यूँ तो रॉबर्ट वाड्रा नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है, क्योंकि वो भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके हैं। बावजूद इसके हम आपको बताना चाहेंगे कि वो कॉन्ग्रेसी परिवारवाद की राजनीति एक ऐसा अहम हिस्सा हैं जिन्हें आए दिन अख़बारों और टेलीविज़नों की सुर्ख़ियों में जगह मिलती रहती है।
इस बार उनका दर्द फेसबुक पर छलक गया जिसमें उन्होंने सफाई दी कि देश के असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार उनके नाम का इस्तेमाल करती है। अवैध सम्पत्ति मामले में ED द्वारा हो रही पूछताछ को उन्होंने शोषण बताया और कहा कि पिछले लगभग 10 वर्षों से विभिन्न सरकारें उन्हें न सिर्फ़ बदनाम कर कर रही हैं बल्कि उनके नाम को उछालकर देश के असल मुद्दों से ध्यान भी भटकाया जा रहा है।
अपने आपको निर्दोष तय कर चुके वाड्रा ने कहा कि लोग उनके पास आते हैं और उन्हें शुभकामनाओं के अलावा बेहतर भविष्य का आशीर्वाद देकर जाते हैं। बता दें कि वाड्रा अपने गुणगान में इतना मशगूल हो गए कि उन्होंने अपनी तमाम अच्छाईयों को प्रूव करने के लिए 40 तस्वीरों को अपने फेसबुक अकाउंट से शेयर किया। यह प्रश्न अपने आप में काफी है कि भला ऐसी भी क्या आवश्कता आन पड़ी थी कि वाड्रा को अपनी बेगुनाही प्रमाणित करने के लिए तस्वीरों का सहारा लेना पड़ा।
फेसबुक पर शेयर की गई इन तमाम तस्वीरों के ज़रिए वाड्रा ने ख़ुद को एक मसीहा के अवतार में दिखाने का भरसक प्रयास किया। ग़रीब और अक्षम लोगों के साथ फोटो खिंचवा कर उनका इस्तेमाल ख़ुद अपने लिए किया। शायद ही उन मासूमों को यह पता हो कि आपने उनके साथ खींची गई फोटो का इस्तेमाल यहाँ फेसबुक पर किया है और अब उन्हीं तस्वीरों को ज़रिया बनाकर आप उनके भोलेपन का मजाक उड़ा रहे हैं। राजनीतिक समीकरणों को समझने में असमर्थ मासूमों के साथ आपका यह व्यवहार निहायत ही निंदनीय है।
इस तरह की तस्वीरें खिंचवा कर तो कोई भी अपने फेसबुक की टाइमलाइन पर अपलोड कर सकता है। ऐसा करके तो कोई भी कभी भी आदर्शवादी व सज्जनता का पुरुस्कार बड़ी आसानी से हासिल कर सकता है। वाड्रा के द्वारा इस तरह फोटो शेयर करना बहुत ही निम्न स्तर की बचकानी हरक़त है जिसका उन्होंने अपने बचाव के रूप में इस्तेमाल किया। बता दें कि रॉबर्ट वाड्रा पर धोखाधड़ी और अवैध सम्पति के आरोप लगे हैं जिसकी पूछताछ अभी भी जारी है और कुछ में तो वो दोषी भी पाए गए हैं।
फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में वाड्रा ने अपने ख़िलाफ़ चल रही पूछताछ का ज़िक्र किया जिसमें वो ख़ुद को बेचारा साबित करने से नहीं चूके। उन्होंने लिखा कि दिल्ली और राजस्थान प्रवर्तन निदेशालय जाने और फिर 8 घंटे की पूछताछ की जाती है। इस बात से क्या वो पूछताछ को किसी तरह की प्रताड़ना से जोड़ना चाहते हैं? दरअसल, यहाँ वो ख़ुद असली मुद्दे को गोलमोल कर गए और आगे बढ़ गए।
इसके आगे की बात पर हम केवल सलाह दे सकते हैं कि उन्हें यहाँ बताना चाहिए था कि कैसे वो ED की पूछताछ में अपना सहयोग नहीं दिखाते हैं। कभी वो अपना चश्मा भूल जाते हैं जिसकी वजह से पूछताछ में देरी हो जाती है। अपनी पोस्ट में उन्हें लिखना चाहिए था कि जो लंदन में उन्होंने घर ख़रीदा था वो दलाली की रक़म से ख़रीदा था या कहीं और से। इतना ही नहीं वाड्रा के चेक से ड्राइवर के नाम पर ज़मीन ख़रीदने वाले सत्य से भी अवगत कराना चाहिए।
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि सरकार नहीं बल्कि वाड्रा ख़ुद ऐसा काम कर रहे हैं जिससे वो एक दयावान के रूप में ख़ुद को सामने रख सकें और इसके लिए वो नेत्रहीन और ग़रीब लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल करके जनता का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं।