उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का काम लगातार जारी है। इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले पर कमेंट कर विवाद खड़ा कर दिया है। मीडिया से बात करते हुए ‘किसान’ नेता ने दावा किया कि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो भिंडरावाले को ‘संत’ मानते हैं।
राकेश टिकैत का विवादित बयान, खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले को बताया संत.. pic.twitter.com/rvsrD13JPV
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) October 6, 2021
सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए जा रहे एक छोटे से क्लिप में टिकैत से एक पत्रकार ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारियों द्वारा आतंकवादियों का समर्थन किए जाने पर सवाल किया था। इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा, “एक बच्चे को किसी की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने देखा गया था”। जब एक अन्य पत्रकार ने टिकैत को बताया कि यह भिंडरावाले की तस्वीर है तो उन्होंने आगे कहा, “कुछ लोग भिंडरावाले को संत मानते हैं, जबकि सरकार उन्हें आतंकवादी मानती है।”
यूट्यूब पर राकेश टिकैत की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उपलब्ध है। इसमें वो सरकार को धमकी भी दे रहे हैं। 9:18 सेकंड की इस वीडियो के 7 मिनट 26 सेकंड से 7 मिनट 40 सेकंड के हिस्से को देखने पर ये स्पष्ट होता है कि राकेश टिकैत खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले को संत कहते दिखाई देते हैं। राकेश टिकैत किसान की मौत की दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर बात कर रहे थे।
ध्यान देने वाली बात यह है कि भारतीय किसान यूनियन के नेता के रुख में अचानक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। भड़काऊ बयान देने से लेकर परेशानी खड़ी करने की कोशिशों के बीच अचानक से वह उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में देखे गए। उस दौरान पुलिस हिंसा में मारे गए लोगों के लिए 45 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा कर रही थी। हालाँकि, उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले योगी सरकार को बदनाम करने के लिए लखीमपुर खीरी की घटना को दोनों हाथों से लपकने वाली कॉन्ग्रस और उसके वफादारों के लिए अच्छी बात नहीं है।
लखीमपुर खीरी में भिंडरावाले की टी-शर्ट के साथ देखा गया सिख व्यक्ति
3 अक्टूबर को कथित किसान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के काफिले पर पथराव किया। काफिले में शामिल एक वाहन कथित तौर पर नियंत्रण खो देने के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों पर चढ़ गया और दो लोगों की मौत हो गई। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने काफिले पर हमला कर दिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और वाहनों को आग लगा दी गई। हिंसा में दो और किसान भी मारे गए। इस घटना में कुल आठ लोगों की मौत हुई, जिनमें से चार प्रदर्शनकारी, तीन भाजपा सदस्य और भाजपा के काफिले में शामिल एक ड्राइवर था।
प्रदर्शनकारी किसानों ने दावा किया है कि केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा उस गाड़ी को चला रहा था, जिससे प्रदर्शनकारी कुचले गए। वहीं, मंत्री ने कहा कि घटना के समय उनका बेटा वहाँ मौजूद ही नहीं था।
जब बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर हिंसक भीड़ ने डंडों से हमला किया था तो उस दौरान कई तस्वीरों में एक व्यक्ति को भिंडरावाले की टी-शर्ट पहने देखा गया। खालिस्तान से सहानुभूति रखने वालों की उपस्थिति ने आंदोलन के बारे में कई संदेह पैदा किए हैं। इससे शक इस बात का हो रहा है कि हिंसा पूर्व नियोजित थी या नहीं।
इसके अलावा, लखीमपुर की घटना से ठीक पहले ‘ललकार’ नाम का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। ग्रुप का एडमिन प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा का पूर्व सदस्य था।