पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। लेकिन, कॉन्ग्रेस की भीतरी लड़ाई थमती नहीं दिख रही। विधानसभा में टीएमसी और बीजेपी को टक्कर देने का दम भरने वाली कॉन्ग्रेस के अंदर ही अब गठबंधन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस और वाम मोर्चा एक साथ चुनावी मैदान में हैं। इस गठबंधन में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) को शामिल करने पर कॉन्ग्रेस के नाराज नेताओं के समूह G-23 के सदस्य आनंद शर्मा ने सवाल उठाए हैं।
कॉन्ग्रेस की विचारधारा के खिलाफ है ISF से गठबंधन
आनंद शर्मा ने सोमवार (मार्च 1, 2021) को ट्वीट करते हुए कहा, “आईएसएफ जैसे दलों के साथ कॉन्ग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है, जो कि गाँधी और नेहरू के धर्मनिरपेक्षता वाले सिद्धांत पर आधारित है। इन मुद्दों को कॉन्ग्रेस कार्यसमिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।”
Congress’ alliance with parties like ISF and other such forces militates against the core ideology of the party and Gandhian and Nehruvian secularism, which forms the soul of the party. These issues need to be approved by the CWC.
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) March 1, 2021
गठबंधन को बताया शर्मनाक
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नवगठित पार्टी आईएसएफ के साथ गठबंधन को शर्मनाक बताते हुए उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा, “सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने में कॉन्ग्रेस चयनात्मक रुख नहीं अपना सकती। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।”
We’re in charge of a state & don’t take any decision on our own without any permission: Congress’ Adhir Chowdhury on party leader Anand Sharma’s tweet “alliance with ISF & other such parties is against the ideology of Congress & should have been discussed at CWC” #WestBengal pic.twitter.com/QnKLJ4pO0g
— ANI (@ANI) March 1, 2021
अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को आनंद शर्मा के बयान का जवाब देते हुए कहा कि वो एक राज्य के प्रभारी हैं और बिना किसी अनुमति के अपने दम पर कोई फैसला नहीं लेते हैं। कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को घोषणा की कि वाम दलों के साथ अब तक हुई चर्चा में सीटों की साझेदारी पर यह सहमति बनी है कि उनकी पार्टी 92 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इन सीटों पर कॉन्ग्रेस के प्रत्याशियों की सूची दो दिन में जारी कर दी जाएगी।
बता दें कि रविवार (फरवरी 28, 2021) को फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने जहाँ राज्य भर के वामपंथी उम्मीदवारों को तो अपना समर्थन दे दिया, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए ऐसा नहीं किया। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में गठबंधन की पहली रैली आयोजित हुई। रैली में सिद्दीकी ने कहा कि वो चुनावी राजनीति में भागीदारी चाहते हैं, वो लेफ्ट को धन्यवाद करना चाहते हैं क्योंकि उसने अपनी सीटों का ‘बलिदान’ कर उन्हें 30 सीटें दी हैं।
‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी फुरफुरा शरीफ के प्रमुख हैं। यह दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। पीरजादा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने सत्ताधारी तृणमूल की नींद पहले से ही उड़ा रखी है। अब वे कॉन्ग्रेस में भी विवाद की वजह बन गए हैं।