राफेल सौदा को लेकर मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाती रही कॉन्ग्रेस पार्टी अब इसमें खुद फँसती दिख रही है। फ्रांस के एक पोर्टल ‘मीडियापार्ट’ ने खुलासा किया है कि राफेल बनाने वाली कंपनी ‘दसौ एविएशन’ इस मामले में ‘मध्यस्थ’ रहे सुषेण गुप्ता की कंपनी ‘इंटरस्टेलर टेकनोलॉजीज़’ को 2007-2012 के बीच 7.5 मिलियन यूरो (अब 64.36 करोड़ रुपए) दिए थे। उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार चल रही थी और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी उस सरकार की सर्वेसर्वा थीं।
फ्रांस के पोर्टल ने खुलासा किया है कि सुषेण गुप्ता से जुड़ी कंपनियों ने कई बोगस रसीदें प्रिंट की और मॉरीशस के अटॉर्नी जनरल ने उन्हें 11 अक्टूबर, 2018 को CBI को भी भेजा था। साथ ही उसने मॉरीशस के AG द्वारा भेजे गए पत्र की प्रति भी प्रकाशित की है। हालाँकि, इस पर भारतीय मंत्रालय, CBI या ‘दसौं एविएशन’ की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है। ‘मीडियापार्ट’ ने बताया कि इसी तरह भारतीय जाँच एजेंसियों को पता चला कि सुषेण गुप्ता ने इसमें दलाल की भूमिका निभाई थी।
उसने लिखा है, “सुषेण गुप्ता की कंपनी को जो रुपए मिले, उसके लिए आईटी कॉन्ट्रैक्ट्स के बिल को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। इसके लिए गलत रसीदों के जरिए इन रुपयों को मॉरीशस भेजा गया। इनमें से कई में तो राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी के नाम तक गलत लिखे हुए थे।” सुषेण गुप्ता के खिलाफ अगस्ता-वेस्टलैंड हैलीकॉप्टर घोटाले में भी ED ने चार्जशीट दायर की थी। ‘मीडियापार्ट’ का कहना है कि गुप्ता ने फ्रेंच कंपनी को भारतीय नेगोशिएशन टीम की गतिविधियों की डिटेल्स सौंपी थी।
इस तरह राफेल सौदे में जिस घोटाले की बात कॉन्ग्रेस करती आई है और घूस की जो बात कही जा रही है, वो यूपीए काल में ली गई थी, 2007-12 के दौरान। भाजपा भी इसे लेकर हमलावर है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “इटली से राहुल गाँधी जी जवाब दें – राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों किया? आज ये खुलासा हुआ है कि उन्हीं की सरकार में पार्टी ने 2007 से 2012 के बीच में राफेल में ये कमीशनखोरी हुई है, जिसमें बिचौलिए का नाम भी सामने आया है।”
उन्होंने कहा, “राफेल का विषय कमीशन की कहानी थी, बहुत बड़े घोटाले की साजिश थी। ये पूरा मामला 2007 से 2012 के बीच हुआ। 2019 के चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने, खासकर कॉन्ग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से एक झूठा माहौल बनाने की चेष्टा राफेल को लेकर किया था वो हम सभी ने देखा था। उनको लगता था कि इससे उनको कोई राजनीतिक फायदा होगा। INC का मतलब है – ‘आई नीड कमीशन।’ यूपीए काल में हर डील के भीतर एक डील हुई और फिर भी एक भी डील सफल नहीं हुई।”
INC means ‘I need Commission’.
— BJP (@BJP4India) November 9, 2021
It would not be an over-projection that during the UPA tenure, they had a deal within every deal and they could still not strike a deal- Dr @sambitswaraj pic.twitter.com/LFuiJmAB5J
उधर कॉन्ग्रेस अब भी राफेल घोटाले को देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला बता कर इस पर हंगामा मचा रही है। पार्टी ने राफेल में रिश्वतखोरी को दफनाने की कोशिश का आरोप मोदी सरकार पर लगाते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन कवर अप’ चलाया जा रहा है और पिछले 5 वर्षों में सारे आरोप सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों पर लगा है। मजे की बात तो ये है कि यूपीए पर लगे आरोपों वाली मीडिया रिपोर्ट की खबर ही कॉन्ग्रेस वाला शेयर कर रहे हैं और भाजपा पर निशाना साध रहे हैं।
‘तेलंगाना कॉन्ग्रेस सेवादल’ ने उस रिपोर्ट को शेयर कर के उलटा मोदी सरकार को ही घेरा। पार्टी के सोशल मीडिया के हेड रोहन गुप्ता ने पूछा कि कब तक छिपेगा? ‘ओडिशा कॉन्ग्रेस सेवादल’ की पदाधिकारी सुरभि ने इसे ‘बिग ब्रेकिंग’ बता कर पेश किया। कॉन्ग्रेस नेता विजय थोट्टाथिल ने पीएम मोदी के ‘चौकीदार’ वाले बयान पर तंज कसा। मीडिया ने भी इसे ऐसे चलाया, जैसे आरोप भाजपा पर हों। सच्चाई ये है कि 2007-12 के दौरान घूस का खुलासा हुआ है और उस समय कॉन्ग्रेस की सरकार थी।