बीते महीने झारखंड चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अयोध्या में चार महीने के भीतर भव्य राम मंदिर बनेगा। अब केंद्र सरकार इस दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित सभी मामलों को देखने के लिए गृह मंत्रालय में एक अलग डेस्क बनाया गया है। इस डेस्क में तीन अधिकारी होंगे। इनका नेतृत्व अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार करेंगे। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले में भी कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 9 नवबंर को इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। 5 सदस्यों वाली बेंच ने राम जन्मभूमि स्थल का पूरा मालिकाना हक हिन्दुओं दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाने को कहा था। साथ ही मस्जिद बनाने के लिए अलग से 5 एकड़ ज़मीन देने के निर्देश केंद्र सरकार को दिए थे। इस पीठ की अध्यक्षता तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने की थी और इसमें जज जस्टिस अब्दुल नज़ीर भी शामिल थे। पीठ ने अपना फैसला सर्वसम्मति से दिया था। इस फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं को भी शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।
Govt sets up new desk to look after all matters related to SC verdict on Ayodhya, says official order
— Press Trust of India (@PTI_News) January 2, 2020
ऐसे में ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में अलग डेस्क बनाने का मोदी सरकार का फैसला बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस फैसले से जुड़े सभी मामलों को अब यही डेस्क देखेगी। कुमार गृह मंत्रालय की जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़े विभाग के भी प्रमुख रहे हैं। आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बॉंटने के मोदी सरकार के फैसले में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
इस बीच, कई मीडिया रिपोर्ट्स ऐसी आई हैं जिनमें दावा किया गया है कि मस्जिद के लिए योगी सरकार ने जमीन का चुनाव कर लिया है और इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेज दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय में 1990 के दशक से लेकर 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों तक भी अयोध्या को लेकर एक अलग विभाग था। लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पेश होने के बाद इसे समाप्त कर दिया गया था।