राहुल गाँधी आजकल बात-बात में जातिगत जनगणना की माँग करते हैं। बार-बार कहते हैं कि ‘90% जनसंख्या’ को व्यवस्था से बाहर रखा गया है। कहते हैं कि दलितों और जनजातीय समाज का मोदी सरकार में उत्पीड़न हो रहा है। कभी ये पूछते हैं कि केंद्रीय सचिवों में कितने OBC हैं, तो कभी इसी आड़ में मन में छिपी मुस्लिमों वाली बात भी निकल आती है। लेकिन, कॉन्ग्रेस पार्टी का असली चरित्र कुछ और है। आइए, जानते हैं कि SC, ST और OBC के साथ कॉन्ग्रेस पार्टी का ताज़ा व्यवहार क्या रहा है।
सबसे पहले बात करते हैं कॉन्ग्रेस के OBC प्रेम की, इसके लिए हमें चलना पड़ेगा मध्य प्रदेश के छतरपुर। वहाँ हाल ही में दंगे भड़क गए। कारण – महाराष्ट्र में महंत रामगिरी महाराज के बयान से इन्हें दिक्कत थी। महाराष्ट्र के नासिक और छत्रपति संभाजी नगर में इसके लिए पहले से ही दंगे किए जा चुके थे। मध्य प्रदेश में भी मौलाना इरफ़ान चिश्ती ने वीडियो बना कर कहा कि विरोध प्रदर्शन में जो नहीं आएगा उसे ईद के जुलूस में शामिल होने का अधिकार भी नहीं होगा।
मध्य प्रदेश में दिखा कॉन्ग्रेस का ‘OBC-प्रेम’
इसमें नाम आता है कॉन्ग्रेस के जिला उपाध्यक्ष हाजी शहज़ाद अली का, जिसके नेतृत्व में इस्लामी भीड़ ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और जम कर हिंसा की। प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है, ऐसे में दंगाई नेता के आलीशान घर पर बुलडोजर चला। हाजी शहज़ाद अली के बारे में पता चला कि कभी ठेला लगा कर पुराने कपड़े बेचने वाला व्यक्ति आज अरबपति है। उसके भाई पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वो खुद की शरिया अदालत लगाता था।
लेकिन, जानने वाली बात ये है कि हाजी शहज़ाद अली ने 20 करोड़ रुपए की जो हवेली बनाई, वो एक कुशवाहा परिवार की जमीन हड़प कर बनाई गई है। जिला प्रशासन के पास इसकी जाँच भी लंबित है। आरोप है कि उसने डर और अपना रुतबा दिखा कर ये जमीन हड़प ली। उसके दुबई कनेक्शन की जाँच हो रही है। उत्तर प्रदेश में कोइरी वर्ग में आने वाले काछी, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य OBC वर्ग में आते हैं। कॉन्ग्रेस के एक मुस्लिम नेता ने ओबीसी समाज की जमीन हड़प हवेली खड़ी कर ली और कहीं कोई चर्चा नहीं?
अब सुनिए, उलटा कॉन्ग्रेस नेताओं ने उस नेता का समर्थन किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाजी शहज़ाद अली का अवैध घर ध्वस्त किए जाने को अमानवीय और अन्यायपूर्ण बता दिया। प्रियंका गाँधी ने इसे अदालत की अवमानना बताते हुए कहा कि किसी के घर से छत छीन लेना सही नहीं है। उन्होंने इसे बर्बरता करार दिया। उन्हें इस दौरान उस ओबीसी परिवार का दर्द दिखा, जिसकी जमीन हड़पी गई थी? कॉन्ग्रेस के लोकसभा व्हिप मोहम्मद जावेद ने इसे मुस्लिम-घृणा से जोड़ा।
कर्नाटक में देखिए कॉन्ग्रेस का ‘दलित-प्रेम’
हमने अभी कॉन्ग्रेस पार्टी का OBC-प्रेम देखा, आइए अब पार्टी के दलित-प्रेम की भी बात कर लेते हैं। कर्नाटक में सिद्दारमैया मुख्यमंत्री हैं और कॉन्ग्रेस का ही शासन है। वाल्मीकि समाज कई राज्यों में दलितों का एक अहम हिस्सा है। कर्नाटक में इसे ST में डाला गया है। ये काफी पिछड़ा समूह है, क्योंकि इसके अधिकतर लोग सफाईकर्मी हैं। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने से पहले एक तो स्थायी नागरिकता नहीं हासिल थी, ऊपर से इस समाज में पैदा होने वाला हर बच्चा अपने माथे पर ‘सफाईकर्मी’ का ठप्पा लिए पैदा होता था।
उन्होंने 1957 में पंजाब से लाकर बसाया गया था और जम्मू कश्मीर से संबंधित इस कानून के 1944 के बाद आए किसी भी शख्स को नागरिकता नहीं मिल सकती थी। वो न वोट दे सकते थे, न किसी सरकारी योजना का लाभ मिल सकता था और न उनके बच्चों को कोई छात्रवृत्ति। तहत खैर, बात करते हैं कर्नाटक की। वहाँ एक संस्था है – ‘कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि शेड्यूल्ड ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन’ (KMVSTDCL), जिसमें घोटाला हुआ। घोटाला करने वाला कौन था, कॉन्ग्रेस का मंत्री।
ट्रस्ट के एकाउंट्स सुपरिटेंडेंट P चंद्रशेखरन ने आत्महत्या कर ली संदिग्ध परिस्थितियों में। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में जनजातीय कल्याण मंत्री B नागेंद्र का नाम लिखा। बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर और अकाउंटेंट भी इस मामले में जेल में हैं। बी नागेंद्र को इस्तीफा देना पड़ा, CID को आत्महत्या की जाँच सौंपी गई। वो दलित समाज से थे। क्या उनकी संदिग्ध मौत को लेकर किसी कॉन्ग्रेस नेता ने आवाज़ उठाई? नहीं। कॉन्ग्रेस के मंत्री इस घोटाले में ED की गिरफ्त में हैं। दलित अधिकारी की मौत के बाद ही ये घोटाला खुला।
बताया जाता है कि ये पूरा घोटाला 187 करोड़ रुपए का है। मृत अधिकारी की पत्नी ने भी कॉन्ग्रेस के पूर्व मंत्री B नागेंद्र पर ही आरोप लगाया। चंद्रशेखरन की पत्नी कविता का कहना है कि उनके पति को ईमानदार होने की कीमत चुकानी पड़ी। एक दलित महिला न्याय की माँग कर रही है, कॉन्ग्रेस सरकार नहीं सुन रही। उनका कहना है कि उन्हें SIT की जाँच पर भरोसा नहीं है, उल्टा उनके पति को ही फँसाया जा रहा है। उन्होंने CBI जाँच की माँग की है। क्या ‘दलित-प्रेम’ वाली कॉन्ग्रेस एक दलित महिला की पुकार सुनेगी? नहीं, वो सिर्फ भाषण देंगे।
कॉन्ग्रेस का जनजातीय-प्रेम भी देखिए
भारत में आज जनजातीय समाज की राष्ट्रपति हैं, वो भी एक महिला। ये बड़े सम्मान की बात है दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए, क्योंकि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े समूह की महिला देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर हैं। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और भाजपा के कारण संभव हुआ। कॉन्ग्रेस का ‘जनजातीय-प्रेम’ समझने के लिए चलते हैं झारखंड, जहाँ की एक चौथाई से भी अधिक जनसंख्या शेड्यूल्ड ट्राइब्स है। वहाँ झामुमो की सरकार है, हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं, कॉन्ग्रेस इस सरकार में शामिल है।
हाल ही में वहाँ एक घटना सामने आई। मामला जामताड़ा स्थित ‘पुरातन पतित’ नामक जगह का है। जनजातीय समाज के लिए ये एक पवित्र जगह थी, जहाँ वो पूजा-पाठ करते थे। स्थानीय मुस्लिमों ने उसे कब्रिस्तान बता दिया। रहमतुल्लाह नामक एक शख्स की मौत के बाद उसे वहाँ दफना भी दिया गया। पुलिस-प्रशासन ने भी जनजातीय समाज का साथ नहीं दिया। क्या किसी कॉन्ग्रेस नेता ने आवाज़ उठाई? नहीं। नाराज़ जनजातीय समाज ने विरोध किया, लेकिन पुलिस ने मुस्लिमों का ही फैसला माना।
झारखंड में धड़ल्ले से ‘लैंड जिहाद’ चल रहा है, जिसके तहत जनजातीय समाज की लड़कियों से शादी कर ली जाती है, फिर उसके नाम पर जमीनें खरीद ली जाती हैं उस समाज के लोगों से, फिर उस लड़की को पंचायत चुनाव में जिता कर जनप्रतिनिधि बना दिया जाता है और सत्ता की बागडोर मुस्लिमों के हाथ में चली जाती है। इनमें से कई बांग्लादेशी घुसपैठिए भी हैं। इस दिशा में कॉन्ग्रेस वाली गठबंधन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही। यानी, वो जनजातीय समाज नहीं बल्कि मुस्लिमों की तरफ हैं, अवैध घुसपैठियों की तरफ हैं। पाकुड़ में भी ऐसा मामला सामने आया, भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने आवाज़ उठाई।
दलित, जनजातीय, OBC… कॉन्ग्रेस के लिए सिर्फ जुबान पर, दिल में ‘मुस्लिम’
इन घटनाओं से स्पष्ट पता चलता है कि सिर्फ मीडिया में चर्चा के लिए और हिन्दुओं को विभाजित करने के लिए दलित, जनजातीय और ओबीसी का रट्टा लगाया जाता है राहुल गाँधी सहित अन्य कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा, उनका असली उद्देश्य तो मुस्लिम तुष्टिकरण है। हमने देखा था कैसे मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में दंगों को रोकने के नाम UPA सरकार ऐसा कानून लेकर आ रही थी जिसके बाद हिंसा की स्थिति में सिर्फ हिन्दुओं को ही जेल होती। हिन्दू, यानी सारे हिन्दू। इसमें ओबीसी या SC/ST को इससे बाहर रखने का कोई प्रावधान नहीं था, सारे हिन्दू।
इसी तरह वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बन गया है। तमिलनाडु में तिरुचिपल्ली के श्रीरंगम तालुका में स्थित तिरुचेंदुरई गाँव में तो वक्फ बोर्ड ने पूरे के पूरे गाँव पर ही दावा ठोक दिया, जिस कारण गाँव वाले अपनी जमीन तक नहीं बेच पाए। जबकि वहाँ 1500 वर्ष पुराना मंदिर भी था, तब का जब इस्लाम का जन्म भी नहीं हुआ था। पटना के फतुहा में भी इसी तरह गाँव पर दावा ठोक दिया गया। वक्फ में संशोधन वाला बिल आया तो कॉन्ग्रेस इसके विरोध में थी। यानी, ये मुस्लिमों की तरफ ही हैं। बाकी सबके साथ तो छलावा कर रहे।