केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शनकारी किसान डटे हुए हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थानीय स्तर पर भी विपक्षी राजनीतिक दल किसानों के बहाने अपने राजनीतिक लाभ साधने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे।
ऐसे में, उत्तर प्रदेश स्थित बागपत में 31 जनवरी को सर्वखाप की महापंचायत बुलाई गई थी, जिसमें कृषि कानून को लेकर भाजपा के खिलाफ जमकर बयानबाजी हुई। साथ ही, कथित किसान नेताओं द्वारा इस मंच से घोषणा की गई कि अगर भाजपा का कोई भी नेता निरपुड़ा गाँव में आया तो, उसका विरोध किया जाएगा।
समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही, एक वीडियो में इस गाँव के कुछ लोग हाथों में काले झंडे लेकर भाजपा नेता को चुनौती दे रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि कोई भाजपा नेता गाँव आया, तो उसका स्वागत काले झंडे दिखाकर किया जाएगा। यही नहीं, भाजपा नेताओं के खिलाफ यह भी एलान कर दिया गया कि उन्हें गाँव से वापस भेज दिया जाएगा।
ऐसे में, इस वीडियो के वायरल होते ही एक भाजपा नेता अमित राणा ने चैलेंज स्वीकार किया और गाँव पहुँच गए। कथित किसान नेताओं द्वारा काले झंडे दिखाए जाने की चुनौती स्वीकार करते हुए नगर पालिका परिषद के चेयरमैन और भाजपा नेता अमित राणा चौगामा क्षेत्र के निरपुड़ा गाँव गए।
भाजपा नेता सिर्फ उस गाँव ही नहीं गए बल्कि ग्रामीणों के बीच कुछ घंटे रुके भी और उनसे भाजपा के मुद्दों और रणनीति पर चर्चा की। अमित राणा ने कहा कि उन्हें विरोधियों द्वारा भाजपा नेताओं को काले झंडों से विरोध करने की चेतावनी के बारे में पता चला था, मगर जब वो गाँव गए तो विरोध करने वाले ढूँढकर भी नहीं मिले।
रिपोर्ट के अनुसार, निरपुड़ा गाँव से भाजपा नेताओं के बहिष्कार की घोषणा करने वाले व्यक्ति का नाम बिजेंद्र राणा बताया जा रहा है। बिजेंद्र राणा ने ही सर्वखाप महापंचायत के मंच से घोषणा कि थी कि वे अपने गांव में किसी भी भाजपा नेता को नहीं घुसने देंगे। इस चुनौती के बाद ही भाजपा नेता अमित राणा गाँव गए और ग्रामीणों से मुलाकत की।