केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने युवाओं को लिए अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) की घोषणा की, जिसका कहीं स्वागत हुआ और कहीं विरोध। विरोध करने वालों में अधिकांश विपक्षी दल हैं। इस विरोध का असर कुछ ऐसा हुआ कि बिहार कई जिलों में तोड़फोड़, हिंसा और आगजनी की घटनाओं की शुरुआत हो गई।
विरोध के नाम पर बिहार से शुरू हुए प्रदर्शन में 10 से अधिक ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया। रेलवे के टिकट काउंटर से लाखों रुपए लूट लिए गए। स्टेशनों और ट्रेनों में यात्रियों को इस कदर भयभीत कर दिया गया कि यह घटना उनके जीवन का दु:स्वप्न बन गया। धीरे-धीरे बिहार से शुरू हुआ विरोध का यह हिंसक प्रदर्शन कई राज्यों में फैल गया।
जिन राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं और हिंसक तरीके से हो रहे हैं, उनमें अधिकांश भाजपा शासित राज्य हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल, तेलंगाना जैसे अपवाद राज्य भी शामिल हैं। तेलंगाना के सिकंदराबाद में भी रेलवे की बोगियों को जलाने की घटना सामने आई है।
इस प्रदर्शन को आमतौर पर युवाओं द्वारा स्वत:स्पूर्त प्रदर्शन बताया जा रहा है, लेकिन जिस तरह की हिंसा और उत्पात किए जा रहे हैं, उससे सोशल मीडिया पर लोग इसे सुनियोजित साजिश बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि इसमें विपक्षी राजनीतिक दल, कोचिंग माफिया, कम जानकारी वाले यूट्यूबर, कथित बुद्धिजीवी भी शामिल हैं।
वहीं, कुछ लोगों का आरोप है कि युवाओं के इस आक्रोश को कुछ लोगों ने अपने हित को साधने का मुद्दा बना लिया है, ताकि सरकार को बदनाम किया जा सके। सार्वजनिक संपत्तियों को जिस तरह से नुकसान पहुँचाया जा रहा है, उससे लोग इनमें असामाजिक तत्वों के भी शामिल होने का अंदेशा जता रहे हैं।
अग्निपथ योजना की घोषणा ही बिहार सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी JDU के नेता विजेंद्र यादव ने सवाल उठा दिया। वहीं, JDU के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि इस योजना को लेकर बिहार के युवाओं के मन में असंतोष है। विरोध करने वालों में जीतन राम माँझी और लालू यादव की पार्टी RJD भी शामिल है। यह कई मौकों में एक है, जब राजद और जदयू साथ दिख रही हैं।
इन नेताओं के विरोधी बयान आने के बाद बिहार के आरा सहित कई जिलों में हिंसा का तांडव शुरू हो गया। ट्रेनों की बोगियाँ जलाई जाने लगीं। विरोध हिंसक होते जाने के बावजूद मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर एक शब्द नहीं कहा। बस, फिर क्या था बिहार के अधिकांश जिले हिंसा की आग में जल उठे। बिहार के उप-मुख्यमंत्री और भाजपा नेता तारकिशोर प्रसाद आवास तक पर हमला हो गया।
भाजपा नेता और केंद्र में मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि युवाओं को भड़काने और हिंसा को अंजाम देने में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का हाथ है। गिरिराज सिंह ने कहा कि आंदोलन के नाम पर युवाओं का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारियों में अधिकांश राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने पुलिस से इनकी पहचान करने की माँग की।
बिहार में युवाओं के आक्रोश को बढ़ाने वालों में कुछ यूट्यूबर हैं, जो अधकचरी जानकारी युवाओं को परोस रहे हैं। ऐसे ही एक यूट्यूबर ने अपने चैनल पर अफवाह फैलाई कि केंद्र सरकार सेना का निजीकरण करने जा रही है। यूट्यूबर का नाम मनीष कश्यप बताया जा रहा है।
उसने अपने वीडियो में कहा कि केंद्र ने पहले सरकारी कंपनियों को बेचा और अब एजेंसी के जरिए ठेके पर युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती करेगी। इस तरह के अफवाह को केंद्र सरकार की PIB ने गलत बताया है। PIB ने कहा कि सेना में निजी एजेंसी के जरिए भर्ती की बात अफवाह है।
एक #Youtube वीडियो में यह दावा किया जा रहा है कि आने वाले समय में अग्निपथ के तहत होने वाली आर्मी भर्ती किसी प्राइवेट एजेंसी के द्वारा की जाएगी।
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 17, 2022
PIBFactCheck:
▶️ यह दावा #फ़र्ज़ी है।
▶️ भारत सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है। pic.twitter.com/cGKP23lVMz
हालाँकि, बिहार से शुरू होकर यह दंगा सुनियोजित तरीके जिस तरह फैल रहा है उसमें कोचिंग माफिया का भी लोग नाम ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि युवाओं को सेना में भर्ती के नाम पर कोचिंग सेंटर 3-4 साल तक पढ़ाते हैं और मोटी फीस वसूल करते हैं। ऐसे में उनका धंधा सबसे अधिक प्रभावित होता नजर आ रहा है। इसलिए वे छात्रों को हिंसक प्रदर्शन के लिए उकसा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर किए जा रहे लोगों के दावे को बल तब और मिलता है, जब पता चला है कि पुलिस कोचिंग सेंटर के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है। बिहार के सासाराम में कोचिंग सेंटर को अगले कुछ सप्ताहों के लिए बंद करा दिया गया है। बिहार से लेकर यूपी और कई अन्य राज्यों में सेना में भर्ती के नाम पर चलाए जा रहे कोचिंग सेंटर और उनके मालिकों को पुलिस तलाश रही है।
The Coaching Centre Mafia is against #Agnipath It’s the matter of business.
— Ankur🇮🇳™ (@unapologeticAnk) June 16, 2022
The violent protests in Bihar are organised & orchestrated by Coaching Centres.
They are not aspirants..!!
बिहार के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) संजय सिंह ने माना है कि अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन में असामाजिक तत्व भी शामिल हैं। ये सिर्फ बिहार ही नहीं, जहाँ-जहाँ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, वहाँ-वहाँ इस तरह की खबरें आ रही हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आंदोलन के नाम पर असामाजिक तत्व हिंसा कर अराजकता फैला रहे हैं।
ऐसे कई वीडियो समने आए हैं, जिनमें युवा दिखने वाले लोगों का समूह मुँह पर कपड़े बाँधकर पत्थरबाजी और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ये कुछ ऐसा ही है, जैसे कश्मीर में सेना के काफिले पर पत्थरबाजी होती थी या शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद पुलिस पर हमलों के दौरान कानपुर में हुई थी।
Agneepath Protest in Gwalior: मुंह बांधकर आए, पुलिस-प्रशासन काे उलझाकर रखा और शहर में मचाया उत्पात, देखें वायरल वीडियाे#mpnews #crimenews #gwaliornewshttps://t.co/bWv4BiM5ga pic.twitter.com/0lBieVD7MU
— NaiDunia (@Nai_Dunia) June 16, 2022
तेलंगाना के सिंकदराबाद रेलवे स्टेशन पर जिस तरह से रेलवे की बोगी में आग लगाई गई और तोड़फोड़ को अंजाम दिया गया, उसको लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं। प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा, “यह विश्वास करना कठिन है कि ये स्वतःस्फूर्त विरोध है। बर्बरता के इन कृत्यों को कुछ निहित स्वार्थों द्वारा स्पष्ट रूप से संगठित और उकसाया जा रहा है। इतने कम सीमा में अलग-अलग तरह के लोग एक साथ कैसे जुट जाएँगे?”
It is hard to believe these are spontaneous protests. Clearly these acts of vandalism are being organised and instigated by certain vested interests. How else will disparate aspirants with nothing in common get together in such short time frame ?
— Shashi Shekhar Vempati शशि शेखर (@shashidigital) June 17, 2022
सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें इस योजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली और उनकी हत्या की बात कह रहे हैं। ये लोग न सिर्फ प्रधानमंत्री को गाली दे रहे हैं, बल्कि आम लोगों के साथ भी बदतमीजी कर रहे हैं।
पीएम के लिए इस तरह गाली-गलौज या हत्या की बात वही कर सकता है, जिसके मन में पीएम और भाजपा के लिए बेहद गहराई तक नफरत भरी गई हो। हमें याद करना होगा कि किसानों के हित के लिए लाए गए कृषि बिलों को किस तरह हिंसक बनाया गया था। CAA-NRC जैसे राष्ट्रीय महत्व के कानून को नाकाम करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया गया था।
नौकरी के लिए अभ्यासरत एक आम युवा आसानी से समझ सकता है कि अग्निपथ योजना उसके लिए कितना फायदेमंद है। जिस उम्र तक वह संशय की स्थिति में रहता था, उस उम्र यानी 24 साल तक उसके पास ना सिर्फ शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण होगा, बल्कि राष्ट्रहित और ईमानदारी के पथ पर अपने कर्तव्यों को निर्वहन के लिए वह ट्रेंड हो चुका होगा। उसके पास स्किल डेवलपमेंट का प्रशिक्षण, एक डिग्री और 17 लाख रुपए की एकमुश्त राशि होगी।
एक अग्निवीर अपने कौशल और राशि का उपयोग अपने भविष्य को अपने अनुरूप सँवारने में कर सकता है। इसके साथ ही अन्य सरकारी नौकरियों में उसे वरीयता का लाभ भी प्राप्त होगा। यही नहीं, अराजकता की स्थिति और कश्मीरी हिंदुओं को 1990 के दशक में जिन हालातों से गुजरना पड़ा, वैसे हालात या नक्सली गतिविधियों के खिलाफ वह अपने सैन्य प्रशिक्षण का इस्तेमाल कर सकता है।
हालाँकि, देश विरोधी तत्व इस प्रशिक्षणों को इस्तेमाल अपनी गलत मंशा के लिए भी कर सकते हैं, जो इसका दूसरा पहलू है। हर चीज के दो पहलू होते हैं। एक आम भारतीय युवा के लिए अग्निपथ योजना शानदार है, लेकिन कृषि कानूनों की तरह ही यह योजना भी राजनीति और हिंसा की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। इस देश में ऐसे तत्वों की कमी नहीं है, जो किसी तरह का सुधार देखना पसंद नहीं करते। संभवत: यह सैन्य सुधार भी उनमें से एक है।