आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर तुष्टिकरण के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। राज्य में मंदिरों पर हमले बढ़ने और उनकी चुप्पी से इन आरोपों को बल मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने उन पर हिंदुओं से विश्वासघात करने और धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोप लगाए हैं।
चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार (जनवरी 2, 2021) को कहा कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार आंध्र प्रदेश में हिंदू मंदिरों की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रही। रामतीर्थ पहाड़ी पर श्री कंदापानी मंदिर में भगवान राम की मूर्ति का विध्वंस पूजा स्थलों पर हमलों की लगातार होती घटनाओं का एक और उदाहरण था। चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री रेड्डी पर ‘हिंदुओं के साथ विश्वासघात’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह राज्य में धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
नायडू ने विजयनगरम जिले के रामतीर्थम में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जगन रेड्डी ईसाई हो सकते हैं। लेकिन यह सोचना कि वह अपने शक्ति का इस्तेमाल हिंदुओं को धर्मांतरित करने के लिए कर सकते हैं, गलत है। अगर सत्ता में लोग धर्मांतरण का सहारा लेते हैं, तो यह विश्वासघात होता है। किसी को भी इस तरह की धार्मिक असहिष्णुता नहीं दिखानी चाहिए। अयोध्या के राम मंदिर में ‘जय श्री राम’ का नारा गूँजता है। ठीक इसी तरह, रामतीर्थम के राम मंदिर को हमेशा उत्तर आंध्र में सम्मान के साथ देखा गया है। ऐसे मंदिर में उपद्रवियों ने भगवान राम की मूर्ति के साथ बर्बरता की है, लेकिन सरकार दोषियों को पकड़ने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।”
नायडू ने विशाखापत्तनम में रामतीर्थ मंदिर का दौरा किया, जहाँ भगवान राम की 400 साल पुरानी मूर्ति का सिर धड़ से काट कर अलग कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि रेड्डी का प्रशासन जान-बूझकर मंदिरों पर हमलों को रोकने में धीमी गति से चल रहा है, क्योंकि सीएम ईसाई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 19 महीनों में मंदिरों, मूर्तियों और पुजारियों पर 127 से अधिक हमलों में अब तक एक भी आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि रेड्डी हमेशा धर्मनिरपेक्ष बयानबाजी करते रहते हैं, लेकिन उनके राज्य में जिस तरह से दूसरे धर्म की भावनाओं का अपमान किया जा रहा है, वह बर्दाश्त करने के लायक नहीं है। नायडू ने कहा कि रेड्डी की अपनी व्यक्तिगत धार्मिक भावनाएँ हैं। उन्होंने शपथ ग्रहण के दौरान बाइबल अपने पास रखा था। लोटस पॉन्ड स्थित उनके महलनुमा आवास पर ‘क्रॉस’ की तस्वीर है। मगर ऐसा लगता है कि सीएम की नजर में हिंदू उस भावना के लायक नहीं हैं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि राम की प्रतिमा का सिर धड़ से अलग कर देना इस भूमि का अपमान है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “श्री कोदंडापानी मंदिर का एक महान इतिहास है और इसे 16 वीं शताब्दी में पुसापति परिवार द्वारा बनाया गया था। इसे उत्तर आंध्र प्रदेश का अयोध्या कहा जाता है। मूर्ति के साथ की गई बर्बरता ने हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है। जिन लोगों ने मूर्ति से तोड़फोड़ की और जो लोग दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें भगवान के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।”
गौरतलब है कि हाल ही में आंध्र प्रदेश के राजमुंद्री के विघ्नेश्वर मंदिर में भगवान सुब्रमण्येश्वर स्वामी की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। राजमुंद्री का श्रीराम नगर ईस्ट गोदावरी जिले में पड़ता है। राजमुंद्री को आंध्र की सांस्कृतिक राजधानी भी कहते हैं, लेकिन लोगों का दावा है कि यहाँ ईसाई मिशनरियों का बोलबाला है।
इस घटना से 2 दिन पहले ही विजयनगरम जिले के नेल्लीमरला मंडल में एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में अज्ञात उपद्रवियों ने भगवान राम की 400 साल पुरानी मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया था। मूर्ति रामतीर्थम गाँव के पास पहाड़ी की चोटी पर स्थित बोडिकोंडा कोदंडाराम मंदिर में विराजमान थी। उपद्रवी ताला तोड़ मंदिर के गर्भगृह में घुसे और और स्वामी कोदंडारामुडु का सिर काटकर अलग कर दिया। मुख्य मंदिर पहाड़ी की तलहटी में है।
इसके अलावा वंतालमामिडी के पड़ेरु घाट पर स्थानीय लोगों की इष्ट देवी कोमलम्मा की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ की गई। ये मंदिर विज़ाग एजेंसी में स्थित मोडकोंदम्मा पडालू मंदिर के सामने स्थित है।