Saturday, November 23, 2024
Homeबड़ी ख़बरइंदिरा की नाक और राहुल का दिमाग वाली प्रियंका जी, भारत कॉन्ग्रेस की बपौती...

इंदिरा की नाक और राहुल का दिमाग वाली प्रियंका जी, भारत कॉन्ग्रेस की बपौती नहीं है

प्रियंका गाँधी का कहना है कि भारत में माचिस की डिब्बी से लेकर, मिसाइल तक, जो भी है, वो कॉन्ग्रेस की देन है। इसे कॉन्ग्रेस की देन कहना एक एलिटिस्ट, एनटायटल्ड, स्पॉइल्ट ब्रैट टाइप का बयान है जो ये सोच कर चलता है कि जो है, उसी का है।

प्रियंका गाँधी को कौन नहीं जानता! गाँधी तो आप राहुल में भी लगा दोगे तो लोग उसे जानने लगते हैं, और इस क़दर जानने लगते हैं कि उसे जन्मजात प्रधानमंत्री समझने लगते हैं। प्रियंका गाँधी आजकल बोल रही हैं, जबकि आम तौर पर वो कहीं भी दिखती या बोलती नहीं। इस बार चुनाव नहीं लड़ रहीं क्योंकि ब्रिटेन के बैकऑप्स सर्विसेज़ और भारत की FTIL, Unitech जैसी संस्थाओं से उनके संबंधों को चुनावी हलफ़नामे में दिखाना पड़ेगा।

ये बात और है कि ‘गाँधी’ उपनाम को ढोने वाली प्रियंका इतनी ज्यादा विनम्र हो गई हैं कि उनके बयान को सुनकर आप भोक्कार पार कर (मतलब कलेजा फाड़ कर) रोने लगेंगे। इंदिरा की नाक के जस्ट नीचे वाले मुखारविंदों से वाड्रा जी की अर्धांगिनी ने कहा है कि अगर पार्टी चाहे तो वो चुनाव लड़ सकती हैं!

ग़ज़ब! मतलब… एकदम ग़ज़ब! प्रियंका गाँधी चुनाव लड़ेंगी या नहीं, ये पार्टी चाहेगी। इस पर विश्लेषण करके मैं अपना और अपने राष्ट्रवादी मित्रों का समय खराब नहीं करूँगा। हाँ, तीन सेकेंड चुप रहूँगा ताकि वो इस पर क़ायदे से हँस लें।

जब व्यक्ति चुप रहने का आदी हो, जितना कहा जाए, लिख कर दिया जाए उतनी ही पढ़ सकती हो, तो उससे जहाँ-तहाँ कुछ भी पूछ दीजिएगा तो अलबला जाएगी। ‘अलबलाना’ बिहार में प्रयुक्त होने वाला शब्द है जिसका मतलब वही है जो ऐसे सवाल पूछने पर प्रियंका गाँधी की प्रतिक्रिया होती है: समझ में नहीं आना कि क्या बोलें, और फिर कुछ भी बोल देना।

कल मोदी जी एक घोषणा की कि भारत के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से निर्मित एंटी सैटेलाइट मिसाइल से एक सक्रिय उपग्रह को मार गिराया। उन्होंने कहीं भी, एक भी बार पार्टी या सरकार को बधाई नहीं दी। बल्कि उन्होंने इसके लिए डीआरडीओ, इसरो और वैज्ञानिकों समेत समस्त देश को इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएँ दीं। 

चूँकि, कॉन्ग्रेस स्वयं ही राहुल और प्रियंका जैसे बड़े चैलेंजों से जूझ रहा है, तो उनके पास मुद्दे तो वैसे भी और कुछ बचे नहीं है, इसलिए वो देश की हर उपलब्धि में नेहरू जी को टैग कर देते हैं। कॉन्ग्रेस ने तुरंत ही बता दिया कि इसरो की स्थापना किस सरकार, माफ कीजिएगा, किस पार्टी के शासनकाल में हुई थी, और असली श्रेय किसको जाना चाहिए। 

यहाँ कॉन्ग्रेस कन्वीनिएंटली भूल गई कि कुछ ही दिन पहले तक, और फिर पूछेंगे तो फिर कह देगी, बालाकोट एयर स्ट्राइक के लिए वो सेना का अभिनंदन कर रही थी और यह कैटेगोरिकली कहा था कि इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं क्योंकि जेट में सैनिक थे, मोदी नहीं। अब यही कॉन्ग्रेस यह भी बताए कि इसरो की ईंट सोनिया गाँधी ने सर पर ढोई थी, कि राहुल गाँधी पान खाकर डीआरडीओ में स्पैनडैक्स पहनकर जॉगिंग किया करते थे।

बात यहीं खत्म हो जाती तो मुझे यहाँ तक आने की ज़रूरत नहीं पड़ती लेकिन प्रियंका गाँधी ने हाल ही में जिन शब्दों का प्रयोग किया है, वो सुनकर किसी भी नागरिक के तलवे की लहर मगज तक पहुँच जाएगी। उनका कहना है कि भारत में माचिस की डिब्बी से लेकर, मिसाइल तक, जो भी है, वो कॉन्ग्रेस की देन है।

यह बात कई स्तर पर मूर्खतापूर्ण है, या यूँ कहें कि राहुलपूर्ण है, या अब प्रियंकापूर्ण भी कह सकते हैं। पहली बात तो यह है कि कॉन्ग्रेस ने भले ही भारत को अपनी बपौती समझ रखी हो, लेकिन सत्तारूढ़ होने भर से एक पार्टी भारत सरकार नहीं हो जाती। प्रियंका ने यह भी कहा होता कि पहले की सरकारों की देन है, तो भी थोड़ी देर चर्चा हो सकती थी। लेकिन, इसे कॉन्ग्रेस की देन कहना एक एलिटिस्ट, एनटायटल्ड, स्पॉइल्ट ब्रैट टाइप का बयान है जो ये सोच कर चलता है कि जो है, उसी का है।

कॉन्ग्रेस ने पार्टी फ़ंड से इसरो नहीं बनवाया था, न ही डीआरडीओ के कर्मचारियों और वैज्ञानिकों को सोनिया गाँधी के हस्ताक्षर वाले चेक जारी हुआ करते थे। कॉन्ग्रेस के नाम ये संस्थान महज़ संयोग के कारण हैं क्योंकि सबसे पहले सत्ता में वही आई। और सत्ता में वह पहले इसीलिए आई क्योंकि विकल्प नहीं थे।

इसलिए, यह कह देना कि भारत के स्कूल और दुकान सब कॉन्ग्रेस की ही देन हैं, निहायत ही बेवक़ूफ़ी भरी बात है। जो पहली सरकार होगी वो हर बुनियादी व्यवस्था को बनाने का कार्य करेगी। नेहरू ने वही किया। वहाँ उस समय राहुल गाँधी भी संयोगवश होते तो उनके नाम भी भारत को आईआईटी देने की बात लिखी होती। आपकी ही सरकार है, ग़ुलामी से अभी आज़ाद हुई है, और आपको ही सारे पहले कार्य करने हैं, तो क्या वहाँ पर अमित शाह जाकर इसरो की स्थापना करेगा?

इसमें कौन सा विजन है कि आईआईटी खोले, स्पेस प्रोग्राम की शुरूआत की, सड़के बनवाईं, कानून बनाए, विज्ञान पर जोर दिया? ये विजन नहीं, ज़रूरत थी। ये न्यूनतम कार्य हैं जो कोई भी सरकार आज़ादी मिलते ही सबसे पहले करेगी। और, दुनिया में अगर आप उस वक्त थे, और आपको विज्ञान या तकनीक को लेकर सरकारी संरक्षण में कुछ संस्थाएँ खोलने का विचार नहीं आ रहा था, तो आप गुफ़ाओं में रहने वाले कहे जाएँगे।

इसलिए, प्रियंका गाँधी जी, नाक का तो इस्तेमाल आपकी पार्टी वोट जुटाने में कर ही रही है, दिमाग का आप स्वयं कर लीजिए, क्योंकि कुछ चीज़ों का इस्तेमाल पार्टी नहीं करती। कॉन्ग्रेस एक पार्टी है। एक बार फिर से बता रहा हूँ कि कॉन्ग्रेस एक पार्टी है। ‘इंदिरा इज़ इंडिया’ से बाहर आइए, भारत एक रजवाड़ा नहीं है, न ही कॉन्ग्रेस ने अपने पैसों से कोई कार्य किया है। 

भले ही आपके और आपके भाई के नाम से छात्रावासों के नाम हों, और आपके पिता, दादी, परनाना के नाम पर भारत की नालियों से लेकर पुलों, और स्कूलों, कॉलेजों, खेल के मैदानों, हवाई अड्डों और सड़कें हों, लेकिन वो आपको ये कहने का हक़ नहीं देती की सब आपके पारिवारिक उद्यम कॉन्ग्रेस पार्टी प्राइवेट लिमिटेड की निजी संपत्ति है। उस पर ये नाम इसलिए हैं क्योंकि इस पार्टी ने और आपके घरवालों ने इसे अपनी बपौती जागीर समझ रखी थी।

जिस पार्टी के भविष्य के सबसे बड़े गुण दो डिम्पल और ‘साड़ी में बिलकुल इंदिरा गाँधी लगती है’ हो, उसे कोई गगनयान ऊपर नहीं ले जा सकता। कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए मुझे निजी तौर पर दुःख होता है कि पहले उन्हें राहुल गाँधी की नादानियों और मूर्खताओं को डिफ़ेंड करना होता था, अब प्रियंका भी आ गईं। 

भले ही लम्पट पत्रकार गिरोह प्रियंका के जीन्स और टॉप पर आर्टिकल लिखकर उसे कपड़ों के आधार पर ही कुशल प्रशासक बताता रहे, लेकिन सत्य यही है कि कई बार मुँह खोलकर आदमी एक्सपोज हो जाता है। कई बार सिर्फ ग़रीबों के साथ फोटो खिंचाने, अमेठी की झुग्गी से पिता के निकलने की तस्वीर और तीस साल बाद बेटे के निकलने की तस्वीर, कइयों को भावविह्वल कर देती है। कई बार आप साड़ी पहनकर आत्मविश्वास के साथ, सीरियस चेहरा बनाए दादी के दिए ‘गरीबी हटाओ’ के नारे के शिकार हुए ग़रीबों को गौर से सुनती दिखाई देती थी, तो लगता था कि गम्भीर नेत्री है।

लेकिन आपने जब से मुँह खोलना शुरु किया है, सारे लोग कन्फर्म होते जा रहे हैं कि एलिटिज्म, एनटायटलमेंट, और परिवार से होने का घमंड आपमें इतना ज़्यादा है कि भारतीय नागरिक एक बार फिर से आपकी पार्टी को अफोर्ड नहीं कर पाएगी। मोदी ने बार-बार कहा है कि कॉन्ग्रेस को भी कॉन्ग्रेस वाली मानसिकता से मुक्त हो जाना चाहिए। आपको उनकी बात पर ध्यान देना चाहिए।

आपको देखकर बहुतों की उम्मीद जगी थी कि एक सशक्त महिला राजनीति में आ रही है। मैंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि समाज के हर तबके का प्रतिनिधित्व होता रहे। आप महिलाओं की प्रतिनिधि तो बिलकुल नहीं, बल्कि एक परिवार की अभिजात्य और नकारात्मक मानसिकता का प्रतिनिधित्व ज़रूर कर रही हैं जो बाप-दादी-परनाना की लगाई ईंटों पर तो अपना अधिकार जताता है लेकिन वैसी ही ईंटों पर सैकड़ों दंगों के लगे ख़ून, वैसी ही ईंटों को सोना बनाकर लाखों करोड़ों लूटने की बात, वैसी ही ईंटों पर लिखे घोटालों के नाम, और वैसी ही ईंटों के खोखलेपन से खोखले हुए देश की ज़िम्मेदारी नहीं ले पाता।

इस आर्टिकल का वीडियो यहाँ देखें


Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अजीत भारती
अजीत भारती
पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम लड़की और हिन्दू लड़के ने की मंदिर में शादी, अब्बू ने ‘दामाद’ पर ही करवा दी रेप की FIR: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने...

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिन्दू युवक को मुस्लिम लड़की से शादी करने के आधार पर जमानत दे दी। लड़के पर इसी लड़की के अपहरण और रेप का मामला दर्ज है।

कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने दिखानी चाही PM और गौतम अडानी की तस्वीर, दिखा दी अडानी और रॉबर्ट वाड्रा की फोटो: पैनलिस्ट ने कहा, ये ‘जीजा...

शो में शामिल OnlyFact India के संस्थापक विजय पटेल ने मजाक में कहा, "यह फोटो मोदी जी के साथ नहीं, जीजा जी (राहुल गाँधी के बहनोई) के साथ है।"
- विज्ञापन -