पाँच साल पहले जब गुजरात के एक मुख्यमंत्री ने कॉन्ग्रेस के घोटालों से जर्जर देश के विकास की बात की तो ‘कॉन्ग्रेस मुक्त भारत’ का नारा दिया। वह व्यक्ति बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और पिछले पाँच सालों में न सिर्फ देश मजबूत हुआ बल्कि पार्टी भी उतनी ही मजबूत हुई। जो कॉन्ग्रेस कभी खुद को ही लोकतंत्र समझती थी, जिसके नेताओं ने कभी ‘इंदिरा इज इंडिया’ कहा था, आज उसी कॉन्ग्रेस के कैसे दिन आ गए हैं कि देश की सबसे बड़ी पार्टी कॉन्ग्रेस का मनोबल इतना गिर चुका है कि वह अब चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि ‘वोट काटने’ के लिए लड़ रही है।
यह बात कोई और नहीं बल्कि कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी खुद कह रही हैं। तो क्या उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस और बसपा-सपा गठबंधन का चुनाव में उतरना मतदाताओं को बेवकूफ बनाने के लिए मात्र एक चाल है? क्या इनकी आपसी चुनावी बयानबाजी देश की जनता को बेवकूफ बनाने की हिस्सा है? कब तक ये लोग आम जनता को बेवकूफ समझ कर उसका बेजा फायदा उठाते रहेंगे? क्या जनता का बहुमूल्य वोट जो ऐसे वोटकटवा पार्टी को जा रही है वह लोकतंत्र के मूलभूत स्तम्भ के साथ मजाक नहीं है?
निराश-हताश कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी ने भी जिन्हें पार्टी ने कॉन्ग्रेस की डूबती नैया बचाने के लिए आखिरी तारणहार के रूप में उतरा था, हथियार डाल दिए हैं। बुधवार (मई 1, 2019) को यूपी में एक बड़ा खुलासा करते हुए प्रियंका वाड्रा ने खुद कहा कि हर सीट जीतने के लिए नहीं होती है और हारने वाली सीटों पर हमनें वोट काटने वाले कैंडिडेट्स को उतारा है ताकि बीजेपी के वोट काटे जा सकें।
Priyanka Gandhi Vadra: BJP will suffer a major setback in UP, they’ll lose badly. In those seats where Congress is strong & our candidates are giving a tough fight, Congress will win. Jahan hamare ummedwar thode halke hain, wahan humne aise ummedwar diye hain jo BJP ka vote kaate pic.twitter.com/2f2BMMQCBs
— ANI UP (@ANINewsUP) May 1, 2019
प्रियंका वाड्रा के इस खुलासे ने अब कॉन्ग्रेस पार्टी की उस मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें पार्टी फ्रंट फुट पर खेलते हुए हर राज्य में अपने बल पर बेहतर प्रदर्शन कर सत्ता में आने का दम भर रही थी। यहाँ तक कि लोकसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि उनकी पार्टी देश के हर राज्य में फ्रंट फुट पर खेलने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी है। लिहाजा हम प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने के लिए इस चुनाव में उतरेंगे। इसके लिए अपने तरफ से राहुल ने कोई कसर नहीं छोड़ी तमाम झूठ बोले, कई झूठे आरोप लगाए, राफेल-राफेल चिल्लाए। यहाँ तक कि अपने पूरे गिरोह को भी फर्जी माहौल बनाने के लिए लगा दिया लेकिन झूठ का हवाई किला कितनी देर तक टिकता उसे ढहना ही था और अब इसकी पूर्व सूचना प्रियंका ने अपने आज के खुलासे से दे दिया। आज का प्रियंका का बयान कॉन्ग्रेस के बचे मनोबल को भी तोड़ने वाला है।
वैसे प्रियंका और राहुल कब क्या बोल जाएँ कुछ कहा नहीं जा सकता। प्रियंका गाँधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक बड़ा झटका लगेगा और वे बुरी तरह हार जाएँगे। उन्होंने कहा कि उन सीटों पर जहाँ कॉन्ग्रेस मजबूत है, कॉन्ग्रेस जीत जाएगी और अन्य जहाँ कॉन्ग्रेस कमजोर है, वहाँ उम्मीदवारों का चयन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि वे भाजपा के ‘वोट काट’ सकें।
2019 के लोकसभा चुनावों में, अनिवार्य रूप से शुरुआती कयास लगाए गए थे कि केवल दो राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं जो चुनावी संग्राम में हैं- भाजपा और कॉन्ग्रेस। जहाँ भाजपा ने पीएम मोदी पर अपनी उम्मीदें बाँधी हैं और अपने दम पर बहुमत हासिल करने की कोशिश कर रही है, वहीं कॉन्ग्रेस अब क्षेत्रीय दलों के लिए सहायक की भूमिका निभाते हुए केवल “वोट कटर” तक ही सीमित रह गई है। कॉन्ग्रेस की स्थिति ऐसी हो गई है कि वह ‘न घर की रही न घाट की।’ सोचिए कॉन्ग्रेस के इतने बुरे दिन आ गए हैं कि बीएसपी जैसी पार्टी ने भी जिसके संसद में जीरो सांसद हैं, कॉन्ग्रेस को नकार दिया।
हालाँकि, प्रियंका गाँधी वाड्रा के बयान का एक बड़ा निहितार्थ है। मीडिया को दिए अपने बयान में, उन्होंने स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश में जहाँ कॉन्ग्रेस की स्थिति कमजोर है, वहाँ पार्टी ने ‘वोट-कटर’ को उतारा है। वोट काटने वाले ऐसे उम्मीदवार होंगे जो जीत नहीं पाएँगे, लेकिन भाजपा के वोट शेयर में खाएँगे, जिससे उस निर्वाचन क्षेत्र से बसपा या सपा के उम्मीदवार को मदद मिलेगी।
प्रियंका गाँधी वाड्रा के बयान से, यहाँ यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सार्वजनिक रूप से केवल दिखावा करने के लिए था कि ये तीनों पार्टियाँ एक-दूसरे के खिलाफ हैं। दरअसल, कॉन्ग्रेस, बसपा और सपा वास्तव में बीजेपी को हराने के लिए एक साथ हैं। इनके बीच की फाइट और बयानबाजी छद्म है। इन पार्टियों को पहले से पता है कि अब ये जनता को और बेवक़ूफ़ नहीं बना सकते, इनका बचा-खुचा जनाधार भी खिसक चुका है।
पहले बसपा के लिए, कोर वोट बैंक दलित गुट, सपा के लिए कोर वोट बैंक यादव और समुदाय विशेष वाले थे। कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन से इन दोनों पार्टियों का ये जनाधार भी और बँट जाता, क्योंकि इन्हे अच्छी तरह पता था कि कॉन्ग्रेस उत्तर प्रदेश से लगभग सफा है। कॉन्ग्रेस के इनका गठबंधन इनके लिए चुनावी आपदा के रूप में साबित हो सकता है। तो ऐसे में जब सभी का सामूहिक उद्देश्य विकास या आम जनता की सेवा न होकर केवल हर हाल में मोदी को हराना रह गया है तो ऐसे में मोदी के वोटों में किसी भी प्रकार से ध्रुवीकरण या कटाव उनके जीत की सम्भावना को कुछ कम कर सकता था।
ऐसे में शुरू हुआ इनका शैडो बॉक्सिंग का खेल जिसका मक़सद बस वोट काटना और जनता को बेवकूफ बनाना रह गया। यह वही है जो प्रियंका गाँधी वाड्रा के बयान की पुष्टि करता है। कॉन्ग्रेस और एसपी, बीएसपी के बीच चुनावी मैदान में शैडो बॉक्सिंग केवल बीजेपी के वोट काटने के लिए एक छद्म मोर्चा था, क्योंकि उनमें से कोई भी वास्तव में इतना आश्वस्त नहीं था कि वो लोकसभा चुनाव में अपने दम पर कुछ कर सकते हैं।
कुल मिला कर लोकसभा चुनाव में अपने हर झूठ को प्रोजेक्ट करने के बाद भी, जनता से कई झूठे वादे करने और उन्हें बीजेपी के खिलाफ भड़काने की पूरी कोशिश के बाद भी अपना हर झूठ बेअसर और बेनकाब होता देख अब कॉन्ग्रेस सहित बाकी सभी पार्टियों ने लगभग अपनी हार मान ली है। प्रियंका के आज के बयान ने बची-खुची उम्मीद का भी बेड़ा गर्क कर दिया। अब देखना ये है कि अब कॉन्ग्रेस किसे आगे करती है जो कॉन्ग्रेस के लिए संजीवनी साबित होती है। वैसे प्रियंका ने महासचिव का दायित्व निभाते हुए कॉन्ग्रेस को ‘वोट कटवा’ पार्टी बना कर अपने दृष्टिकोण का परिचय दे दिया है। अब उनसे न पार्टी को कोई उम्मीद बची है न कार्यकर्ता को, राहुल पहले ही अपनी मेधा का परिचय दे चुके हैं।
अब शायद ही कॉन्ग्रेस कभी वापसी कर पाए, जिसका नेतृत्व ही लगातार पार्टी को गर्त की तरफ ले जा रहा हो, उससे किसी भी तरह की उम्मीद करना भी बेमानी है।