र कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्रियों पर डाल लेते हैं। अभी हाल ही में तीन बड़े राज्यों में पार्टी की सरकार बनी। इसमें मध्य प्रदेश में 72 वर्षीय कमलनाथ और राजस्थान में 67 वर्षीय अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया। ऐसा नहीं था कि कॉन्ग्रेस के पास विकल्पों का अभाव था। एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट के रूप में उनके पास दो अनुभवी युवा नेता थे। दोनों ने ही चुनावों में ख़ासी मेहनत की थी और अंदेशा लगाया जा रहा था कि राहुल गाँधी जिस तरह से हर एक कार्यक्रम में ‘युवा-युवा’ रटते रहते हैं, उस हिसाब से इन दोनों को ही कमान दी जाएगी। लेकिन, हुआ इसके एकदम उलट। वैसे सिंधिया और पायलट- दोनों ही दिग्गज कॉन्ग्रेसी नेताओं के परिवारों से आते हैं। अगर इतने वर्चस्व वाले खानदानी युवाओं का पार्टी में ये हाल है तो संघर्ष कर आगे बढ़ने वालों की तो बात ही छोड़ दीजिए।
अगर भाजपा के सभी 12 मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र की बात करें तो वो 53.5 आता है जबकि कॉन्ग्रेस के सभी 5 मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र निकल कर 68.8 आता है। यानी दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र में क़रीब डेढ़ दशक का अंतर आ जाता है। ऐसा नहीं है कि उम्रदराज नेतागण कार्य नहीं करते। हमने अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिंहा राव को उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी एक कुशल प्रशासक की भूमिका निभाते हुए देखा है। लेकिन, अगर कोई पार्टी दिन-रात युवावर्ग की बातें करती है, दूसरी पार्टियों पर युवाओं को नज़रअंदाज़ करने के आरोप मढ़ती है, तो उस पार्टी को तो कम से कम उदाहरण पेश करना बनता है। राहुल अपनी हर रैली में युवाओं को रोजगार देने की बात करते हैं, उनके राजनीति में आने की बात करते हैं लेकिन ख़ुद की पार्टी में वह इसे लेकर गंभीर नहीं हैं।
पंजाब, मध्य प्रदेश और पुडुचेरी के कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्रियों की उम्र 70 पार है जबकि भाजपा के किसी भी मुख्यमंत्री ने अब तक 65 वर्ष की उम्र का दहलीज पार नहीं किया है। सबसे बड़ी बात तो यह कि भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों में से कोई भी खानदानी परिवार से नहीं आते हैं। पार्टी ने त्रिपुरा में 47 वर्षीय बिप्लव देब को मुख्यमंत्री बनाया। हिमाचल प्रदेश में 54 वर्षीय जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा के मुख्यमंत्रियों में से अधिकतर की उम्मीदवारी चुनाव से पहले घोषित नहीं की गई थी। अर्थात यह, कि इन्हे मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय पार्टी आलाकमान ने लिया। भाजपा के 12 में से 3 मुख्यमंत्री ही ऐसे हैं, जिनकी उम्र 60 के पार है। अब मुद्दे पर आते हैं ताकि आपको पता चले की हम ये आँकड़ें क्यों गिना रहे हैं?
इन आँकड़ों का मक़सद क्या है?
CMs picked by BJP
— Chowkidar Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) March 19, 2019
Devendra Fadnavis: 48 years old
Bilpab Deb: 47 yo
Yogi Adityanath: 46 yo
P Sawant: 45 yo
P Khandu: 39 yo
CMs picked by RG:
Kamal Nath over Scindia
Gehlot over Pilot
While BJP empowers young leaders, Congress is empowering only one ‘young’ ineligible ‘dealer’
भाजपा को अक्सर युवा विरोधी पार्टी बताया जाता है। बार-बार यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि भाजपा और उसका हिंदुत्ववादी अजेंडा- दोनों ही युवाओं से कोसो दूर हैं। यही बोल कर भाजपा को एक रूढ़िवादी (Conservative) पार्टी के रूप में प्रचारित करने की कोशिश की जाती रही है। बताया जाता है कि आज का युवा ‘यो टाइप’ है और वो अपनी संस्कृति, परम्परा और धर्म को याद नहीं करना चाहता। वास्तविकता में भाजपा ने इस भ्रामक धारणा को तोड़ दिया है। विरोधियों के इस दुष्प्रचार पर भाजपा ने अपने एक्शन से वार किया। मोदी को तानाशाह कहने वाले आलोचकों को पता होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में कड़े छवि वाले योगी को मुख्यमंत्री बनाना भी पार्टी आलाकमान का ही निर्णय था।
राजनीति और खेल में बहुत अंतर है। जहाँ खेल में 35 की उम्र आते-आते खिलाड़ी के रिटायरमेंट की बारें शुरू हो जाती है, वहीं राजनीति में 35 के बाद पारी ही शुरू होती है। ऐसे में, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री बनते-बनते ज़िंदगी खप जाती है, बशर्ते कि आप किसी बड़े नेता के परिवार से न आते हों। अगर आज की राजनीति में ऐसे युवाओं की खोज करनी है जो वंशवाद की उपज न हों तो भाजपा से बाहर शायद ही कोई नाम सूझे। बिहार में तेजस्वी यादव, यूपी में अखिलेश यादव, तेलंगाना में केटीआर, कश्मीर में उमर अब्दुल्लाह, मध्य प्रदेश में ,ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान में सचिन पायलट, तमिलनाडु में उदयनिधि स्टालिन और हरियाणा में दीपेंद्र सिंह हुडा, ये सभी किसी न किसी दिग्गज नेता के बेटे हैं। वहीं भाजपा में लिस्ट ढूँढ़नी हो तो बस उनके मुख्यमंत्रियों पर एक नज़र दौड़ा लीजिए, आपको फ़र्क़ साफ़ पता चल जाएगा।
गोवा के दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने जब राज्य की जिम्मेदारी संभाली थी, तब उनकी उम्र मात्र 45 वर्ष थी। उनके पास क्षमता थी, योग्यता थी, पार्टी ने उन पर भरोसा जताया। इसी तरह जब शिवराज सिंह चौहान जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, तब उनकी उम्र 46 वर्ष थी। भाजपा के सबसे लम्बे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री डॉक्टर रमण सिंह ने भी 50 वर्ष की उम्र में पहली बार यह पद सम्भाला था। सार यह कि भाजपा में युवाओं की भूमिका पहले से ही प्रबल रही है और जब भी एक पीढ़ी के नेता रिटायर होने को आते हैं, दूसरी पीढ़ी उनका स्थान ग्रहण करने के लिए तैयार बैठी होती है, ये पीढ़ी उन नेताओं के परिवारों से नहीं होती। संघ और भाजपा को युवाओं से दूर बता कर कोसने वाले वास्तविकता जान कर बेहोश जाएँगे लेकिन सच यही है कि भारतीय जनता पार्टी में लम्बा अनुभव और युवा जोश का समुचित सम्मिश्रण है।
राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बनते ही पार्टी में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही थी। क्या राहुल गाँधी बताएँगे कि उसके बाद हुए चुनावों में किन युवाओं को मुख्यमंत्री उम्मीदवार या मुख्यमंत्री बनाया गया? दिल्ली में फिर से 80 वर्षीय शीला दीक्षित को ही वापस लाया गया है। इन सबसे पता चलता है कि आगे भी इस बात के आसार कम ही हैं कि युवावर्ग को कॉन्ग्रेस पार्टी में कोई प्रतिनिधित्व मिले। हमें अनुभवी नेताओं की ज़रूरत है, वयोवृद्ध नेतागण हर मौसम को झेल कर आगे बढ़ने के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं लेकिन अगर युवाओं को मौक़ा ही न मिले तो ऐसा अनुभव किस काम का। अटल-अडवाणी-जोशी की छाया में ख़ुद को स्थापित कर के मोदी-राजनाथ-शिवराज जैसे नेता ऊपर तक पहुँच सकते हैं तो वैसे ही उनकी छाया में योगी-फडणवीस-विप्लब जैसे नेता भी सत्ता की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। शायद यही कारण है कि कॉन्ग्रेस दिन पर दिन गर्त में चली जा रही है और भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।