भारत में 1984 में हुआ सिख नरसंहार किसे याद नहीं है, जब कॉन्ग्रेस नेताओं के इशारे पर सिखों का कत्लेआम मचाया गया था। इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए इस नरसंहार को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने अपने भाषण में इसे जायज भी ठहराया था। कई कॉन्ग्रेस नेताओं पर आरोप लगे थे, जिनमें से जगदीश टाइटलर और सज्जन सिंह जैसे नेता जेल में भी गए। कॉन्ग्रेस आज भी इस घटना को लेकर माफ़ी नहीं माँगती है।
तब राजीव गाँधी ने एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि जिस नींव पर ये देश खड़ा है, उस पर हम अपनी दीवारें खड़ी करें और अपना मकान बनाएँ। उन्होंने आगे कहा था कि हमें इंदिरा जी को याद रखना है, हमें ये याद रखना है कि उनकी हत्या क्यों हुई थी, हमें याद रखना है कि कौन-कौन लोग इसके पीछे हो सकते हैं। उन्होंने सिख नरसंहार को डाउनप्ले करते हुए कहा था कि जब इंदिरा गाँधी की हत्या हुई थी, तो हमारे देश में ‘कुछ दंगे-फसाद’ हुए। राजीव गाँधी ने कहा था,
“हमें मालूम है कि भारत की जनता के दिल में कितना क्रोध आया, कितना गुस्सा आया। और, कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। लेकिन, जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है। लेकिन, उसके बाद जिस तरह से आपने ये ख़त्म किया, जिस तरह से दोबारा आपकी सहायता से, आपकी शक्ति से देश की एकता बनने लगी है, हम दोबारा एक होकर खड़े हो रहे हैं। पूरी दुनिया देख रही है कि भारत सचमुच में एक पक्का लोकतंत्र बन गया है।”
मंच पर पीछे इंदिरा गाँधी की तस्वीर लगा कर भाषण दे रहे राजीव गाँधी ने कहा था कि पूरी दुनिया देख रही है और समझ रही है कि भारत इतनी आसानी से टूट नहीं सकता। उन्होंने भारत को और मजबूत करने और आगे ले जाने का वादा करते हुए कहा था कि दुनिया की हर शक्ति का सामना करेंगे। उन्होंने पंडित नेहरू, इंदिरा गाँधी और ‘भारत के गरीबों’ का काम पूरा करने का वादा करते हुए ‘जय हिन्द’ के साथ अपना सम्बोधन ख़त्म किया था।
नवम्बर 2015 में आम आदमी पार्टी और भाजपा नेताओं ने इस वीडियो को जारी कर कॉन्ग्रेस पर निशाना साधा था। सिखों का मामला लड़ रहे एचएस फुल्का ने कहा था कि जो प्रधानमंत्री निर्दोष लोगों के नरसंहार को जायज ठहराता है, वो निश्चित रूप से भारत रत्न का हकदार नहीं है। उन्होंने भारत सरकार से माँग की थी कि राजीव गाँधी को दिया गया भारत रत्न सम्मान वापस लिया जाए। उन्होंने बताया था कि दूरदर्शन ने अपने आर्काइव्स से इस वीडियो को डिलीट कर दिया था।
मई 2019 में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने 1984 में सिखों के ख़िलाफ़ हुई मारकाट को दंगा मानने से इनकार कर दिया था। 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी सुलखान सिंह ने 1984 के सिख दंगे को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के इशारे पर सिखों के ख़िलाफ़ किया गया नरसंहार बताया था। उन्होंने कहा था कि 1984 में सिखों के ख़िलाफ़ हुई मारकाट कोई दंगा नहीं था, क्योंकि दंगा दोनों तरफ से हुई मारकाट को कहते हैं।
उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए बताया था कि अगर जनता के गुस्से को फूट कर बाहर निकलना होता और आवेश में यह सब कुछ हो जाता ,तो ये सब तुरंत होना था। बकायदा योजना बना कर नरसंहार शुरू किया गया। उन्होंने दावा किया था कि इसके मुख्य ऑपरेटर थे- जगदीश टाइटलर, अजय माकन और सज्जन कुमार। साथ ही ये भी लिखा था कि राजीव गाँधी के मुख्य विश्वासपात्र कमलनाथ इस पूरे नरसंहार की मॉनीटरिंग कर रहे थे।