ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (AIRF) ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉंधी को पत्र लिखा है। इसमें उनसे श्रमिक स्पेशल ट्रेनों पर राजनीति नहीं करने की अपील की गई है।
सोनिया गाँधी ने सोमवार (मई 04, 2020) को कहा था कि देशभर में फँसे मजदूरों को घर वापस जाने के लिए रेलयात्रा का खर्च कॉन्ग्रेस उठाएगी।
पत्र में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष से कहा गया है कि राजनीतिक फायदे के लिए अच्छी व्यवस्था को न बिगाड़ा जाए। व्यवस्था में अस्थिरता पैदा करने पर उन रेलवे कर्मचारियों के लिए कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ेगा जो अपनी जान की परवाह किए बिना इन ट्रेनों के सुचारू संचालन में जुटे हैं।
दरअसल, कॉन्ग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी।
इसका नतीजा यह हुआ कि अन्य राज्यों में फँसे हुए मजदूरों और शासन-प्रशासन के बीच कई प्रकार की गलतफहमी पैदा हो गईं। खुद कॉन्ग्रेस शासित राज्य ही यह फैसला नहीं कर पाए कि उन्हें आखिर करना क्या है।
AIRF के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने सोनिया गाँधी को लिखे हुए पत्र में इस असुविधा का जिक्र करते हुए लिखा है कि सोनिया गाँधी को कम से कम उन रेलवे कर्मचारियों के बारे में सोचना चाहिर जो अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि रेलवे ने प्रवासी श्रमिकों के लिए चलाई जा रही विशेष ट्रेनों के लिए 85% टिकट किराए में सब्सिडी दी है और शेष 15% का भुगतान राज्य सरकार को करना है। यह आवश्यक था। अब संबंधित राज्य सरकारें भुगतान करके ट्रेनों को बुक करेंगी, इससे यात्रियों को स्टेशनों पर भगदड़ करने से भी रोका जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ शुरू की हैं जो कोरोना वायरस के कारण अन्य राज्यों में फँसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुँचाएगी। रेलवे और केंद्र सरकार के यह स्पष्ट करने के बावजूद कि श्रमिकों को यात्रा के लिए भुगतान नहीं करना होगा, कॉन्ग्रेस ने इस मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा करने की कोशिश की।
हकीकत यह है कि कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान सरकार ने खुद यह स्वीकार किया है कि उन्होंने श्रमिकों को ट्रेन से भेजने के बदले उन्हें मुफ्त भेजने के बजाए उन्हीं से रुपए भी वसूले हैं।