कॉन्ग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने यूँ ही उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया, इसके लिए शिवसेना सुप्रीमो से लिखित में आश्वासन लिया गया था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि सोनिया ने अपने शर्तों पर शिवसेना के साथ गठबंधन किया, इसके लिए उनकी तरफ़ से कोई शर्त नहीं आई। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता अशोक चव्हाण उद्धव कैबिनेट में मंत्री भी हैं। बताया जाता है कि कॉन्ग्रेस के कई विधायक भी राज्य में सत्ता के लिए लालायित थे और उन्होंने सोनिया को गठबंधन के लिए मनाया।
महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के संगठन से लेकर सरकार तक विभिन्न पदों पर काबिज रहे अशोक चव्हाण ने बताया कि सोनिया गाँधी ने उद्धव ठाकरे से कहा था कि वो संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप कार्य करेंगे और मुख्यमंत्री रहते वो ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिससे संविधान का उल्लंघन होता हो। सोनिया गाँधी ने गठबंधन के लिए दिशा-निर्देश तय किए था उन पर उद्धव का लिखित आश्वासन लिया गया था।
महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री चव्हाण ने ये बातें महाराष्ट्र के नांदेड़ में कही। उन्होंने बताया कि सोनिया गाँधी ने महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस को आदेश दिया था कि वो सबसे पहले उद्धव से लिखित आश्वासन लें। इसके बाद ही गठबंधन के लिए पार्टी आलाकमान ने हामी भरी। सोनिया ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट कह दिया था कि जब भी ऐसा लगे कि सरकार कॉन्ग्रेस के बनाए दिशानिर्देशों के अनुरूप काम नहीं कर रही है, पार्टी शिवसेना से अपना समर्थन वापस ले लेगी।
Gandhi had given clear guidelines that the state government must work within the frame of Constitution, said the state PWD minister.https://t.co/CxxagfqAzQ
— News18.com (@news18dotcom) January 27, 2020
इसके बाद कॉन्ग्रेस नेताओं ने ठाकरे तक सोनिया का सन्देश पहुँचाया। उनके राजी होने के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। वहीं महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्य में ‘महा विकास अघाड़ी’ की सरकार बनने के लिए शिवसेना और कॉन्ग्रेस में क्या डील हुई थी, इसका खुलासा होना चाहिए। उन्होंने पूछा कि जब गठबंधन के सहयोगियों को शिवसेना पर विश्वास ही नहीं है, फिर ठाकरे की पार्टी सरकार में बनी ही क्यों हुई है?