Friday, November 15, 2024
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‘बिना शर्त बात या बुलेट’: राकेश टिकैत ने अब कहा- 8 महीनों से सरकार की बात मानने के लिए नहीं बैठे हैं

"सरकार बातचीत के लिए शर्त रख रही है। वो कह रहे हैं कि कानूनों में संशोधन के लिए चर्चा की जा सकती है। किसान यहाँ 8 महीनों से सरकार के आदेश मानने के लिए नहीं बैठे हैं। अगर सरकार बातचीत करना चाहती है तो बिना शर्त बातचीत करे।"

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार (08 जुलाई 2021) को केंद्र सरकार से कहा है कि महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को या तो बातचीत से खत्म किया जाए या गोलियों से। टिकैत ने कहा कि किसान बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन बिना किसी शर्त के।

टिकैत ने मीडिया से चर्चा के दौरान यह बात कही। टिकैत ने कहा कि सरकार चाहती है कि किसान उससे सशर्त बातचीत करे लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि किसान पिछले 8 महीनों से सरकार की बात मानने के लिए प्रदर्शन में नहीं बैठे हैं।

टिकैत ने कहा, “सरकार बातचीत के लिए शर्त रख रही है। वो कह रहे हैं कि कानूनों में संशोधन के लिए चर्चा की जा सकती है। किसान यहाँ 8 महीनों से सरकार के आदेश मानने के लिए नहीं बैठे हैं। अगर सरकार बातचीत करना चाहती है तो बिना शर्त बातचीत करे।” साथ ही कहा कि सरकार चाहे तो बातचीत से किसानों के आंदोलन को खत्म करे या गोलियों से लेकिन कृषि कानूनों के समाप्त होने तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।

टिकैत ने यह बात केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अपील के बाद कही है। तोमर ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है, ऐसे में किसान अपना प्रदर्शन खत्म करें और बातचीत के लिए आगे आएँ। तोमर ने किसानों को यह भी आश्वासन दिया था कि कृषि उपज मंडी समितियाँ (APMC) बनी रहेंगी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कृषि उपज की खरीद भी जारी रहेगी। साथ ही इन्हें और भी मजबूत भी किया जाएगा। तोमर ने कहा था कि किसानों से कई बार यह कहा गया है कि सरकार कृषि कानूनों को खत्म करने की बजाय उनके प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

कृषि मंत्री तोमर ने स्पष्ट किया था कि उनकी सरकार ने किसान संघों को एक बार नहीं कई बार कहा कि वह कानूनों को खत्म करने के स्थान पर दूसरे कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास लेकर आएँ, सरकार उस पर बातचीत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि APMC खत्म नहीं होगी बल्कि और मजबूत होगी और सरकार इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

हालाँकि सरकार के द्वारा अनेकों बार आश्वासन दिए जाने के बाद भी सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। हाल ही में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान शपथ लेने वाली कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि कृषि कानून किसी भी हालत में रद्द नहीं किए जाएँगे। उन्होंने यह भी कहा है कि कृषि कानून किसी भी रूप में किसान विरोधी नहीं हैं और किसान आंदोलन एक राजनैतिक प्रदर्शन मात्र है। हालाँकि उन्होंने कार्यभार सँभालते ही कहा कि वे राज्यों की यात्राएँ करेंगी और किसानों को कृषि कानूनों के लाभ से परिचित कराएँगी।

ज्ञात हो कि किसानों के साथ केंद्र सरकार 11 बार बातचीत कर चुकी है ताकि इस मुद्दे पर कोई उचित समाधान प्राप्त किया जा सके। 10 वें दौर की बातचीत के दौरान केंद्र सरकार ने यह भी प्रस्ताव रखा था कि कृषि सुधार कानूनों को डेढ़ सालों के लिए होल्ड पर रखा जा सकता है। लेकिन इसके बाद भी प्रदर्शनकारी किसान नहीं माने। पिछली बातचीत जनवरी में हुई थी जिसके बाद से अभी तक फिलहाल सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच कोई चर्चा नहीं हो सकी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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