पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित RG Kar मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार की घटना सामने आई, जिस पर पूरा देश उबल रहा है। पश्चिम बंगाल में तो मेडिकल सेवाएँ ही ठप्प हैं, क्योंकि डॉक्टर व नर्सिंग कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं, विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाए जा रहे हैं। लेकिन, मीडिया और सेलेब्रिटीज का एक बड़ा हिस्सा इस घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं।
खासकर महिला जनप्रतिनिधियों से ये अपेक्षा की जाती है कि वो महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों पर मुखर होंगी, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसका उलटा हो रहा है। सत्ताधारी दल की मुखिया और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद एक महिला हैं। TMC के 29 सांसदों में से 11 महिलाएँ हैं, जिसमें अक्सर विवादों में रहने वाली महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं। इस मुद्दे पर आवाज़ उठाना या न्याय दिलाने की कोशिश करना तो दूर की बात है, महुआ मोइत्रा उलटे सवाल पूछने वालों को सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर रही हैं।
उदाहरण के लिए पत्रकार अजीत अंजुम को ले लीजिए। उसी गिरोह के पत्रकार हैं, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वीडियो बना-बना कर YouTube से मोटी कमाई करते हैं। 62.70 लाख सब्सक्राइबर्स वाले अजीत अंजुम ने जब कोलकाता की इस घटना को लेकर महुआ मोइत्रा से ‘X’ पर एक सवाल पूछा, जिसके बाद कृष्णानगर से तृणमूल सांसद ने उन्हें ब्लॉक कर दिया। इसके बाद अजीत अंजुम सवाल दागने लगे कि आप एक सवाल नहीं सुन सकतीं, आपको सिर्फ पूछना आता है, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सिर्फ प्रवचन देना आता है?
महुआ मोइत्रा पर दुबई स्थित कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से महँगे तोहफे व कैश लेकर अपने संसद वाले आईडी-पासवर्ड का गलत इस्तेमाल कर के अडानी के खिलाफ सवाल पूछने का आरोप लगा, जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता भी चली गई थी। अभी जब हिंडेनबर्ग ने अडानी और सेबी के खिलाफ रिपोर्ट प्रकाशित किया, तब भी महुआ मोइत्रा ने जम कर एक स्वदेशी कंपनी और भारतीय नियामक संस्था के खिलाफ अभियान चलाया। वहीं उनके ही राज्य में हुई एक क्रूर घटना पर वो चुप रहीं।
एक ऐसी जघन्य घटना, जिसमें मृतक महिला के शरीर में 150 मिलीग्राम सीमेन पाया गया। परिजनों का कहना है कि इस हत्या को आत्महत्या साबित करने की कोशिश की गई थी। आरोप है कि सबूत मिटाने के लिए वहाँ कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया गया है। हाईकोर्ट भी इतना बिफर गया कि उसने प्रिंसिपल संदीप घोष को छुट्टी पर जाने के लिए कह दिया। परिजन जब खबर सुन कर अस्पताल पहुँचे तो पीड़िता के दोनों पाँव 90 डिग्री के हिसाब से फैले हुए थे, उसकी आँखों से खून बह रहा था। पाँव ही नहीं बल्कि पेट, होठ और उँगलियों पर भी जख्म के निशान थे।
कुछ इस तरह से सामूहिक बलात्कार किया गया, जैसे अपराधी सनकी किस्म के रहे हों। खैर, हर बलात्कारी सनकी ही होता है क्योंकि वो समाज का कभी हो ही नहीं सकता। पीड़िता के गुप्तांगों के साथ भी ज्यादती की गई थी। घटना कॉलेज से सेमिनार हॉल की है, जहाँ महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने अपने साथियों के साथ डिनर किया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि 2 बार गला घोंटा गया था। CBI इस मामले की जाँच कर रही है, क्योंकि कोलकाता पुलिस पर ही गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं।
कई डॉक्टर ही कह रहे हैं कि ये अब तक के सबसे जघन्य अपराधों में से एक है, शायद ही पीड़िता के शरीर का कोई हिस्सा था जिसे छोड़ा गया। नाक से भी खून बह रहा था, ललाट पर भी जख्म थे। इस मामले में एक आरोपित को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि ये अकेले एक व्यक्ति का काम नहीं है। गिरफ्तार आरोपित कोलकाता पुलिस का ही सिविल वॉलंटियर था और नजदीकी थाने में तैनात था। पीड़िता पिछले 2 वर्षों से वही काम कर रही थी, घटना के पहले उसने 36 घंटे की ड्यूटी की थी।
ऐसी घृणित घटना पर सवाल पूछने पर सत्ताधारी दल की ऐसी महिला सांसद ब्लॉक कर दे रही हैं, जो खुद को संसद से लेकर सड़क तक ‘सरकार से कड़े सवाल पूछने वाली’ बता कर पेश करती रही है। कभी वो भारत में लोकतंत्र न होने का दावा करती है तो कभी अंबानी-अडानी को प्राथमिकता दिए जाने का आरोप लगाती है। यूपी के हाथरस में एक घटना पर पूरे देश की मेनस्ट्रीम मीडिया वहाँ पहुँच गई थी, अब न तो वैसी रिपोर्टिंग हो रही है और न ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा माँगा जा रहा है।
पश्चिम बंगाल के लिए ये चीजें नई बात नहीं है। हाल ही में हमने देखा कि कैसे ताजेमुल शेख अपनी ‘शरिया अदालत’ चला रहा था और इसके तहत वो किसी महिला को जमीन पर पटक कर पीट रहा था तो किसी महिला को बाँध कर सड़कों पर परेड निकाल रहा था। चोपरा के TMC विधायक हमीदुल रहमान ने पश्चिम बंगाल को ‘मुस्लिम राष्ट्र’ बताते हुए इस कृत्य का बचाव किया। हमने देखा था कि कैसे ED पर हमला करने वाले शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों ने संदेशखाली में जनजातीय समाज की महिलाओं का यौन शोषण किया और उसे बचाने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार भी लगी।
एक तरफ मोदी सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित कर के ये सुनिश्चित किया है कि भारत के संसदीय क्षेत्रों के पुनर्गठन के बाद एक तिहाई सांसद महिलाएँ हों, वहीं दूसरी तरफ TMC की 11 महिला सांसद चुप हैं क्योंकि बलात्कार की ये घटना उनकी पार्टी के राज में हुई है। जम्मू कश्मीर के कठुआ और उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना पर जिन सेलेब्रिटीज को भारतीय होने में शर्म आ रही थी, वो भी चुप हैं। ये कब बोलेंगे पता नहीं, लेकिन हाँ, ब्लॉकिंग में ये अभी मास्टर बने हुए हैं।