पिछले दिनों अपने बागी रवैये के कारण पार्टी के भीतर का माहौल बिगाड़ने वाले एक्टर-कम-नेता शत्रुघ्न सिन्हा सुर्खियों में रहने लगे हैं। कभी लोकतंत्र को बचाने के नाते उन्होंने पार्टी के ख़िलाफ़ जाकर ममता का हाथ थामा तो कभी ‘इंदिरा जिंदा होतीं तो आज मैं कॉन्ग्रेस में होता‘ जैसे बयान दिए। लेकिन लोकसभा चुनावों के नज़दीक आते ही उनके सुर बदलने लगे। पार्टी के ख़िलाफ़ बगावत पर उतरे शत्रुघ्न सिन्हा अब पार्टी के समर्थन में बात करते हुए फैसलों की तारीफ़ कर रहे हैं। ऐसे में उनके पिछले बयानों को और वर्तमान स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए इस बयान पर सवाल उठना बेहद लाजमी है।
बरौनी में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पटना मेट्रो की आधारशिला रखने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट किया कि बिहार को विकास की राह पर ले जाने के लिए यह एक बड़ा कदम है। शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में लिखा कि मेट्रो परियोजनाओं के साथ 35 करोड़ की विकास परियोजनाओं का ऐलान एक बेहद सराहनीय कदम है। इस फ़ैसले की प्रशंसा होनी चाहिए।
I welcome the honourable Prime Minister @narendramodi and CM of Bihar @NitishKumar for the Patna metro project. Great move forward in terms of development and progress in Bihar along with other projects worth Rs 35000 crores. Highly appreciated and applauded.Jai Bihar, Jai Hind!
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) February 17, 2019
हालाँकि उनके द्वारा की गई तारीफ को सार्वजनिक रूप से सराहा जाना चाहिए लेकिन फिर भी इस बयान पर सवाल उठने की ज़मीन खुद शत्रुघ्न सिन्हा ने तैयार की है। बीते समय में वह लगातार बीजेपी के हर कार्य पर सवाल उठाते आए हैं। फिर ऐसा क्या हुआ कि वह बीजेपी के कार्य की प्रशंसा करने लगे?
शत्रुघ्न सिन्हा का लोकसभा चुनाव के नज़दीक आते पलट जाना बताता है कि उनके भीतर का एक्टर और राजनेता दोनों एक साथ जाग गया जो यह जानता है कि मौकापरस्ती क्या है। लेकिन वो भूल रहे हैं कि जिस तरह कमान से निकला तीर वापस नहीं आता है उसी तरह से एक बार मुँह से निकला बयान जनता के मन में घर कर जाता है। शायद इसलिए इस बयान के बाद बिहार के भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि वो सच कहने के लिए शत्रुघ्न के आभारी हैं लेकिन पार्टी में बने रहना और इस तरह यू-टर्न लेना सिन्हा को टिकट की गारंटी नहीं देता है।
जाहिर है, भाजपा के कार्यकाल में लगातार अपने बयानों से पार्टी की छवि खराब करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा अगर लोकसभा चुनाव के नज़दीक आते ही इस तरह प्रशंसा करते नज़र आएँगे तो हर किसी के मन में सवाल आएगा। आइए आपको हाल ही में कुछ ऐसे मौक़ों के बारे में बताएँ जब शत्रुघ्न बीजेपी के ख़िलाफ़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खड़े नजर आए।
ममता की रैली में शामिल
शत्रुघ्न सिन्हा बीते कुछ समय से लगातार बीजेपी के ख़िलाफ़ जाकर बयान भी दे रहे हैं और कदम भी उठा रहे हैं। इसका सबसे हालिया उदाहरण तब का है जब ममता की रैली में शामिल होकर उन्होंने कहा, “यह रैली लोकतंत्र को बचाने के लिए आयोजित हुई है और वो इस रैली में ‘राष्ट्र मंच’ संस्था के प्रतिनिधि बनकर शामिल होंगे।” बता दें कि राष्ट्र मंच की शुरूआत भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने की है। अपनी इस हरकत पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता भी तो राष्ट्रीय स्वयंसंवक संघ के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। इसलिए रैली में शामिल होने से उनकी वफादारी पर सवाल न उठाए जाएँ।
लालू यादव से मुलाकातें और तेजस्वी की तारीफ़
इसके अलावा भाजपा के कट्टर विरोधी और राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ भी वो मुलाकातें करते रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा लालू के बेटे तेजस्वी के बारे में कह चुके हैं कि उन्हें तेजस्वी में भविष्य का नेता दिखाई देता है। इतना ही नहीं शत्रुघ्न सिन्हा नीतीश कुमार से भी उस दौरान लगातार मेल-जोल करते रहे थे जब वो भाजपा के विरोध में महागठबंधन में थे।
मंत्री न बनने पर बेबुनियादी इल्ज़ाम
आज पार्टी द्वारा उठाए कदम की सराहना करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा समय-समय पर प्रधानमंत्री समेत कई भाजपा नेताओं की आलोचना लगातार करते रहे हैं। उनका कहना है कि लालकृष्ण आडवाणी के साथ रहने के कारण उन्हें सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया। हालाँकि उनका यह भी कहना है कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
‘राहुल गांधी में जबरदस्त सुधार’- शत्रुघ्न सिन्हा
मोदी पर लगातार तंज कसने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने विपक्ष में बैठे राहुल गांधी की तारीफों के पुल बाँधते हुए भी नजर आ चुके हैं। उन्होंने राहुल की तारीफ़ करते हुए कहा था कि बहुत कम समय में राहुल गांधी ने स्वयं में बहुत जबरदस्त सुधार किया है।
कॉन्ग्रेस का समर्थन और भाजपा पर निशाना
पाँच राज्यों में हुई बीजेपी की हार के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पार्टी यानी बीजेपी के ख़िलाफ़ जाकर कटाक्ष करते हुए अपनी पार्टी को अहंकारी बताकर दूसरे दलों की जीत को कठोर परिश्रम का परिणाम बताया था।
केजरीवाल को बताया छोटा भाई
आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से आयोजित ‘तानाशाही हटाओ, लोकतंत्र बचाओ सत्याग्रह’ में बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी विपक्ष की रैली में शामिल हुए थे। यहाँ जनता को संबोधित करने के दौरान शत्रुघ्न ने केजरीवाल को अपना छोटा भाई बताते हुए कहा कि वह बहुत दमदार हैं। उन्होंने कहा था कि साउथ के हीरो चन्द्रबाबू नायडू और ममता दीदी के इस महागठबंधन को पूरा समर्थन वह पूरा समर्थन देते हैं। रैली में उन्होंने देश और संविधान बचाने की भी बात की थी।
अपने ही बयानों से विरोधाभास की स्थिति खड़ा करने वाले शत्रुघ्न लगातार भाजपा में तानाशाही का आरोप मढ़ते रहते हैं साथ ही यह भी कहते हैं कि जो कुछ भी हो जाए पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे। बीते दिनों शत्रुघ्न के ऐसे रवैये से नाराज़ होकर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने उन्हें पार्टी छोड़ने की नसीहत तक दे दी थी। साथ ही यह भी कहा था कि शत्रुघ्न सिन्हा एक बार कॉन्ग्रेस या राजद से टिकट लेकर चुनाव लड़ें, फिर उन्हें अपनी लोकप्रियता का भ्रम दूर हो जाएगा।
सुशील मोदी की बात पर शत्रुघ्न ने उन्हें पहचानने से साफ़ मना करते हुए कहा था कि वो सिर्फ़ एक मोदी को जानते हैं जो देश के प्रधानमंत्री हैं। इन सब बातों के अलावा भी शत्रुघ्न सिन्हा मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद अनेकों बार भाजपा के ख़िलाफ़ बोलते नज़र आए हैं और रैलियों में शामिल होकर मंच पर चढ़कर विरोधियों के साथ खड़े नज़र आए हैं।