चाहे साध्वी प्रज्ञा का हालिया बयान और उनका पीछे हटना हो, या फिर भाजपा को कम्यूनल कहना, हिन्दुओं को असहिष्णु कह कर देश और दुनिया में छवि खराब हुई, और इन सबको डिफ़ेंड करने में ही भाजपा की सारी ऊर्जा चली गई।
भाजपा के सर पर सम्प्रदायवाद मढ़ दिया जाता है, लेकिन याद कीजिए कि कॉन्ग्रेस के दंगाई इतिहास और वामपंथियों के आतंक के शिकार लोगों के लिए, उनके और तृणमूल के पोलिटिकल किलिंग्स पर कितनी बार माफ़ी माँगी गई? किसी ने कह दिया कि भाजपा कम्यूनल है, तो वो हो गई क्या? सिद्धू ने अपने बयान के लिए माफ़ी माँगी? मणिशंकर अय्यर ने? आज़म खान ने? राहुल गाँधी ने?