वीर सावरकर का एक प्रसिद्ध कोट है जिसे आए दिन सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है। सावरकर ने कहा था, “जिस दिन हिंदू एक हो जाएँगे कॉन्ग्रेस के नेता उनके वोट के लिए कोट के ऊपर जनेऊ धारण करने लगेंगे।” उनकी यह बात हाल के वर्षों में सच होते हुए दिखाई दी। वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के समय राहुल गाँधी ने मंदिर यात्राओं को एक नया आयाम दे डाला। चुनाव के मौके पर वे रुद्राक्ष की माला धारण कर मंदिर मंदिर दर्शन करते नज़र आए। उन्हें जनेऊधारी हिंदू के रूप में पेश किया गया। 2019 में लोकसभा चुनाव के समय प्रियंका गाँधी ने भी मंदिर यात्राएँ करती बरामद हुईं।
इन सब के ऊपर वीर सावरकर की भविष्यवाणी तब और प्रासंगिक लगी जब वर्ष 2019 में राम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के पश्चात अपने हलफनामे तक में श्री राम को काल्पनिक चरित्र बताने वाले और सर्वोच्च न्यायालय को राम जन्मभूमि केस की सुनवाई न करने की सलाह देने वाले कॉन्ग्रेसी नेताओं ने यह तक कह डाला कि वे हमेशा से अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनने के पक्ष में थे।
पिछले कुछ वर्षों में कॉन्ग्रेस नेताओं के बदलते रंग देखते हुए हमेशा एक बात की उत्सुकता रही है; सावरकर एक राजनीतिक दल के रूप में कॉन्ग्रेस और उसके नेताओं की एक से अधिक पीढ़ियों के आचरण को देखते और समझते रहे थे इसलिए ऐसी सटीक भविष्यवाणी कर डाली थी पर यदि वे आज होते तो आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं के बारे में क्या कहते? कॉन्ग्रेसी नेताओं का राजनीतिक/सार्वजनिक जीवन लंबा रहा है पर आम आदमी पार्टी के नेताओं का राजनीतिक जीवन तो अभी एक दशक पुराना भी नहीं हुआ है पर उन्होंने जिस तरह से रंग बदला है वो पुराने कॉन्ग्रेसी नेताओं को भी शर्मिंदा कर देने के लिए काफी है।
सोशल मीडिया पर आए दिन अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे आम आदमी पार्टी के नेताओं के यू-टर्न वाले बयान तो शेयर होते ही रहते हैं पर इन नेताओं के हिंदू वोट के लिए किये गए राजनीतिक आचरण देखने लायक रहे हैं।
अनशन के दिनों में मंच पर लगे भारत माता का कटआउट हटाने से शुरू हुआ मुस्लिम तुष्टिकरण का राजनीतिक सफर इफ्तार पार्टी में केजरीवाल के सिर पर रखी जालीदार टोपी और कंधे पर पड़े अरबी गमछे और अयोध्या में मंदिर की जगह अस्पताल और यूनिवर्सिटी के निर्माण की अपील से होते हुए केजरीवाल की हनुमान भक्ति और अयोध्या में रामनामी ओढ़कर रामलला के दर्शन तक ही नहीं बल्कि अब दिल्ली के स्टेडियम में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर का रेप्लिका बनाकर दीपावली के शुभ अवसर पर उसमें पूजा करने तक पहुँच चुकी है।
#WATCH | Delhi CM and AAP national convener Arvind Kejriwal performs ‘aarti’ at Sarayu Ghat in Ayodhya. pic.twitter.com/Clp6JPCM16
— ANI UP (@ANINewsUP) October 25, 2021
एक समय था जब अरविन्द केजरीवाल अपनी नानी की बात का इस्तेमाल करके बताते थे कि उनकी नानी को रामलला का मंदिर चाहिए पर ‘किसी की’ मस्जिद गिराकर उस जमीन पर नहीं चाहिए। एक समय था जब वे कहते थे कि; भाजपा कॉलेज की जगह मंदिर बनवाना चाहती है और ऐसा हुआ तो आपके बच्चे डॉक्टर इंजीनियर नहीं बल्कि पंडित बनेंगे। सिसोदिया अयोध्या में मंदिर की जगह लाइब्रेरी, अस्पताल और यूनिवर्सिटी चाहते थे। संजय सिंह ने तो रामनामी धारण करने से पहले अंतिम प्रयास के रूप में राम जन्मभूमि न्यास द्वारा जमीन की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बड़ा शोर मचाया। अब इन नेताओं ने पार्टी की राजनीतिक यात्रा को मोड़ दिया है।
पार्टी की राजनीति में आया यह बदलाव एक बार के लिए स्थाई लग सकता है पर स्थाई है नहीं। पार्टी की राजनीति अन्य विपक्षी दलों से बिलकुल अलग है या नहीं यह बहस का मुद्दा है। आखिर आज लगभग हर विपक्षी दल हिंदुओं को प्रभावित करने के चक्कर में दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बात अब तक केवल आम आदमी पार्टी द्वारा की गई थी। यह गठबंधन हो पाएगा या नहीं यह तो समय बताएगा पर यदि गठबंधन की संभावना अभी तक है तो समाजवादी पार्टी के लिए यह नज़रअंदाज करना मुश्किल होगा कि केजरीवाल एंड कंपनी इस समय अपनी सारी कलाएँ केवल हिंदू वोट के लिए दिखा रही है।
पार्टी के लिए समस्या यह भी है कि अगले वर्ष चुनाव केवल उत्तर प्रदेश में नहीं हैं बल्कि अन्य राज्यों में भी हैं और इस वजह से पार्टी के लिए सर्व धर्म राजनीति में समन्वय बना पाना आसान नहीं होगा।
इन सबके बीच प्रश्न यह है कि पार्टी सरकार में रहते हुए जिस स्तर का हिंदू प्रेम दिल्ली में दिखा रही है क्या उसी स्तर का उत्तर प्रदेश में दिखा सकती है? वैसे भी दिल्ली में पार्टी ने केवल हिंदू प्रेम ही दिखाया हो ऐसा नहीं है। उसके मुस्लिम नेता क्या करते रहे हैं यह किसी से छिपा नहीं है। मुस्लिम तुष्टिकरण के साथ-साथ पंजाब के सिख ‘किसानों’ द्वारा दिल्ली और आस-पास के इलाकों में की जाने वाली मनमानी का पार्टी ने जिस स्तर पर समर्थन किया है वह उत्तर प्रदेश के लोगों से छिपा नहीं है।
तमाम लोगों को यह लगता है कि विपक्षी दलों में केवल आम आदमी पार्टी ही खुलकर हिंदू प्रेम दिखा रही है इसलिए वह बाकी सबसे आगे रहेगी पर सच यही है कि लगभग हर पार्टी ऐसा करने के लिए तैयार है पर अपने भीतर के भ्रम से निकल पाना इन दलों के लिए आसान नहीं है। ऐसे में यदि जल्द ही यह सुनने को मिले कि विपक्षी दल मुस्लिम तुष्टिकरण से चलकर हिंदू तुष्टिकरण पर पहुँच गए हैं तो आश्चर्य न होगा।