उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हो रहे गंभीर अपराधों पर रोक लगाने के लिए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी विधानसभा में एक विधेयक पास किया है। इस विधेयक के तहत अब इस तरह के आरोपितों को अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी जो महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल पर यूपी विधानसभा में पेश किए गए इस बिल में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध करने वाले आरोपितों की अग्रिम जमानत खत्म करने का प्रस्ताव है। विधेयक सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के प्रावधानों में बदलाव व संशोधन करना चाहता है।
बता दें कि इस विधेयक को योगी सरकार ने गुरुवार (22 सितंबर 2022) को विधानसभा में पेश किया था। विधेयक के मुताबिक, संशोधन के बाद यह प्रावधान होगा कि महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध जैसे बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, यौन दुराचार के आरोपितों को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज आरोपितों को भी अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी।
जानकारी के अनुसार संशोधन विधेयक दंड प्रक्रिया संहिता और पॉक्सो अधिनियम की धारा 438 में बदलाव करने का प्रयास है। यूपी सरकार ने संशोधन विधेयक का प्रस्ताव देते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होते अपराधों में ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत यह कदम उठाया गया है।
विधेयक में कहा गया, “महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होते अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुसरण में यौन अपराधों में सबूतों का त्वरित संग्रह सुनिश्चित करने के लिए, ऐसे सबूतों को नष्ट होने से रोकने के लिए, सबूतों के विनाश की संभावना को कम करने और आरोपित को पीड़ित/गवाहों में भय पैदा करने से रोकने के लिए, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 438 में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है।”
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया, “महिलाओं से दुष्कर्म और बच्चों पर यौन हमलों वाले गंभीर अपराधों के प्रति वर्तमान कानून को और ज्यादा सख्त कठोर कर दिया गया है। दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के मकसद से इससे संबंधित अपराध की धाराओं में संशोधन किया गया है। अब ऐसे अपराधों में लिप्त अपराधियों की अग्रिम जमानत की व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।”