मुंबई के धारावी में बुधवार (4 दिसंबर) को आयोजित एक कार्यक्रम में लगभग 400 शिवसेना कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए। यह शिवसेना के लिए एक बड़ा झटका है। बता दें कि बीते दिनों महाराष्ट्र की राजनीति में भारी उथल-पुथल के बीच पहले शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूट गया था जिसके बाद राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP), कॉन्ग्रेस और शिवसेना के गठबंधन की सरकार में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया।
Mumbai: Around 400 Shiv Sena workers joined BJP at an event organised in Dharavi, yesterday. #Maharashtra pic.twitter.com/zGBAVH0zDr
— ANI (@ANI) December 5, 2019
ख़बर के अनुसार, बीजेपी में शामिल हुए शिवसेना के कार्यकर्ताओं को इस बात का दु:ख है कि शिवसेना ने भ्रष्ट और विरोधी दलों से हाथ मिलाकर सरकार बनाई है। इस वजह से वो ख़ासे नाराज थे, इसलिए उन्होंने शिवसेना को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का मन बनाया।
बीजेपी में शामिल हुए शिवसेना के एक कार्यकर्ता रमेश नाडार के अनुसार, 400 कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए हैं। वो ख़ुद को ठगा सा महसूस कर रहे थे क्योंकि शिवसेना ने भ्रष्ट और हिन्दू-विरोधी दलों से हाथ मिलाकर सरकार बनाई है। इसके आगे उन्होंने बताया कि अभी कई और भी कार्यकर्ता हैं जो शिवसेना के इस क़दम से नाराज़ हैं। उनका कहना है कि वो पिछले सात वर्षों से NCP और कॉन्ग्रेस के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने चुनाव के दौरान लोगों के घरों तक जा-जाकर वोट माँगे थे। लेकिन, अब वो उन मतदाताओं से नज़रें नहीं मिला पा रहे हैं, जिनसे उन्होंने ईमानदार सरकार बनाने के लिए वोट माँगे थे।
इससे पहले रमेश सोलंकी ने पार्टी के विचारधारा से भटक जाने के कारण का हवाला देते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था। तब उन्होंने कहा था, “21 साल तक बिना पद, प्रतिष्ठा या टिकट की माँग के मैं रात-दिन पार्टी के आदेश का पालन करता रहा, लेकिन जब शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कॉन्ग्रेस से हाथ मिला लिया है तो कॉन्ग्रेस का सहयोग करने की इजाज़त उनका ज़मीर नहीं दे रहा है। चूँकि वे आधे-अधूरे मन से कोई काम नहीं करना चाहते, इसलिए वे इस्तीफ़ा दे रहे हैं।”
महाराष्ट्र विधानसभा में रविवार (1 दिसंबर) को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कहा था कि उन्होंने अपने पूर्ववर्ती देवेंद्र फडणवीस से बहुत कुछ सीखा है और वे हमेशा उनके दोस्त रहेंगे। साथ ही उन्होंने कहा था, “मैं आपको विपक्ष को नेता नहीं कहूँगा, बल्कि एक पार्टी का बड़ा ज़िम्मेदार नेता कहूँगा।”
राज्य विधानसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं अभी भी ‘हिन्दुत्व’ की विचारधारा के साथ हूँ और इसे कभी नहीं छोड़ूँगा। पिछले पाँच वर्षों में, मैंने कभी सरकार के साथ विश्वासघात नहीं किया है।”
इसके आगे उन्होंने कहा था, “मैं एक भाग्यशाली मुख्यमंत्री हूँ क्योंकि जिन्होंने मेरा विरोध किया वे अब मेरे साथ हैं। और जो मेरे साथ थे, वे अब विपरीत दिशा में बैठे हैं। मैं यहाँ अपनी क़िस्मत और लोगों के आशीर्वाद के साथ आया हूँ। मैंने कभी किसी को नहीं बताया कि मैं यहाँ आऊँगा, लेकिन मैं आ गया।”
ग़ौरतलब है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री की सीट को लेकर काफ़ी लंबा विवाद चला। 23 नवंबर को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और NCP के अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी को चौंका दिया था। लेकिन, बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों के चलते राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाई और 28 नवंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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