समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में हुए गठबंधन से कॉन्ग्रेस को अलग करने पर पर्दा उठाया है। अखिलेश का कहना है कि कॉन्ग्रेस के लिए ‘अपार सम्मान’ होने की बावजूद भी देश की सबसे पुरानी पार्टी को गठबंधन से इसलिए बाहर किया है ताकि ‘चुनावी अंकगणित’ को नतीज़ों में सही रखकर भाजपा सरकार को मात दी जा सके।
इस पूरे विषय पर बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी से उनके संबंध अच्छे हैं और वो बहुत खुश होंगे अगर उनके गृह राज्य का व्यक्ति प्रधानमंत्री बनेगा।
अखिलेश से जब इस बारे में पूछा गया कि चुनावी नतीजों के बाद क्या वो कॉन्ग्रेस के साथ काम करना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि अभी वो इसका का ज़वाब नहीं दे सकते हैं। इस विषय पर वो चुनाव के बाद ही जवाब देंगे।
आपको बता दें कि 19 जनवरी को हुई कोलकाता में रैली के दौरान पीटीआई से बातचीत में कहा था कि देश को नया प्रधानमंत्री चाहिए और इन चुनावों के बाद वो देश को जरूर मिलेगा।
अखिलेश कहते हैं कि यदि यूपी की सीटों की संख्या पर गौर किया जाए, तो मालूम पड़ेगा कि बीजेपी सरकार के पास बहुमत नहीं हैं। उनकी मानें तो बीजेपी हमेशा सामाजिक इंजीनियरिंग की बात करती है, इसलिए इस गठबंधन के ज़रिए उन्होंने भी अपनी अंकगणित ठीक करने का फैसला किया है।
अखिलेश का कहना है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में बहुत सारे विकास कार्य किए लेकिन उसके बाद भी वो चुनावों को हार गए। अपने चुनाव हारने के पीछे उन्होंने अपने बिगड़े हुए चुनावी अंकगणित को कारण बताया।
इस गठबंधन को लेकर उनका कहना रहा कि उन्होंने बसपा एवं राष्ट्रीय लोक दल के साथ होकर गठबंधन कॉन्ग्रेस के लिए दो सीटें छोड़ी हैं, ऐसा करके उन्होंने अपने बिगड़े हुए अंकगणित को ठीक कर लिया है।
याद दिला दें कि 2017 में लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश ने कॉन्ग्रेस के साथ चुनाव जीतने के लिए हाथ मिलाया था लेकिन फिर भी प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी ने यूपी की सत्ता को संभाला था ।
एक तरफ जहाँ गठबंधन मे सपा-बसपा ने दो सीटें कॉन्ग्रेस के लिए छोड़ी थीं। वहीं पर कॉन्ग्रेस ने अलग से यूपी में पूरी 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
अखिलेश का सीटों पर किए बँटवारे पर कहना है कि सीटों पर समझौता करके उन्होंने विपक्षी एकता को मज़बूत किया है।