प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी अपने-अपने देश के जनता के मतों से चुनकर आए हुए प्रधानमंत्री हैं। इन दोनों की ही छवि एक कुशल प्रशासक एवं अपने देश के लिए कार्य करने वाले नेताओं की है। दोनों ही नेता अपने-अपने देशों में कई चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर यह देखने में आया है कि इन दोनों को लेकर मजाक में अजीबोगरीब मीम एवं चुटकुले बनाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर मेलोड़ी जैसे ट्रेंड चलाए जा रहे हैं। आखिर क्यों? ऐसा क्या कारण है कि दो गंभीर छवि एवं अपने देश के लिए कार्य करने वाले नेताओं की ऐसी छवि गढ़ी जा रही है।
क्या हम यह प्रमाणित करना चाहते हैं कि दो साथ काम करने वालों के बीच एक ही प्रकार के संबंध हो सकते हैं? क्या हम यह कहना चाहते हैं कि दो लोग जब साथ काम करते हैं, एक जैसा सोचते हैं तो एक-दूसरे के दीवाने होते हैं? यह कैसी मानसिकता और चरित्र हनन का प्रयास है?
एक ऐसा व्यक्ति, जिसने अपना पारिवारिक जीवन देश के लिए त्याग दिया हो, जिसके पास अपना निजी कुछ भी न हो, उसके विषय में इटली की प्रधानमंत्री को लेकर ऐसे पोस्ट बनाए जाएँ, जिससे आगे जाकर उनका चरित्र हनन हो या किसी को ऐसा अवसर मिले कि वह इस समय प्रचलित मीम आदि के आधार पर छोटे-छोटे शब्दों एवं मुलाकातों का दूसरा अर्थ निकाले तो प्रश्न यह उठता ही है कि हम कैसा समाज बना रहे हैं?
भारत के प्रधानमंत्री मोदी का निजी जीवन बेदाग रहा है। उन पर कोई भी चारित्रिक आरोप लगाने से पहले लोगों को कई बार सोचना पड़ता है। हम एक ऊँचे चारित्रिक मानकों का पालन करने वाले व्यक्ति के चरित्र हनन में सबसे आगे हैं, क्योंकि हम एक वृहद उद्देश्य के लिए कार्य कर रहे अपने नेताओं को सीमित कर रहे हैं।
पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने के नाते मुझे एक उच्च चरित्र के मनुष्य और विश्व में भारत का नाम गर्व से ऊँचा करने वाले हमारे प्रिय प्रधानमंत्री की इस छवि को लेकर चिंता है और मैं आपत्ति व्यक्त करती हूँ। मुझे इसे लेकर सख्त ऐतराज है कि दो निर्दोष लोगों की छवि ऐसे नष्ट की जाए। उनकी गंभीर छवि पर इस प्रकार का दाग लगाया जाए कि वे किसी भी महिला या पुरुष की ओर देखें तो उसमें कोई अर्थ निकले।
जैसे अभी हाल ही में जी-7 में ही जब यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मेलोनी से हाथ मिलाकर और पाश्चात्य तरीके से अभिवादन किया तो भारत में इसे लेकर भी मजाक उड़ाया गया कि मेलोनी के साथ नहीं! ये लोग राष्ट्राध्यक्ष हैं एवं इनकी अपनी गरिमा होती है। इस गरिमा को कलंकित करने का कुकृत्य क्यों और किसके निर्देशों पर किया जा रहा है, यह समझ नहीं आ रहा है।
क्या हम भारत की छवि ऐसी बना देना चाहते हैं, जहाँ पर दो राष्ट्राध्यक्ष मित्र ही न रह पाएँ? प्रधानमंत्री मोदी एवं इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ किया जा रहा यह मजाक बंद होना चाहिए।