Sunday, September 8, 2024
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केंद्र सरकार ने 4 साल में राज्यों को की ₹1.73 लाख करोड़ की मदद, फंड ना मिलने पर धरना देने वाली ममता सरकार को मिले ₹10 हजार करोड़

वित्त मंत्रालय ने बताया है कि पश्चिम बंगाल को 2020-21 से 2023-24 के बीच वह ₹10,233 करोड़ की मदद दे चुकी है। केंद्र सरकार ने 2020-21 में ₹630 करोड़, 2021-22 में ₹933 करोड़, 2022-23 में ₹3655 करोड़ और 2023-24 में ₹5015 करोड़ की सहायता पश्चिम बंगाल को दी है।

कर्नाटक, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल, यह भारत के चार राज्य हैं। चारों में समान बात यह है कि इनमें गैर-भाजपा सरकार है। इन चारों में और बात समान है कि यह चारों केंद्र की मोदी सरकार पर अपना फंड रोकने, पैसा ना देने और आर्थिक मामलों में अड़ंगा डालने का आरोप लगाते हैं। अब संसद में दिए गए एक जवाब में साफ़ हुआ है कि मोदी सरकार बीते चार सालों में इन राज्यों को हजारों करोड़ रूपए विशेष मदद के तहत दे चुकी है।

सोमवार (22 जुलाई, 2024) को लोक सभा कार्रवाई में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। वित्त मंत्रालय ने बताया है कि वह वित्त वर्ष 2020-21 से ही राज्यों की विशेष आर्थिक मदद के लिए योजना चला रहा है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि यह सहायता राज्यों को इसलिए दी जा रही है ताकि वह अपने यहाँ इससे कैपिटल एक्सपेंडीचर में लगा सकें। इससे राज्य में नया ढाँचा विकसित हो और वह मजबूत हो सकें।

वित्त मंत्रालय ने बताया है कि 2020-21 के बाद से लगातार इस योजना को चालू रखा गया है। हर वित्त वर्ष में राज्यों को सहायता इसी के तहत दी जा रही है। केंद्र सरकार 2020-21 से लेकर 2023-24 तक राज्यों को ₹1.73 लाख करोड़ की मदद इस योजना के तहत दे चुकी है।

पश्चिम बंगाल को ₹10000 करोड़ से अधिक की मदद

केंद्र सरकार पर फंड रोकने और आर्थिक मोर्चे पर सहायता ना करने का सबसे अधिक आरोप पश्चिम बंगाल की ममता सरकार लगाती है। पश्चिम बंगाल की सत्ता में काबिज तृणमूल कॉन्ग्रेस ने बीते अप्रैल, 2024 में इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन भी किया था।

वित्त मंत्रालय ने बताया है कि पश्चिम बंगाल को 2020-21 से 2023-24 के बीच वह ₹10,233 करोड़ की मदद दे चुकी है। केंद्र सरकार ने 2020-21 में ₹630 करोड़, 2021-22 में ₹933 करोड़, 2022-23 में ₹3655 करोड़ और 2023-24 में ₹5015 करोड़ की सहायता पश्चिम बंगाल को दी है।

कर्नाटक को भी मिले ₹6000 करोड़ से ज्यादा

केंद्र सरकार को फंड के मसले पर कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार भी खूब घेरती रही है। सिद्दारमैया सरकार ने भी फरवरी, 2024 में इसी मुद्दे को लेकर बेंगलुरु में प्रदर्शन किया था। सिद्दारमैया सरकार ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार उसके पैसे नहीं रिलीज कर रही।

वित्त मंत्रालय ने बताया है कि उसने 2020-21 से 2023-24 के बीच ₹6693 करोड़ मदद के तौर पर दे चुकी है। केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2020-21 में ₹305 करोड़, 2021-22 में ₹451 करोड़, 2022-23 में ₹3399 करोड़ और 2023-24 में ₹2538 करोड़ दे चुकी है।

पंजाब को भी मिली मदद, खर्च नहीं किया तो रोकी

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार वर्तमान में काफी बुरी आर्थिक स्थिति में है। भगवंत मान सरकार बीते दिनों केंद्र से कर्जों की वसूली पर पाँच साल के लिए रोक लगाने को कह चुकी है। पंजाब सरकार ने भी कई विभागों का फंड रोकने का आरोप केंद्र सरकार पर लगाया है।

केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत पंजाब को भी लगातार मदद दी है। केंद्र सरकार ने पंजाब को 2020-21 से 2023-24 के बीच ₹1318 करोड़ की मदद दी है। 2020-21 में पंजाब को केंद्र सरकार ने ₹296 करोड़, 2021-22 में ₹223 करोड़ और 2022-23 में ₹798 करोड़ की मदद दी है। पंजाब की मदद 2023-24 में रोक दी गई थी क्योंकि इन्होने नियमों का पालन नहीं किया था और पहले से दिए गए पैसे खर्च नहीं किए थे।

केरल को ₹2000 करोड़ से ज्यादा मिले

आर्थिक संकट में फंसी केरल की सरकार वित्त के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। केरल को भी केंद्र सरकार अच्छी-खासी मदद 4 वर्षों में दे चुकी है। केरल को केंद्र सरकार ₹2221 करोड़ मदद के तौर पर चुकी है। इसके तहत वर्ष 2022-23 में ₹1902 करोड़ दिए गए हैं। केरल की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि वह कई विभागों के कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं दे पा रहा।

इन राज्यों के अलावा तमिलनाडु को ₹11,322 करोड़, तेलंगाना को ₹5020 करोड़ और हिमाचल प्रदेश को ₹3843 करोड़ की मदद दी जा चुकी है। केंद्र सरकार इसके अलावा अन्य कई योजनाओं के तहत भी राज्यों को पैसा दे रही है। हालाँकि, कई राज्यों में मुफ्त बाँटने की नीतियों के चलते खजाना खाली हो रहा है और खराब आर्थिक हालत का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ दिया जाता है। केंद्र और राज्य में सत्ता में रहने वाली पार्टी के अलग होने के कारण यह और आसान हो जाता है।

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