Wednesday, October 9, 2024
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J&K: आज डीडीसी चुनाव में कमाल, कल घाटी में हो सकते हैं BJP का भविष्य

दक्षिण कश्मीर के काकपोरा 2 से जीत हासिल करने वाली 22 वर्षीय मिन्हा लतीफ़ क़ानून की अंतिम वर्ष की छात्रा है। घाटी में भाजपा की इस युवा उम्मीदवार की जीत सभी के लिए चौंकाने वाली थी।

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया गया था। प्रदेश को दो केंद्र शासित राज्यों में बाँटा गया था। इसके बाद वहाँ पर पहली बार जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव हुए जिसमें भाजपा ने 74 सीटों पर जीत दर्ज की। इस जीत के साथ भाजपा वहाँ एक बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। इस जीत में कुछ नाम ऐसे हैं जो आने वाले वक़्त में राज्य में भाजपा की ‘पंचायत से संसद’ की यात्रा में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

मिन्हा लतीफ़ 

दक्षिण कश्मीर के काकपोरा 2 से जीत हासिल करने वाली 22 वर्षीय मिन्हा लतीफ़ क़ानून की अंतिम वर्ष की छात्रा है। घाटी में भाजपा की इस युवा उम्मीदवार की जीत सभी के लिए चौंकाने वाली थी। मिनहा ने इस जीत के बाद कहा था, “मैं पढ़ाई पूरी करने के साथ-साथ अपने क्षेत्र के लिए कुछ करना चाहती थी। मैं चाहती थी कि मेरे पास ऐसी पृष्ठभूमि हो जिससे मेरा भविष्य जन सेवा में सुनिश्चित हो सके।” 

मिन्हा के पिता लतीफ़ भट्ट केंद्र शासित प्रदेश के भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने ही अपनी बेटी के सामने डीडीसी चुनाव में लड़ने का प्रस्ताव रखा था। काकपोरा सीट महिलाओं के लिए आरक्षित भी थी। मिन्हा पब्लिक सेक्टर में ही कुछ बेहतर करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने की बात पर सहमति जताई। आखिरकार उन्होंने पीडीपी प्रत्याशी रुकैया बानो को 14 मतों से हराया था। मिन्हा का कहना है कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ जिले का विकास भी सुनिश्चित करेंगी।

कुमारी श्वेता

30 वर्षीय कुमारी श्वेता पेशे से होम्योपैथ चिकित्सक हैं। उन्होंने पूर्व विधायक और डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी की उम्मीदवार कांता अंदोत्रा को 1675 मतों के अंतर से हराया। उनका कहना है, “मैं जगतपुर गाँव से आती हूँ। ये लखनपुर स्थित राजमार्ग से सिर्फ 1 किलोमीटर दूर है फिर भी यहाँ सड़क नहीं है। पिछले साल जब मेरी शादी हुई और मैं बाहर आई तब मुझे कहीं भी जाने के लिए पैदल चलना पड़ता था। तभी मैंने तय किया कि मुझे चुनाव लड़ना है और अपने क्षेत्र के हालात बेहतर करने हैं।” 

श्वेता का मानना है कि डीडीसी चुनाव के बाद घाटी में रहने वाले लोगों के स्थानीय मुद्दे सामने आएँगे। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के बीच की दूरी भी कम होगी। दोनों क्षेत्रों के प्रतिनिधि एक-दूसरे पर फंड्स के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाते थे। अब दोनों क्षेत्रों के पास बराबर चुनावी क्षेत्र हैं, ऐसे में बदलाव की आशा की जा सकती है। उन्होंने कहा, “प्रचार अभियान के दौरान मुझे आभास हुआ कि मेरे क्षेत्र में दवाखानों (डिस्पेंसरी) की संख्या बहुत कम है। स्वास्थ्य सुविधाओं को मद्देनज़र रखते हुए उनकी संख्या बढ़ाना मेरी सबसे पहली प्राथमिकता होगी।”        

एजाज़ अहमद खान और एजाज़ हुसैन

दो नाम ऐसे हैं जिन्होंने घाटी के संवेदनशील क्षेत्रों में जीत दर्ज की है। ये हैं, उत्तरी कश्मीर के बांदीपुरा स्थित तुलैल से जीत दर्ज करने वाले एजाज़ अहमद खान और खूनमोह से जीत हासिल करने वाले इंजीनियर एजाज़ हुसैन। भाजपा उम्मीदवार एजाज़ अहमद खान इस जीत का पूरा श्रेय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को देते हैं। 

उन्होंने कहा कि पार्टी ने क्षेत्र में जिस तरह काम किया उसकी वजह से ही उन्हें जीत हासिल हुई। एजाज़ पूर्व विधायक फ़ाकिर मोहम्मद खान के बेटे हैं। वहीं खूनमोह से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल करने वाले इंजीनियर एजाज़ हुसैन ने बताया कि वह 2006 से भाजपा के साथ हैं। वह पार्टी के युवा मोर्चा के पदाधिकारी भी हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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