पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती जारी है। अभी तक जो रुझान सामने आए हैं उससे स्पष्ट है कि ममता बनर्जी की TMC लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं से लेकर BJP के दफ्तरों पर बमबारी तक, इस चुनाव या इससे पहले से पश्चिम बंगाल में वो सब कुछ हो रहा था जो एक सभ्य लोकतंत्र में नहीं होना चाहिए। इस पूरे चुनाव को कैसे लड़ा गया, ये भी लोगों ने देखा।
आइए, कोरोना वायरस से ही शुरू करते हैं। आज पश्चिम बंगाल में कोरोना से लोग बेहाल हैं और चुनाव आयोग को भी इसके लिए दोष दिया जा रहा है। ये बात मार्च 2020 के पहले हफ्ते की है। तब कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार कमर कस रही थी और विभिन्न एयरपोर्ट्स पर क्वारंटाइन वाला नियम लागू कर दिया गया था। शाहीन बाग़ वाले तब भी बैठे हुए थे। तबलीगी जमात वाले मरकज़ में छिपे हुए थे।
तब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोरोना तो बस एक बहाना है भाजपा का, मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए। उन्होंने कहा था कि दिल्ली दंगों से ध्यान भटकाने के लिए केंद्र सरकार कोरोना का डर फैला रही है। उन्होंने बुनियादपुर की एक रैली में ही ये बात कही थी। सोचिए, जब भारत में कोरोना के मात्र 28 मामले आए थे, तब जहाँ केंद्र इससे निपटने की तैयारी में व्यस्त था, एक बड़े राज्य की CM इसे नाटक बता रही थी।
क्या आपने किसी लिबरल गिरोह के सदस्य को सुना ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए? जब किसी राज्य के मुखिया को ही कोई चीज गंभीरता से लेने लायक नहीं लगती हो, आज उस राज्य में जब कोरोना से साढ़े 8 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और 12,000 लोग मर चुके हों, वहाँ के लिए क्या उस राज्य सरकार को दोष नहीं दिया जाना चाहिए? चुनाव के आड़े कोरोना के दिशा-निर्देश न आएँ, इसका जुगाड़ तो भाजपा विरोधी पार्टियाँ ही कर रही थीं।
If BJP wins West Bengal today: Media will start covering corona situation of WB same like UP & with EVM RUDAALI..
— Shriraj Nair (@snshriraj) May 2, 2021
If TMC wins West Bengal : West Bengal will become corona free state for them.Someone rightly said…#BengalElections2021
खैर, EVM से हुए चुनावों में तृणमूल कॉन्ग्रेस की जीत तो हो ही रही है, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएँ भी प्रेषित की हैं। देश में 2014 से लेकर अब तक जिन भी चुनावों में भाजपा की जीत हुई है, वहाँ ज़रूर EVM का राग अलापा गया है। विदेश में हुई एक नकाबपोश की प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर कई नेताओं के अनर्गल बयान तक, ईवीएम को लेकर कई बेतुकी चीजें कही गईं।
आइए, लोकसभा चुनाव 2019 से शुरू करते हैं। जून 2019 में ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की भारी जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि EVM से हुई वोटिंग जनादेश नहीं हो सकता। अप्रैल 2021 के पहले हफ्ते में तो TMC में नए-नवेले आए यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मिल कर EVM को लेकर चिंता जताई थी। TMC सांसद डेरेक ओब्रायन ने 29 मार्च को चुनाव आयोग को पत्र लिख कर वोटर टर्नआउट से लेकर मतगणना तक में गड़बड़ी की बात की थी।
पार्टी ने आरोप लगाया था कि कुछ ही मिनटों में वोटर टर्नआउट घट-बढ़ रहा था। उसी दिन खुद ममता बनर्जी ने एक रैली में अमित शाह के दावे को आधार बना कर पूछा था कि उन्हें कैसे पता कि भाजपा को इतनी सीटें आएँगे, क्या EVM फिक्स्ड है? पहले चरण का चुनाव प्रचार जब ख़त्म हुआ था, तब भी ममता ने कहा था कि भाजपा ‘कुछ भी’ कर सकती है और साथ ही EVMs पर नजर रखने की सलाह दी थी।
उससे पहले भी एक रैली में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि वो अधिकारियों के सामने EVM को चेक करें, उन पर नजर रखें क्योंकि भाजपा उसमें कुछ खेल कर सकती है। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल बताते हुए ऐसा कहा था। अब सवाल ये उठता है कि पश्चिम बंगाल में सभी 294 सीटों पर चुनाव इन्हीं EVM से हुए हैं तो परिणाम पक्ष में आने पर अचानक मशीन पर भरोसा कैसे कायम हो गया पूरे भाजपा विरोधी गिरोह का?
हमारे देश के जो अर्धसैनिक बल अपनी जान पर खेल पर देश के बाहरी और भीतरी हिंसक तत्वों से निपटने में लगे रहते हैं, उनका इस चुनाव में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और उनके कैडर द्वारा कैसे अपमान किया गया, ये भी याद करने लायक है। उन्होंने आरोप लगाया था कि CRPF तृणमूल के वोटरों को प्रताड़ित कर रही है। साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को अर्धसैनिक बलों के घेराव करने की भी सलाह दी थी।
ममता बनर्जी के इस बयान के खिलाफ भाजपा ने चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज कराई थी। इस बयान के बाद जो हुआ, वो भी आपको याद होना चाहिए। सीतलकूची में अर्धसैनिक बलों को घेर लिया गया और उन पर लाठी-डंडों व ईंट-पत्थर से ताबड़तोड़ वार किया जाने लगा। आत्मरक्षा में चली गोली में हमलावर भी मरे। चौथे चरण के चुनाव के दौरान 4 लोगों की मौत का जिम्मेदार किसे माना जाए?
एक कथित ऑडियो क्लिप में ममता बनर्जी को सीआरपीएफ के जवानों को टीएमसी के चार उपद्रवियों को मारने के लिए जेल में डालने की बात कहते हुए सुना गया। इन उपद्रवियों ने सीआरपीएफ के जवानों के हथियारों को छीनने का प्रयास किया था। इसके अलावा ममता को अपने एक नेता से कथित तौर पर यह भी कहते सुना गया था कि वो जनता की संवेदना और वोट हासिल करने के लिए लाशों के साथ एक राजनैतिक रैली का आयोजन करें।
लेकिन, भाजपा विरोधी दलों के लिए ये सब कुछ सामान्य है। देश के उद्योगपतियों को लेकर घृणा फैलाते हैं, जिससे एक टेलीकॉम कंपनी के 1500 टॉवर्स किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा उखाड़ डाले जाते हैं। इसी तरह वैक्सीन को लेकर अफवाह फैलाई जाती है। वैक्सीन बनाने वालों को धमकाया जाता है। भारतीय सेना तक को भला-बुरा कहा जाता है। ऐसे ही नेताओं को फिर जनता के बीच मसीहा बना कर भी पेश किया जाता है।
पश्चिम बंगाल के 8 चरण में से प्रत्येक में हिंसा की खबर आई और उनके तार कहीं न कहीं तृणमूल कॉन्ग्रेस से जाकर जुड़े। कभी किसी भाजपा नेता को मार कर लटका दिया गया तो कभी किसी की लाश कहीं खेत में पड़ी हुई मिली। एक बूढ़ी महिला और उसके बेटे को भाजपा का समर्थन करने पर इतना पीटा गया कि वो कुछ दिनों बाद चल बसीं। अब मतगणना के दौरान भी भाजपा दफ्तर में आग लगाने की घटना सामने आई है।
सोशल मीडिया पर राजदीप सरदेसाई सरदेसाई सहित गुट विशेष के पत्रकार लगातार TMC के पक्ष में माहौल बनाते रहे। कॉन्ग्रेस तो एग्जिट पोल्स के बाद से ही अपनी ही हार का जश्न मनाते नहीं थक रही है। तेजस्वी यादव TMC के लिए गोलबंदी करने कोलकाता पहुँचे, जबकि वामपंथी बिहार में उनके गठबंधन साथी हैं। सपा ने जया बच्चन को चुनाव प्रचार के लिए भेजा। और आज ये सभी EVM से मिली जीत का जश्न मना रहे हैं।