Sunday, November 17, 2024
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एक-एक कर पार्टी छोड़ रहे कॉन्ग्रेस विधायक, 5 हफ़्तों में 7 विधायक BJP में शामिल

लोकसभा चुनाव को देखते हुए पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जहाँ से जीत दर्ज नहीं की थी, वहाँ के विधायकों के अपने खेमे में शामिल होने को पार्टी एक अच्छी निशानी के रूप में देख रही है।

पिछले कुछ दिनों के ट्रेंड को देखें तो पता चलता है कि कॉन्ग्रेस के कई विधायक पार्टी से असंतुष्ट होकर खेमा बदल रहे हैं। गुजरात में तो पार्टी की स्थिति अच्छी ख़ासी बुरी है। कुल मिलाकर देखें तो पिछले 5 सप्ताह में 4 राज्यों में कॉन्ग्रेस के 6 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय मुंबई में भाजपा में शामिल हुए। नेता प्रतिपक्ष के बेटे के ही पार्टी बदल लेने से कॉन्ग्रेस को राज्य में फ़ज़ीहत का सामना करना पड़ा। सुजय ने भाजपा में शामिल होने के बाद कहा- “मुझे नहीं पता कि मेरे पिता इस फैसले का कितना समर्थन करेंगे, लेकिन भाजपा के नेतृत्व में मैं अपना सब कुछ झोंक दूंगा। ताकि सभी को गर्व हो।” उनके अहमदनगर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना है। भाजपा संसदीय बोर्ड को उनका नाम लोकसभा उम्मीदवारी के लिए भेज दिया गया है। ये जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी।

गुजरात में तो कॉन्ग्रेस की स्थिति और भी बुरी हो चली है। पिछले पाँच हफ्ते में राज्य के 4 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। हाल ही में विधायक वल्लभ धारविया कॉन्ग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। धारविया ने जामनगर (ग्रामीण) के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा ने कहा कि यह धारविया के लिए घर वापसी है। 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कॉन्ग्रेस में जाने और विपक्षी पार्टी के टिकट पर जीतने से पहले वह भाजपा के साथ थे। उन्होंने भाजपा में शामिल होकर पीएम मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की। उस से पहले 2 विधायकों पुरुषोत्तम सावरिया और जवाहर चावड़ा ने एक ही दिन में कॉन्ग्रेस को डबल झटका दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। बता दें कि जवाहर चावड़ा और पुरुषोत्तम सावरिया दोनों ही नेताओं की अपने इलाक़े में अच्छी पकड़ रही है।

चावड़ा को तो विजय रुपानी सरकार में मंत्री भी बनाया गया है। अगर दक्षिण भारत की बात करें तो कर्णाटक में कॉन्ग्रेस विधायक उमेश जाधव इस्तीफा देने के बाद 6 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे। वह लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के ख़िलाफ़ गुलबर्गा से ताल ठोक सकते हैं। खड़गे के बेटे को राज्य सरकार में मंत्रीपद दिया गया था। जाधव इसी बात से नाराज चल रहे थे। बंगाल में भी कॉन्ग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। यहाँ पार्टी के विधायक दुलार चंद बार ने भाजपा का दामन थाम लिया है। बंगाल में भाजपा को डबल फ़ायदा हुआ है। राज्य में माकपा विधायक खगेन मुर्गु भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए भी कोई अच्छी ख़बर नहीं है। तृणमूल से निष्काषित सांसद अनुपम हजारा भी भाजपा में शामिल हुए हैं।

चुनाव के इस मौसम में भाजपा भी बाहर से आ रहे नेताओं के स्वागत में खड़ी है। जदयू, लोजपा, शिवसेना और अकाली दल जैसे पुराने गठबंधन साथियों का साथ बनाए रख कर भाजपा और उत्साह में नज़र आ रही है। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के रूप में राजग में एक और बड़ा दल शामिल हुआ है। भाजपा ने जहाँ से जीत दर्ज नहीं की थी, वहाँ के विधायकों के पार्टी में शामिल होने को वह एक अच्छी निशानी के रूप में देख रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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