Tuesday, November 5, 2024
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तेजस्वी के मंत्रालय में शाम तबादले सुबह स्टे, विधायकों-सांसदों से मुलाकात, शिक्षकों पर लाठियाँ, ‘फिट लालू’ के ‘दूल्हा’ राहुल… क्यों डरे हुए हैं नीतीश कुमार?

असल में हुआ क्या कि शाम के समय तबादले की अधिसूचना जारी की गई और सुबह में उस पर स्टे लग गया। इस सूची को रद्द किए जाने के बाद महागठबंधन सरकार की खूब किरकिरी हो रही है।

क्या बिहार में फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पलटी मारने वाले हैं? ये सवाल मीडिया में फिर से चर्चा का विषय इसीलिए बना हुआ है, जिसके दो कारण हैं – पहला ये कि वो जाने ही इसीलिए जाते हैं और दूसरा ये कि हाल में उन्होंने अपने विधायकों और विधान पार्षदों से धुआँधार मुलाकात की है। वो सभी सांसदों से भी मिलने वाले हैं। ऐसे में चर्चा गर्म है कि क्या वो फिर से महागठबंधन का दामन छोड़ कर भाजपा के साथ जाएँगे। आइए, विश्लेषण करते हैं कि क्या ये सचमुच संभव है?

हाल ही में हम सबने देखा कि किस तरह से बिहार में विपक्षी नेताओं की बैठक हुई। इसके बाद सबसे ज्यादा चर्चा लालू यादव और राहुल गाँधी की ही हुई। जहाँ लालू यादव अपने पुराने अंदाज़ में दिखे और खुद को पूरी तरह फिट बता कर एक प्रकार का सन्देश दिया, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने राहुल गाँधी को शादी करने की सलाह दी और कहा कि हम सब आपकी शादी में बरात में चलेंगे। राजनीति समझने वाले इस इशारे का मतलब लगा सकते हैं कि लालू यादव के लिए ‘दूल्हा’ कौन है।

अगर राहुल गाँधी ‘दूल्हा’ हैं और लालू यादव को भी ये स्वीकार्य है, तो निश्चित ही ये नीतीश कुमार के लिए बुरी खबर हो सकती है जिन्होंने अपने मन में प्रधानमंत्री पद की इच्छा दबाए पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक की दौड़ लगाई है। विपक्ष की बैठक में उन्हें शायद उतनी लाइमलाइट मिली नहीं जितना वो चाहते थे। दिल्ली के अध्यादेश पर अरविंद केजरीवाल और कॉन्ग्रेस भिड़ गए तो उधर अनुच्छेद-370 पर महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला ने AAP को सुना दिया।

लेकिन, अबकी नीतीश कुमार के साथ दिक्कत ये है कि खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ये कह चुके हैं कि भाजपा ने अब नीतीश कुमार और ललन सिंह (जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष) के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं। ऐसे में अमित शाह इतनी जल्दी अपने कहे से पीछे हटेंगे, ये संभव नहीं है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने तो हाल ही में कहा कि भाजपा ने नीतीश के लिए नो एंट्री लगा दी है। उन्होंने नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया

बिहार में स्वास्थ्य मंत्रालय में हुए तबादलों और अचानक उनपर लगी रोक के कारण भी नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच अनबन के कयास लगाए जा रहे हैं। असल में हुआ क्या कि शाम के समय तबादले की अधिसूचना जारी की गई और सुबह में उस पर स्टे लग गया। इस सूची को रद्द किए जाने के बाद महागठबंधन सरकार की खूब किरकिरी हो रही है।स्वास्थ्य निदेशक प्रमुख ने नोटिफिकेशन जारी किया और विभागीय अपर मुख्य सचिव के OSD ने इस पर रोक लगा दी।

खास बात ये है कि स्वास्थ्य मंत्रालय तेजस्वी यादव के पास ही है। अब 9 संवर्ग के कर्मियों के स्थानांतरण में त्रुटियाँ बता कर इसे रोक दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसे जानकारी दिए बगैर तबादले हुए थे – नीतीश या तेजस्वी? कुछ लोगों ने इसे अधिकारियों की आपसी पॉवर पॉलिटिक्स बता दी है, लेकिन हर बड़े नेता के विश्वासपात्र अधिकारी मंत्रालय में होते हैं ये किसी से छिपा नहीं है। गड़बड़ी डिप्टी सीएम के विभाग में हो रही है, ऐसे में सवाल उठना तो लाजिमी है।

चलिए, कुछ लोग इसे छोटी बात कह कर भी ख़ारिज कर सकते हैं और कह सकते हैं कि ये सब चलता रहता है, जहाँ एक पार्टी की सरकार है वहाँ भी 2 नेताओं के बीच ऐसी अनबन की खबरें आती रहती हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में अब ये सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि वो हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं – जिनके साथ हैं उनसे भी और जो विरोधी हैं उनसे भी। इतना ही नहीं, बिहार की जनता के प्रति भी खुद को लेकर उनके मन में असुरक्षा की ही भावना है।

आखिर तभी तो राजधानी पटना में कभी शिक्षक, कभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तो कभी छात्रों की पिटाई होती है। लेकिन, अब जब भाजपा ने अपने साथ लोजपा के दोनों धड़ों (एक अनाधिकारिक रूप से), मुकेश सहनी (लगभग आ ही गए हैं) और उपेंद्र कुशवाहा को अपने साथ जोड़ रखा है, ऐसे में इस प्रकार की हर एक घटना पर भी चौतरफा प्रहार होगा। ताज़ा खबर ये है कि 3000 शिक्षकों ने गाँधी मैदान से राजभवन की तरफ मार्च किया था, जिन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है और कई घायल हुए हैं।

शिक्षक अभ्यर्थियों को लेकर डोमिसाइल पॉलिसी में बदलाव कर के महागठबंधन सरकार ने निर्णय लिया है कि अब बिहार के बाहर के अभ्यर्थी भी इसमें शामिल हो सकते हैं। 1.7 लाख रिक्तियों के लिए पहले से ही बेरोजगारी से जूझते बिहार के लोग इससे परेशान हैं। पुलिस का कहना है कि विरोध प्रदर्शन बिना अनुमति के किया जा रहा था। चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार हर बात का जब लाठी से दे रहे हैं। उन्होंने नीतीश पर पीएम बनने की महत्वाकांक्षा सवार होने की बात करते हुए कहा कि छात्रों की माँग जायज है।

इस घटना पर टिप्पणी करने में मुकेश सहनी भी पीछे नहीं रहे। VIP के नेता ने तुरंत टिप्पणी की कि 18 वर्षों से सरकार चलाने के बावजूद नीतीश कुमार अब तक शिक्षकों के दिलों में जगह नहीं बना पाए हैं। उन्होंने भी शिक्षकों पर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए कहा कि शिक्षक ही भविष्य तैयार करते हैं, ऐसे में उनके साथ ऐसा करना सही नहीं है। किस गठबंधन के साथ जाना है, उनके इसी बयान से कयास लगाए जा सकते हैं। अमित शाह के साथ उनकी बैठक भी हुई है।

चिराग पासवान, पशुपति कुमार पारस, मुकेश सहनी और उपेंद्र कुशवाहा के अलाव जीतन राम माँझी जैसे नेताओं के साथ भाजपा नीतीश कुमार के खिलाफ क्षेत्रीय महागठबंधन तैयार करने की ओर अग्रसर है। वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार देश भर के नेताओं को खुश कर के भाजपा विरोधी गठबंधन तैयार कर रहे हैं। नीतीश कुमार उद्धव ठाकरे का हश्र देख चुके हैं, जिनके पास न सत्ता रही न पार्टी। ऐसे में उनके मन में एक असुरक्षा की बड़ी भावना ने घर कर लिया है, ये साफ़ है।

भाजपा ने नीतीश कुमार के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं। 3 बड़े नेता (कुशवाहा, माँझी और सहनी) जो उनके साथ हुआ करते थे, वो छिटक गए हैं। शिक्षकों पर लाठीचार्ज और नियमों में परिवर्तन के बाद एक बड़े समूह के बीच उनकी थू-थू हो रही है। बिहार में एक के बाद एक पुल गिर रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार का आलम पता चलता है। नीतीश कुमार डरे हुए हैं, उद्धव का हश्र देख कर भाजपा से और विपक्षी एकता बैठक में लालू यादव का रवैया देख कर अपने साथी दल से। और हाँ, जनता से भी।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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