असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार (7 सितंबर 2024) को एक बेहद महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों को आधार कार्ड जारी नहीं करेगी, जिन्होंने साल 2015 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का हिस्सा बनने के लिए आवेदन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि यह निर्णय असम सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक बड़े अभियान का हिस्सा है।
सीएम सरमा ने धुबरी, बारपेटा और मोरीगाँव का उदाहरण दिया, जहाँ अनुमानित जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड जारी किए गए हैं। ये तीनों जिले मुस्लिम बहुल हैं। अनुमानित जनसंख्या के अनुपात में धुबरी में 103%, बारपेटा में 103% और मोरीगाँव में 101% आधार कार्ड जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे लगता है कि इन जिलों में संदिग्ध विदेशियों ने भी आधार कार्ड हासिल किए हैं।
असम के मुख्यमंत्री सरमा कहा कि इसके कारण राज्य सरकार ने भविष्य में आधार कार्ड जारी करने के लिए एक मानक संचालन प्रोटोकॉल जारी करने का निर्णय लिया है। इसके तहत एनआरसी आवेदन संख्या प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, जो उन्हें साल 2015 में आवेदन करते समय प्रदान की गई थी। बता दें कि हाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि असम में घुसपैठियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया साल 2015 में शुरू हुई थी। हालाँकि, साल 2019 में ‘अंतिम एनआरसी’ के प्रकाशन के बाद फिलहाल यह अधर में लटकी हुई है। इस प्रक्रिया में जो आवेदक 24 मार्च 1971 से पहले राज्य में आ चुके थे, उन्हें एनआरसी में शामिल किया जाना था और उन्हें नागरिक के रूप में मान्यता दी जानी थी।
असम के कुछ विशेष ज़िलों में जनसंख्या से अधिक लोगों ने आधार कार्ड का आवेदन किया। इसीलिए हम उन्हें आधार कार्ड देंगे जिसके पास NRC नंबर हो, ताकि घुसपैठियों को नागरिकता ना मिले। #Clause6Implementation pic.twitter.com/Qp8urA7oR8
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 7, 2024
जिन लोगों को एनआरसी से बाहर रखा गया था, उन्हें राज्य की विदेशी न्यायाधिकरण प्रणाली में मुकदमे का सामना करना था। इसके लिए आवेदन मार्च से अगस्त 2015 के बीच किए गए थे। इसमें 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन किया था। अगस्त 2019 में प्रकाशित अंतिम एनआरसी में इनमें से 19 लाख आवेदकों को बाहर कर दिया गया था।
हालाँकि, उस एनआरसी को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री सरमा ने सुझाव दिया कि जो लोग एनआरसी के लिए आवेदन करने वाले 3.3 करोड़ लोगों में शामिल नहीं हैं, उन्हें आधार कार्ड जारी नहीं किए जाएँगे।
उन्होंने कहा, “किसी व्यक्ति का नाम एनआरसी में शामिल किया गया या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन उसे आवेदक होना चाहिए। अगर आपने आवेदन ही नहीं किया है तो इसका मतलब है कि आप असम में थे ही नहीं। इससे प्रथम दृष्टया यह माना जा सकता है कि व्यक्ति 2014 के बाद असम में आया था।”
उन्होंने आगे कहा, “1 अक्टूबर से असम में आधार कार्ड की उपलब्धता एक कठिन परीक्षा होगी। हम अगले 10-15 दिनों में एक सख्त एसओपी जारी करेंगे।” उन्होंने कहा कि चाय बागान समुदाय को इस प्रक्रिया में कठिनाइयों से छूट दी जाएगी, क्योंकि राज्य सरकार अभी भी समुदाय के एक बड़े हिस्से के लोगों के आधार कार्ड वितरित नहीं कर पाई है।