मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार पर कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए सार्वजनिक जमीन के एक बड़े भूभाग को इस्लामिक संस्था के नाम पर आवंटित करने का आरोप लगा है। संस्था भी ऐसी, जो भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान के सीधा ताल्लुक रखती है और उस पर आतंकी गतिविधियों, विदेशी फंडिंग और इस्लामिक धर्मांतरण में सीधे तौर पर शामिल रहने के आरोप लगे हैं।
भाजपा नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रशासन के उस विज्ञापन को भी सार्वजनिक किया, जिसमें संगठन को जमीन आवंटन करने से पहले दावा-आपत्ति माँगी गई है। अग्रवाल ने कहा कि इस संस्था को आतंकी गतिविधियों और विदेशी फंडिंग के वाली वाली पाकिस्तान की इस्लामिक संस्था दावत-ए-इस्लामी को 25 एकड़ (10 हेक्टयर) जमीन देने का इश्तिहार निकाला गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार आनन-फानन में जमीन बाँटने का काम कर रही है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहना है कि ऐसी कई संस्थाएँ हैं, जिनके आवेदन 10 सालों से पेंडिंग हैं, लेकिन 2020 में आवेदन करने वाली इस संस्था को फौरन जमीन देने की तैयारी है। इसका इश्तिहार छपवाया गया है। बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मांग करते हुए सरकार से कहा कि सरकार यह बताए कि इस संस्था का हेड क्वार्टर कहां है और इस संस्था को इतने फौरी तौर पर जमीन देने की क्या जरूरत।
वहीं, एक ट्विटर यूजर ने संस्था का एक आवेदन साझा किया है। इसमें संस्था ने 28 दिसंबर को आवंटन के लिए आवेदन किया था। ताज्जुब की बात है कि 28 दिसंबर को किए गए आवेदन को उसी दिन अनुमोदित भी कर दिया और ठीक अगले दिन यानी 29 दिसंबर को राज्य के मंत्री के आदेश के रायपुर जिलाधिकारी ने जमीन को आवंटित भी कर दिया।
12 acre govt owned land in Raipur Chhattisgarh allotted to Dawat-e-Islami, a Karachi based organisation.
— Rahul Kaushik (@kaushkrahul) January 3, 2022
Application given on 28th December, approved same day by minister Mohammad Akbar and allotted the very next day, 29th December by Raipur DM.
Amazing speed! pic.twitter.com/kfmFOW2MCJ
जमीन आवंटन के लिए दिए गए अपने आवेदन में दावत-ए-इस्लामी ने लिखा, छत्तीसगढ़ पंजीकृत संस्था माशा एजुकेशन सोसायटी के द्वारा (अंजुमन गर्ल्स स्कूल) शास्त्री मार्केट के प्रथम तल पर संचालित है जो आधुनिक हिंदी, उर्दू, अरबी, फारसी हदीस के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है। स्वयं की जमीन नहीं होने के कारण हमें एकेराजात में तकलीफ हो रही है। इसलिए सरकार द्वारा शासकीय भूमि आवंटित करने की कृपा करेंगे।”
पाकिस्तानी संस्था के लिए इतनी जल्दी निर्णय लेने वाले मंत्री का नाम है मोहम्मद अकबर। अकबर राज्य के वन मंत्री हैं और राज्य के उसी कवर्धा विधानसभा क्षेत्र से कॉन्ग्रेस के विधायक हैं, जहाँ हाल ही में भगवा झंडा को अपमानित करने के कारण सांप्रदायिक दंगे फैले थे। इस घटना में मोहम्मद अकबर का नाम आया था और भाजपा ने उनके इस्तीफे की माँग की थी।
रायपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने बताया कि आवेदक संस्था की ओर से सैयद कलीम ने सामुदायिक भवन के लिए बोरिया खुर्द 10 हेक्टेयर माँगी थी। इसके लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय में 28 जनवरी 2021 को आवेदन दिया गया था। आवेदन मिलने के बाद अतिरिक्त तहसीलदार ने इश्तिहार जारी किया था। पटेल ने बताया इसके बाद कलीम ने अपना आवेदन यह कहकर वापस लिया कि गलती से उन्होंने द्वारा रकबा 10 हेक्टेयर लिखा गया है, जबकि उन्हें केवल 10 हजार वर्ग फुट की ही आवश्यकता है।
हालाँकि, बवाल बढ़ने के बाद जिला प्रशासन की ओर से सफाई दी गई है। जिला प्रशासन ने कहा है कि 25 एकड़ (10 हेक्टेयर) जमीन दावत-ए-इस्लामी को नहीं दी जा रही है। संगठन ने आवेदन 10 हजार वर्ग फीट जमीन के लिए किया था, इस आवेदन को भी निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही जमीन आवंटन के लिए दो अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया गया है।
क्या है दावत-ए-इस्लामी?
इस संस्था का तंत्र भारत के अधिकांश राज्य में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के 194 से अधिक देशों में फैला है। इसका संस्थापक मौलाना इलियास अत्तारी पाकिस्तान के कराची में रहता है। वहीं से इस संस्था का संचालन होता है। दावत-ए-इस्लामी का दिल्ली और मुंबई में मुख्यालय है। वर्ष 1989 से पाकिस्तान से उलेमाओं का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था, उसके बाद से इस संस्था ने भारत में अपने पाँव जमा लिए। साल 1994 में हलीम कालेज के मैदान में तीन दिवसीय इज्तेमा (सेमिनार) का आयोजिन किया गया था, जिसमें पाकिस्तान से मौलाना इलियास कादरी ने भी शिरकत की थी। इलियास कादरी को विध्वंसक गतिविधियों के जाना जाता है।
दावत-ए-इस्लामी का नाम भारत में चल रहे धर्मांतरण गतिविधियों में भी आ चुका है। दावत-ए-इस्लामी पर सूफी इस्लामिक बोर्ड ने देश विरोधी गतिविधियों में चंदे का उपयोग करने और मतांतरण कराने के आरोप लगाए था। सूफी बोर्ड ने इसे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। इसने अपनी विचारधारा के प्रचार के लिए मदनी नाम का चैनल खोल रखा है। इस चैनल पर उर्दू, अंग्रेजी और बांग्ला में इस्लामिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है।
अक्टूबर 2021 में दिल्ली से पकड़ा गया पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अशरफ भी दावत-ए-इस्लामी से जुड़ा था। अशरफ को कोडिंग में महारत हासिल था और वह इसका उपयोग आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल करता था। अशरफ बांग्लादेश के जरिए भारत में दाखिल हुआ था और दिल्ली में उसे गिरफ्तार किया गया था।