बिभव कुमार केस में असिस्टेंट सॉलिस्टर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने आशंका जताई कि बिभव सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने उन्हें बेल देते हुए कहा कि केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। मालीवाल को आई चोटें सामान्य हैं। केस में जमानत मिलनी चाहिए। ऐसे किसी को जेल में नहीं रखा जा सकता।
इसके बाद कोर्ट ने बिभव को चार शर्तों पर जमानत दी। कोर्ट ने निर्देश दिए कि बिभव को मुख्यमंत्री के निजी सचिव या किसी आधिकारिक पद पर बहाल नहीं किया जाएगा, बिभव तब तक मुख्यमंत्री आवास नहीं जाएँगे जब तक गवाहों की जाँच पूरी नहीं हो जाती, वो इस मामले को लेकर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे, इस मामले में सबसे पहले उन गवाहों के बयान दर्ज होंगे जो डरे हुए है।
इसी प्रकार 23 महीने से जेल में बंद विजय नायर के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेष राय की पीठ ने की। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और लिबर्टी का अधिकार मिला हुआ है और यह अधिकार बेहद पवित्र अधिकार है। सख्त और कड़े प्रावधान वाले मामले में भी इसका आदर होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, इस केस में आरोपित जेल में 13 नवंबर 2022 से (23 महीने) से बंद है। ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में सजा के तौर पर जेल में उन्हें नहीं रखा जा सकता है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में विजय नायर पिछले 23 महीने से जेल में बंद हैं और मामले में अधिकतम सजा जहाँ 7 साल है। बेल नियम और जेल अपवाद का सिद्धांत है। यह सिद्धांत पराजित हो जाएगा, अगर आरोपित को इस तरह से जेल में रखा जाए।
बता दें कि बिभव कुमार से जुड़ा मामला जहाँ राज्यसभा सांसद से मारपीट से जुड़ा है। उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 354 बी, 308, 323, 504 और 509 के तहत केस दर्ज हुआ था और 500 पन्नों की इस चार्जशीट में करीब 50 गवाहों के बयान जोड़े गए थे। इस केस में वो खुद मुख्य आरोपित है जबकि विजय नायर से जुड़े आबकारी नीति मामले में कई अन्य लोगों के नाम शामिल है। इस केस में पिछले दिनों के कविता और मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है। वहीं मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को भी राहत मिल चुकी है। हालाँकि सीबीआई की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार केस में केजरीवाल अभी जेल में ही हैं।