Monday, November 18, 2024
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पाक के नए हथियार बन रहे हैं भस्मासुर राहुल और कॉन्ग्रेस की राजनीति

रेडियो पाकिस्तान ने राहुल गाँधी के नेतृत्व में जारी किए गए बयान को आधार बना कर भारत को घेरा। उस बयान में नेताओं ने कहा था कि मोदी ताज़ा सुरक्षा हालात का प्रबल राजनीतिकरण कर रहे हैं। अगर मोदी ऐसा कर रहे हैं तो पाकिस्तानी मीडिया राहुल गाँधी के बयानों का सहारा क्यों लेता है?

हमारे देश का व्यापक लोकतंत्र हमे अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है। प्रतिद्वंद्वियों पर बिना आपत्तिजनक टिप्पणी किए उन्हें घेरने का मौक़ा देता है। राजनीति में जहाँ सारी नैतिकता धराशायी हो जाती है, किसी पर ओछी टिप्पणी कर मानहानि के मुक़दमे में जेल जाना भी यहाँ आपको कुछेक वोट दिला सकता है। ऐसे हालात तब तक बर्दाश्त योग्य रहते हैं, जब तक कि दुश्मन इसका फ़ायदा न उठाए। लेकिन, अब राहुल गाँधी के लगातार आ रहे बयानों और कॉन्ग्रेस पार्टी के लगातार गिरते राजनीतिक स्तर ने पाकिस्तान को एक नया हथियार थमा दिया है, जिस से वह भारत को घेर सकता है।

भारत की पुरानी पार्टी का अध्यक्ष भारत की छवि के लिए भस्मासुर बनता जा रहा है। राहुल समेत कॉन्ग्रेस और महागठबंधन के नेताओं के बयान पाकिस्तानी मीडिया में शेयर हो रहे हैं। वहाँ टीवी चर्चाओं के दौरान पाकिस्तान का पक्ष साबित करने के लिए राहुल के बयानों का जिक्र किया जाता है।

अपने ही देश के ख़िलाफ़ दुश्मन को सौंप रहे हथियार

आज राफेल पर बोलते हुए राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान का पोस्टर बॉय बताया। लेकिन, स्थिति इसके उलट है। पाकिस्तान के सत्ताधीशों, सेना व भारत-विरोधी खेमे में नरेंद्र मोदी के प्रति जितनी घृणा है- राहुल गाँधी के प्रति उतनी ही हमदर्दी। रेडियो पाकिस्तान ने राहुल गाँधी के नेतृत्व में महागठबंधन द्वारा जारी किए गए बयान को आधार बना कर भारत को घेरा। उस बयान में नेताओं ने कहा था कि मोदी ताज़ा सुरक्षा हालात का प्रबल राजनीतिकरण कर रहे हैं। अगर मोदी ऐसा कर रहे हैं तो पाकिस्तानी मीडिया राहुल गाँधी के बयानों का सहारा क्यों लेता है? अगर मोदी पाकिस्तान के पोस्टर बॉय हैं तो वहाँ भारत को ललकारे गए हर एक बयान में मोदी का नाम क्यों रहता है?

असल में, पाकिस्तान के पूर्व मंत्री रहमान मालिक ने खुलेआम कहा है कि राहुल गाँधी को भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। अपने ट्वीट में उन्होंने भारतीय एजेंसी रॉ और मोदी को लेकर तो गुस्सा ज़ाहिर किया लेकिन राहुल गाँधी को भारत का अगला पीएम बताया। रहमान मालिक और रेडियो पाकिस्तान को राहुल गाँधी अच्छे लगते हैं, मोदी के प्रति वे गुस्सा जताते हैं- तो पाकिस्तान का पोस्टर बॉय कौन हुआ? नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान और वहाँ के पीएम इमरान को जिस तरह की बेइज्जती फील कराई है, वैसा कारनामा शायद ही पहले किसी ने किया हो। नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री हैं- वे दौड़-दौड़ कर पाकिस्तान जाते हैं, पाक का बचाव करते हैं। कौन हुआ पाक का पोस्टर बॉय?

नरेंद्र मोदी ने तो भारतीय वायु सेना को खुली छूट दे पाकिस्तान की नाक में दम करने का कार्य किया है। उन्होंने कुछ दिनों पहले एक रैली के दौरान कहा भी था कि अगर आज हमारे पास राफेल होता तो भारत ताज़ा तनावपूर्ण माहौल में और अधिक बेहतर स्थिति में होता। मोदी और उसकी कूटनीति पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने में लगी हुई है। नदियों के पानी का विषय हो या पाकिस्तान से छीने गए ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ दर्जे का- मोदी सरकार हर तरफ़ से पाकिस्तान पर वार कर रही है। लेकिन, विपक्ष राफेल-राफेल चिल्लाने में व्यस्त है।

जैसे शल्य ने अंगराज कर्ण की मनःस्थिति ख़राब की

महाभारत एक पूर्ण ग्रन्थ है, जहाँ राजनीति से लेकर युद्धनीति तक- इन सभी चीजों के हर एक पहलू का वर्णन है, उदाहरण मिलता है। ऐसी ही एक कहानी महारथी कर्ण और शल्य की है। मद्र देश का राजा शल्य जब महाभारत के युद्ध में हिस्स्सा लेने पहुँचा, तब दुर्योधन ने उसका छलपूर्वक स्वागत-सत्कार कर कौरवों की तरफ़ से लड़ने को विवश कर दिया। भांजे युधिष्ठिर को शल्य ने उनके एक वचन निभाने का वादा किया। भीष्म के शर-शैया धारण करने के बाद जब कर्ण कौरवों का सेनापति बना, तब शल्य को उसका सारथी बनाया गया।

यही वो समय था जब युधिष्ठिर ने शल्य को अपना वचन याद दिलाया। शल्य युधिष्ठिर की बात मानने को तैयार हो गया और बदले में धर्मराज युधिष्ठिर ने जो कहा, वो आज के समय में भी प्रासंगिक है और हमेशा रहेगा। युधिष्ठिर का मानना था कि व्यक्ति अपनी शक्ति से ज्यादा अपने मनोबल पर निर्भर रहता है। अगर मनोबल ऊँचा हो तो अपने से अधिक शक्तिशाली शत्रु को भी परास्त किया जा सकता है। उन्होंने शल्य से कहा कि वे कर्ण का मनोबल नीचा करते रहें। सारथी के रूप में युद्ध मैदान में कर्ण के सबसे अधिक नज़दीक रहने के कारण उसके लिए यह संभव भी था।

जब भी कर्ण युद्धक्षेत्र में कोई बहादुरी का कार्य करता- शल्य कुछ बेतुकी बातें कर उसका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता। जब भी कर्ण किसी शत्रु को मार गिरा कर गर्व की अनुभूति करता, शल्य फिर से कुछ बातें कर उनकी मानसिक स्थिति को डावाँडोल करने का प्रयास करता। कर्ण को उसने इतना हतोत्साह किया कि वह शल्य से खीझ उठा। लगभग यही हाल आज राहुल गाँधी का है। जब ‘ एयर स्ट्राइक’ के बाद जनता का मनोबल ऊँचा था, सबूत माँग कर कॉन्ग्रेसी नेताओं ने उस मनोबल को तोड़ने और शत्रु के मनोबल को बढ़ाने का कार्य किया। राफेल सौदा सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और देश गर्व की अनुभूति कर रहा था, तब इस पर छींटाकशी कर-कर के कॉन्ग्रेस पार्टी ने गन्दी राजनीति की। चाहे जो भी हो, अगर देश के लोग अपने ही देश के लिए ऐसा करें तो उसका गलत असर तो पड़ता है। शल्य की कहानी में हमने देखा।

अब सुनिए कि फाइलें कैसे गायब होतीं हैं

राहुल गाँधी ने रक्षा मंत्रालय की फाइलों के गायब होने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस सरकार में सबकुछ गायब हो रहा है। उन्हें इस बात का याद दिलाना ज़रूरी है कि उनके वक़्त क्या हुआ था। कोलब्लॉक एलोकेशन घोटाले के बाद कुछ महत्वपूर्ण काग़ज़ात गायब हो गए थे। अव्वल तो यह कि 2006 से 2009 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ही कोयला मंत्रालय देख रहे थे। ख़ुद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने ये बात स्वीकार की थी कि फाइल्स गायब हो गई हैं। लेकिन उस समय तो विपक्षी पार्टियों ने राजनीति करने की बजाय इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज करने की माँग की थी। क्या आज राहुल गाँधी एक जिम्मेदार विपक्षी पार्टी नेता की भूमिका नहीं निभा सकते?

जैसा कि प्रधानमंत्री सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारु ने अपनी पुस्तक में लिखा है, पीएमओ की फाइलें सोनिया गाँधी के पास जाया करती थीं और वे इस पर निर्णय लेती थी। ये फाइलों के गायब होने से भी बड़ी गंभीर बात है जहाँ प्रधनमंत्री ही असहाय था। अब राहुल गाँधी रक्षा सौदों पर बिना सबूत आक्षेप लगा कर पाकिस्तान का काम आसान कर रहे हैं और देश को गर्त में ढकेलने की कोशिश कर रहे हैं। पाक का क्या, उसे तो भारत के रक्षा सौदों के बिगड़ने से ख़ुशी ही होगी।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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